जमुई. बिहार और झारखंड में वांछित 3 कुख्यात नक्सलियों ने सोमवार को सुरक्षाबलों के समक्ष समर्पण कर दिया. इन तीनों पर इनाम भी घोषित था. दुर्दांत नक्सलियों पर दर्जनों संगीन मामले दर्ज थे और पुलिस को इनकी वर्षों से तलाश थी. अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि तीनों दुर्दांत नक्सलियों ने अचानक से हथियार डाल दिया और समाज की मुख्य धारा में लौट कर सामान्य तरह से जीवन जीने के प्रति प्रतिबद्धता जताई है? इन नक्सलियों ने पुलिस दबाव में आकर समर्पण किया या फिर कोई और वजह थी?
पुलिसिया दबिश और परिवारवालों के समझाने का नतीजा है कि जमुई में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. जमुई, लखीसराय और मुंगेर के जंगलों में सक्रिय रहकर आतंक का पर्याय बन चुके 3 हार्डकोर इनामी नक्सलियों ने हथियार समेत सरेंडर कर दिया. जिला पुलिस लाइन में इसको लेकर आत्मसमर्पण समारोह का आयोजन किया गया था, जहां नक्सली वर्दी पहन कर आए नागेश्वर कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोड़ा ने सुरक्षाबलों को हथियार सौंप कर समाज की मुख्यधारा में लौटते हुए देश के संविधान के प्रति विश्वास व्यक्त किया. इस मौके पर मुंगेर क्षेत्र के डीआईजी संजय कुमार और सीआरपीएफ के डीआईजी विमल कुमार बिष्ट के साथ जमुई के एसपी शौर्य सुमन के अलावा सीआरपीएफ और पुलिस के कई अधिकारी मौजूद रहे.
तीनों पर 172 केस दर्ज
पुलिस ने बताया कि सरेंडर करने वाले नागेश्वर कोड़ा पर 1 लाख का इनाम घोषित था. बालेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोड़ा पर भी इनाम घोषित था. अगर नक्सल वारदात के मुकदमों पर नजर डाला जाए तो जमुई और लखीसराय जिले के अलग-अलग थानों में बालेश्वर कोड़ा के खिलाफ 72, अर्जुन कोड़ा पर 66 और नागेश्वर कोड़ा पर 34 मामले दर्ज हैं. नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के खिलाफ एक सप्ताह के भीतर पुलिस को यह दूसरी बड़ी सफलता मिली है. बीते 8 जून को एनकाउंटर में एसएसबी ने हार्डकोर नक्सली मतलू तुरी को गरही थाना क्षेत्र के जंगल में मार गिराया था.
सुरक्षाबलों का बढ़ता दबाव
नक्सली संगठन में रणनीतिकार और गुरिल्ला दस्ता का प्रमुख बालेश्वर कोड़ा के साथ नागेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोड़ा के सरेंडर करने के पीछे सुरक्षाबलों का बढ़ता दबाव को अहम कारण माना जा रहा है. बरहट के जंगली क्षेत्र चौरमारा में सीआरपीएफ कैंप के स्थापित होने के बाद सुरक्षाबलों की दबिश बढ़ गई थी. इसके अलावा इलाके में सिविक एक्शन प्लान के तहत स्थानीय लोगों को मदद पहुंचाने के साथ ही उनको जागरूक भी किया जा रहा है.

सुरक्षाबलों की दबिश और परिजनों के समझाने के बाद नक्सलियों ने समर्पण कर दिया. (न्यूज 18 हिन्दी)
DIG ने बताई वजह
मुंगेर क्षेत्र के डीआईजी संजय कुमार ने बताया कि सरेंडर करने वाले नक्सली बालेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोड़ा की पत्नी को परिवार चलाने के लिए 1-1 गाय सीआरपीएफ ने मुहैया कराया था. इसके अलावा चौरमारा गांव के ग्रामीणों के बीच सूअर और मुर्गी पालन के साथ जीविकोपार्जन के लिए ट्रेनिंग दी गई थी, जिसका परिणाम है कि परिवार वालों के समझाने और पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के भय के कारण इन लोगों ने सरेंडर किया है.
लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश
सीआरपीएफ के डीआईजी विमल कुमार बिष्ट ने बताया कि सीआरपीएफ के अधिकारी चौरमारा गांव में सिविक एक्शन प्लान चलाकर रास्ते से भटके लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनको परिवार वालों को समझाया गया था. यहां तक कि हार्डकोर नक्सली अर्जुन कोड़ा के बेटे की तबीयत खराब होने पर सीआरपीएफ के जवान ने ही अस्पताल ले जाकर उसका इलाज कराया था. इन लोगों के पास दो ही रास्ते हैं या तो वह मुख्यधारा में लौटें या फिर सुरक्षाबलों के गोली का शिकार हो जाएं. तीनों कुख्यात माओवादियों ने अन्य नक्सलियों से भी सही रास्ते पर लौटने की अपील की है.
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FIRST PUBLISHED : June 14, 2022, 09:16 IST
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