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- The Round Of The Police Station To Pay The Charge Of The Case Which Has Been Going On For 71 Days, The Slippers Were Also Worn And Broken
मुजफ्फरपुर3 घंटे पहले
सदर थाना पर मौजूद रिटायर दरोगा सुरेंद्र प्रसाद।
कभी जिस थाने में तूती बोलती थी। एक आवाज पर थाने पर उपस्थित चौकीदार हाजिर होता था। आज उसी चौकीदार को बुलाने पर टालमटोल करता है। बहाना बनाकर दूसरी ओर चला जाता है। अपने ही विभाग के पदाधिकारियों से मिन्नत करते हैं, लेकिन किसी के पास उनकी फरियाद सुनने के लिए समय नहीं है। कहें तो अपने ही विभाग में बेगाने बनकर रह गए हैं रिटायर दरोगा सुरेंद्र प्रसाद। करीब 71 दिन हर दिन सदर थाना पर तकरीबन 08 घंटा बैठ रहे हैं, लेकिन अब तक मालखाना का प्रभार पूरी तरह से नहीं लिया गया। यह कहानी कभी सदर थाना के प्रभारी थानेदार रहे रिटायर दारोगा जहानाबाद निवासी सुरेंद्र कुमार की है।
वह मालखाना का प्रभार देने के लिए 71 दिनों से हर दिन सदर थाना आते और बैठकर जा रहे हैं। हालांकि, 71 दिनों में 127 केस के मालखाना का प्रभार लिया गया है, लेकिन बीते 15 दिनों से दो केस के प्रभार लेने के लिए रिटायर दारोगा सुरेंद्र कुमार को इंतजार करना पड़ रहा है। थानेदार का कहना है कि चार्ज लेने की प्रक्रिया की जा रही है। अब सिर्फ दो चार्ज ही बचा है। इधर, SSP जयंतकांत ने बताया कि थानेदार को तेजी से केस चार्ज लेने का निर्देश दिया गया है। बहुत जल्द NOC दिया जाएगा, लेकिन सिस्टम का हाल देखिए जो काम एक सप्ताह में हो सकता था। उसे करने में 71 दिन लगा दिए गए। इस बात का जवाब किसी पदाधिकारी के पास नहीं है।
एक ही शर्ट-पैंट लेकर आए थे घर से
रिटायर दोरागा ने बताया कि जहानाबाद से एक सफेद शर्ट-पैंट पहनकर मुजफ्फरपुर आए थे। सोचा था एक-दो दिन में काम हो जाएगा। फिर घर लौट जाएंगे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि जो कहानी खबरों में सुनते आ रहे थे। वह आज खुद पर बीतेगी। हुआ भी वही। यहां आए तो एक-एक कर दिन बीतने लगे, लेकिन काम कुछ नहीं हुआ। रात गुजारने के लिए छत चाहिए थी तो पताही के एक दोस्त के घर का दरवाजा खटखटा दिया। वहीं रहने लगे। हर दिन एक ही शर्ट-पैंट पहनकर थाने पर आते। फिर शाम को दोस्त के घर जाते। रात को कपड़ा साफकर सो जाते और फिर सुबह वही पहनकर थाने आते। यह सिलसिला एक दो दिन नहीं बल्कि पूरे 71 दिनों से चल रहा है। उनकी चप्पलें भी टूट गई हैं। फिर भी वही चप्पल पहनकर आते हैं।
2018 में हुए थे रिटायर
वर्ष 2016 में उनका ट्रांसफर सरैया थाना में हुआ था। फिर सदर कोर्ट से वर्ष 2018 में रिटायर हो गये, लेकिन मालखाना के प्रभार से मुक्ति नहीं मिलने की वजह से उनका पेंशन नहीं बन रहा है। इससे उनकी और उनके घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। जब तक पूरा प्रभार सौंपेंगे नहीं, पेंशन नहीं मिलेगा। रिटायर दरोगा कहते हैं, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। सदर थाना से ट्रांसफर होने के बाद से ही कई बार चार्ज देने आए थे, लेकिन किसी ने सुना ही नहीं। इस बीच विभागीय भागदौड़ के पेच में फंसे रहे। फिर ट्रांसफर हो गया। उसके बाद भी कई बार आये और खाली हाथ लौटकर गए, लेकिन इसकी सजा मुझे ही मिली। NOC मिला नहीं, इस कारण पेंशन नहीं मिल रहा है। अब और कितने दिन लगेंगे। ये कहना मुश्किल है, लेकिन इस बार ठानकर आए हैं कि चाहे सड़क पर रात क्यों न बितानी पड़ी। जब तक NOC नहीं लेंगे। यहां से नहीं जाएंगे।
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