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हाइलाइट्स

पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में भारत का वाहन निर्यात 1,27,083 इकाई रहा था.
बीती तिमाही में यात्री कारों का निर्यात 88 प्रतिशत बढ़कर 1,04,400 इकाई पर पहुंच गया.
मारुति सुजुकी का यात्री वाहनों का निर्यात 53 प्रतिशत बढ़कर 68,987 इकाई पर पहुंच गया.

नई दिल्ली. भारत का यात्री वाहन निर्यात चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में सालाना आधार पर 26 प्रतिशत बढ़कर 1.60 लाख इकाई से अधिक रहा है. कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण बीते वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यात्री वाहन निर्यात प्रभावित हुआ था. वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून तिमाही में यात्री वाहनों का निर्यात बढ़कर 1,60,263 इकाई पर पहुंच गया. इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की इसी तिमाही में भारत का वाहन निर्यात 1,27,083 इकाई रहा था.

सियाम के आंकड़ों के अनुसार, तिमाही के दौरान यात्री कारों का निर्यात 88 प्रतिशत बढ़कर 1,04,400 इकाई पर पहुंच गया. वहीं, इस अवधि के दौरान यूटिलिटी वाहनों का निर्यात 18 प्रतिशत बढ़कर 55,547 इकाई रहा. इसी तिमाही में वैन का निर्यात सालाना आधार पर घटकर 316 इकाई रह गया. एक साल पहले की इसी अवधि में यह 588 इकाई रहा था.

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ये कंपनी रही सबसे आगे
आंकड़ों के अनुसार, तिमाही के दौरान देश की प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया का यात्री वाहनों का निर्यात 53 प्रतिशत बढ़कर 68,987 इकाई पर पहुंच गया. एक साल पहले समान अवधि में मारुति का निर्यात 45,056 इकाई रहा था. हुंजई मोटर इंडिया का निर्यात 15 प्रतिशत बढ़कर 34,520 इकाई और किआ इंडिया का 21,459 इकाई रहा. निसान मोटर इंडिया का निर्यात 11,419 इकाई और फॉक्सवैगन का 7,146 इकाई रहा.

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लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में मांग बढ़ी
सियाम के महानिदेशक राजेश मेनन ने पीटीआई से कहा, ‘‘पिछले कुछ समय में लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में भारत में बने यात्री वाहनों की पैठ बढ़ी है क्योंकि इन क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है.’’ उन्होंने कहा कि भारत में निर्मित वाहन इन क्षेत्रों की उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करते हैं. भारत में काम कर रही कंपनियां वैश्विक स्तर पर काम कर रही हैं और विनिर्माण गुणवत्तापूर्ण और लागत प्रतिस्पर्धी भी है.

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धीरे-धीरे सुधर रही सेमीकंडक्टर की कमी
ऑटो उद्योग के लिए जून एक महत्वपूर्ण समय था. पिछले महीने कई स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल यानी एसयूवी भारतीय बाजार में लॉन्च की गई हैं. इससे पता चलता है कि अब दुनिया में सेमीकंडक्टर की कमी धीरे-धीरे ठीक हो रही है, जिसके वाहन उत्पादन लगभग सामान्य स्तर पर लौट आया है. इससे कार की बिक्री में काफी उछाल आया है. हालांकि, चिप की कमी की वजह से खरीदारों को कारों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा.

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