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वॉशिंगटन: अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने 50 साल पुराने फैसले को पलटते हुए गर्भपात के संवैधानिक अधिकार (Right to Abortion) को खत्म कर दिया. ‘रो वर्सेज वेड रूलिंग’ में महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार दिया गया था जिसे अब अमेरिका की सर्वोच्च अदालत ने खत्म कर दिया. कोर्ट के इस फैसले का अमेरिका में भारी विरोध हुआ. वियॉन की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को ऐतिहासिक गलती बताया है और कहा कि इससे देश 150 साल पीछे चला जाएगा.

अमेरिका में गर्भपात को लेकर आए इस फैसले ने अन्य देशों में भी ऑबोर्शन को लेकर नियमों की चर्चा होने लगी. खासतौर से भारत में गर्भपात कानून क्या कहता है. देश में पिछले 50 वर्षों से कुछ शर्तों के तहत गर्भपात की अनुमति है.

भारत में गर्भपात पर कानूनी प्रावधान

भारत में अगर महिला की जान बचाने के लिए गर्भपात नहीं किया गया है तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 312 के तहत एक अपराध है.

मेडिकल टरमिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के तहत डॉक्टर्स को कुछ विशिष्ट पूर्व निर्धारित स्थितियों में गर्भपात करने की अनुमति होती है. अगर डॉक्टर्स इन नियमों का पालन करते हैं तो उनके पर आईपीसी की धारा 312 के तहत केस नहीं चलाया जा सकता है.

इस कानून के तहत महिलाओं को गर्भपात का अप्रतिबंधित अधिकार नहीं है. कुछ विशेष परिस्थितियों में डॉक्टर की सलाह के आधार पर गर्भपात की अनुमति है.

एमपीटी एक्ट में संशोधन

साल 1971 में संसद ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट पारित किया था. महिलाओं को सुरक्षित और अधिकृत गर्भपात प्रक्रियाओं के लिए इस कानून में समय-समय पर बदलाव किए गए. गर्भपात दवाओं मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल के उपयोग की अनुमति देने के लिए गर्भपात कानून को 2002 में संशोधन किया गया था.

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सभी महिलाएं 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था को समाप्त करने का विकल्प चुन सकती हैं अगर डॉक्टर इसकी सिफारिश करता है. हालांकि, महिलाओं की विशेष श्रेणियां जैसे कि यौन शोषण की शिकार, नाबालिग, बलात्कार पीड़ित और विकलांग महिलाएं 24 सप्ताह तक गर्भ गिराने की मांग कर सकती हैं.

यदि विशेषज्ञ डॉक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड यह फैसला लेता है कि गर्भ में पल रहे बच्चे में कोई विकलांगता या विकृति है, तो गर्भपात के लिए अधिकतम गर्भधारण की सीमा नहीं होती है.

एमटीपी अधिनियम का गलत इस्तेमाल और अवैध तरीके से गर्भपात की घटनाओं को रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी (पूर्व-गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक) अधिनियम 1994 में पारित किया गया था.

US Abortion Law: US सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन लॉ पर अपने फैसले को क्यों पलटा?

महिला अपने पति या जीवनसाथी की सहमति के बिना गर्भपात करवा सकती है, उसे अपने पति या जीवनसाथी द्वारा गर्भपात कराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.

अमेरिका में अब सख्त सजा का प्रावाधान

रो बनाम वेड के फैसले को पलटने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अमेरिका के अर्कांसस, केंटकी, लुइसियाना, मिसौरी, ओक्लाहोमा और साउथ डकोटा में तुरंत प्रभाव से गर्भपात पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं. कम से कम 13 राज्यों में पहले से ही कानून हैं जो गर्भपात कराने से पूरी तरह से मना करते हैं या जल्द ही ऐसा करेंगे.

मेडिकल इमरजेंसी के मामलों को छोड़कर अगर गर्भपात किया जाता है तो अमेरिका मिसूरी राज्य में ऐसा करने वालों को 5 से 15 साल की जेल की सजा हो सकती है.

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Tags: Abortion, America, US President Joe Biden

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