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हाइलाइट्स

अहमदाबाद-उदयपुर ट्रैक ब्लास्ट केस से रेलवे ने लिया सबक
उत्तर पश्चिम रेलवे ने पटरियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए उठाए 5 कदम
रेलवे पुलिस फोर्स के अधिकारी अब लगातार राज्य पुलिस के सपंर्क में रहेंगे

जयपुर. राजस्थान में बीते 13 नवंबर को अहमदाबाद-उदयपुर रेलवे ट्रैक को ब्लास्ट (Ahmedabad-Udaipur railway track blast case ) कर उड़ाने की कोशिश की गई थी. हालांकि इसमें रेलवे ट्रैकमेन और गांववालों की सजगता से एक बड़े हादसे को होने से बचा लिया गया. लेकिन इस वारदात के बाद उत्तर पश्चिम रेलवे ने पटरियों की सुरक्षा के लिए पहले से ज्यादा सतर्कता बढ़ा दी है. 13 नवंबर का दिन उत्तर पश्चिम रेलवे के लिए कभी ना भूलने वाला दिन रहा. राजस्थान में पहली बार धमाके से पटरी उड़ाने की कोशिश की गई. ऐसी घटना भविष्य में दुबारा ना हो इसके लिए उत्तर पश्चिम रेलवे एक नया प्लान तैयार किया है. इसके तहत अब पटरियों की पहले से ज्यादा सुरक्षा (Security of railway tracks) की जाएगी.

उत्तर पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ कैप्टन शशिकिरण ने बताया कि नए प्लान के तहत रात के समय बड़े ब्रिज और टनल पर नाइट पट्रोलिंग को बढ़ा दिया गया है. राज्य पुलिस से समन्वय कर इन स्थानों पर सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं. ट्रैकमेन्स की काउंसलिंग शुरू की गई है. उनके साथ ही लोको पायलट और गार्ड की काउंसलिंग शुरू की गई है. इस घटना से सबक लेते हुए रेलवे के बड़े अधिकारी खुद लगातार निरीक्षण के लिए जाएंगे.

RPF के अधिकारी लगातार राज्य पुलिस के सपंर्क में रहेंगे
रेलवे के पास सुरक्षा के लिए खुद की फोर्स RPF मौजूद तो है लेकिन वह ज्यादतर रेलवे स्टेशनों पर ही तैनात रहती या फिर उसकी ट्रेनों ड्यूटी लगती है. लेकिन अब RPF के अधिकारी लगातार राज्य पुलिस के सपंर्क में रहेंगे. RPF के अधिकारियों की एक टीम राज्य पुलिस के इनपुट पर लगातार काम करेगी. रेगिस्तान या जंगल से गुजरने वाले सैंकड़ों किलोमीटर के रेलवे ट्रैक पर ट्रैकमेन रेल व्हीकल के जरिए लगातार गश्त करेंगे. इसके अलावा शताब्दी या राजधानी जैसी गाड़ियों के संचालन के समय ज्यादा एहतियात बरता जाएगा.

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यह हादसा रेलवे के लिए नींद से जागने जैसा है
उदयपुर-अहमदाबाद रेल रूट पर हुआ हादसा रेलवे के लिए नींद से जागने जैसा है. रेलवे स्टेशनों पर तो मुस्तैदी रखी जा सकती है लेकिन लाखों किलोमीटर में फैले हुए रेलवे ट्रैक पर निगरानी रखना एक बेहद मुश्किल काम है. इसके लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस या फिर ड्रोन से निगरानी जैसी प्रक्रिया अपनाने का वक्त आ गया है. हालांकि पटरियों के आस पास गांव, खेत या कस्बे मौजूद होते हैं. वहां पर रहने वाले लोग रेलवे के लिए आंख और कान का काम करते हैं लेकिन बावजूद इसके सुरक्षा दोगुनी करना रेलवे के लिए अब एक बड़ी चुनौती है.

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FIRST PUBLISHED : November 15, 2022, 18:21 IST

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