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हाइलाइट्स

मुकाबला आजाद की नई पार्टी, NCP और PDP के बीच होगा
ये सभी पार्टियां अपने विशिष्ट मतदाता आधार को लक्षित करेंगी
कई खिलाड़ी होंगे, इससे सुनिश्चित होगा कि चुनाव एकतरफा न हों

नई दिल्लीः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने राहुल गांधी और उनके करीबी नेताओं को पार्टी की चुनावी असफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया. इस घटनाक्रम को जम्मू.कश्मीर के भाजपा नेताओं ने अपने लिए शुभ और नेशनल कॉन्फ्रेंस व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए अशुभ बताया.

जैसा कि कांग्रेस नेताओं ने उस वीडियो को कॉपी.पेस्ट किया, जिसमें आजाद के विदाई भाषण के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की आंखें नम हो गई थीं. आजाद के इस्तीफे को कांग्रेस नेताओं ने उन आंसुओं के ऋण का पुनर्भुगतान बताया. वहीं, भाजपा नेताओं ने इसे ‘नेकां और पीडीपी के लिए बहुत बुरा दिन’ कहा.
जम्मू-कश्मीर से जुड़े भाजपा के एक शीर्ष नेता ने कहा, ‘कांग्रेस लगभग विलुप्त हो चुकी है, यह राज्य में नेकां और पीडीपी के लिए सबसे बुरा दिन है.’

जिस दिन आजाद ने इस्तीफा दिया, उस दिन भाजपा अपने संगठन को मजबूत करने और आजाद के कांग्रेस से बाहर होने के कारण पैदा हुए शून्य को भरने की रणनीति बनाने में लग गई. पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई के कोर ग्रुप ने शुक्रवार शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर उन क्षेत्रों पर रणनीति बनाने के लिए बैठक की जहां पार्टी खुद को मजबूत कर सकती है. बैठक चार घंटे तक चली.

आजाद का कांग्रेस छोड़ना नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के लिए बुरी खबर?
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस जम्मू क्षेत्र में अपने वोट बैंक को खा रही है. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के कमजोर होने से बीजेपी को जहां भी जगह मिलेगी, फायदा होगा. मुकाबला आजाद की नई पार्टी, राकांपा और पीडीपी के बीच होगा. ये सभी अपने विशिष्ट वोट आधार को लक्षित करेंगे. हमारे पास कांग्रेस के मतदाताओं को लुभाने का मौका होगा, जो पीडीपी या अन्य क्षेत्रीय दलों को कभी वोट नहीं देंगे. गुलाम नबी आजाद, फारूक अब्दुल्ला की पार्टी के विकल्प के रूप में उभर सकते हैं, क्योंकि दोनों की छवि नरम राष्ट्रवादी की है. साथ ही, अब्दुल्ला ईडी जांच का सामना कर रहे हैं और यहां एक अफवाह है कि दिल्ली में हमारे साथ उनकी कुछ सेटिंग है. उन्हें इसका नुकसान हो सकता है. जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला के साथ जैसा कि हमने देखा है, एक और कारक है. केंद्र के करीब मानी जाने वाली पार्टी या प्रधानमंत्री को कुछ क्षेत्रों में फायदा मिलता है.’

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एक और फायदा जो बीजेपी देख रही है, वह यह है कि चुनाव एकतरफा नहीं होगा. एक अन्य नेता ने कहा, ‘चुनाव में कई खिलाड़ी होंगे और इससे यह सुनिश्चित होगा कि चुनाव पूरी तरह से एक पार्टी के पक्ष में नहीं होंगे.’ आजाद के कांग्रेस से बाहर निकलने और इस खुलासे से कि वह अपना खुद का राजनीतिक संगठन लॉन्च करेंगे, ने भाजपा को उम्मीद दी है. 2014 के चुनाव में जब जम्मू.कश्मीर और लद्दाख एक साथ मिलकर पूर्ण राज्य थे, कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी ने 25 सीटें.

राज्य के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने बताया कि गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस छोड़ना भगवा पार्टी के लिए अच्छी खबर क्यों है. उन्होंने कहा, ‘आजाद पुंछ-राजौरी सेक्टर के दामाद हैं, डोडा जिले और भद्रवाह के रहने वाले हैं. केंद्र शासित प्रदेश में उनका अपना वोट बैंक है. उनके और पार्टी के अन्य कई शीर्ष नेताओं के कांग्रेस से बाहर निकलने के साथ, देश की सबसे पुरानी पाजम्मू कश्मीर में लगभग समाप्त हो गई है.’

Tags: Ghulam nabi azad, Jammu Kashmir Election, Jammu kashmir news

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