e0a486e0a49c e0a4ade0a580 e0a4b8e0a4ace0a4b8e0a587 e0a4b2e0a58be0a495e0a4aae0a58de0a4b0e0a4bfe0a4af e0a4a8e0a4bfe0a4b5e0a587e0a4b6
e0a486e0a49c e0a4ade0a580 e0a4b8e0a4ace0a4b8e0a587 e0a4b2e0a58be0a495e0a4aae0a58de0a4b0e0a4bfe0a4af e0a4a8e0a4bfe0a4b5e0a587e0a4b6 1

हाइलाइट्स

एफडी में निवेश शुरू से ही निवेश के सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक है.
सभी बैंकों में मिलने वाले ब्याज दरों की तुलना जरूर करें.
एफडी के ब्याज से होने वाले कमाई पर टैक्स में कोई छूट नहीं है.

नई दिल्ली.  बदलते वक्त के साथ निवेश के तरीके भी बदल रहे हैं. शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है. इसके बावजूद आज भी एफडी सबसे लोकप्रिय निवेश विकल्पों में से एक है. इस समय एफडी पर ब्याज फिर से बढ़ रहा है. इसकी वजह से रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में लगातार बढ़ोतरी करना. साथ ही एफडी में निवेश शुरू से ही निवेश के सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक है.

सभी बैंकों में मिलने वाले ब्याज दरों की तुलना जरूर करें. अगर कोई विश्वसनिय बैंक समान अवधि की फिक्स्ड डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज दे रहा हो तो उसे वरीयता दें. बैंकों के दरों की तुलना करने में इस बात का ध्यान रखें की बड़े सरकारी व प्राइवेट बैंकों की तुलना में नए स्मॉल फाइनैंस बैंक और कुछ विदेशी बैंक ज्यादा ब्याज दर की पेशकश करते हैं.

यह भी पढ़ें- इंडियन बैंक लाया स्पेशल FD स्कीम, 610 दिनों की है मैच्योरिटी, 6.5% तक मिलेगा ब्याज

ब्याज की कंपाउंडिंग

बैंको में फिक्स्ड दो तरह से किया जाता है. यह दोनो विधि है क्युमुलेटिव या नॉन क्यूमुलेटिव एफडी. नॉन क्युमुलेटिव एफडी में हर ग्राहक महीने, तिमाही, छमाही या सालाना आधार पर ब्याज पाने का विकल्प चुन सकते हैं. क्युमुलेटिव एफडी में यह विकल्प नहीं होता है. क्युमुलेटिव एफडी में ब्याज मैच्योरिटी के बाद प्रिंसिपल अमाउंट के साथ ही मिलता है. अगर आप हर महीने, तिमाही या छमाही ब्याज पाने का विकल्प चुनते हैं तो ब्याज की कंपाउंडिंग नहीं होगी जबकि मैच्योरिटी के बाद प्रिंसिपल अमाउंट के साथ ब्याज लेने का विकल्प चुनने पर ब्याज की कंपाउंडिंग का फायदा ग्राहकों को मिलता है.

READ More...  Indian Railways: रेलयात्र‍ियों के ल‍िए खुशखबरी, यूपी, हर‍ियाणा, पंजाब और जम्‍मू के ल‍िए रेलवे चलाएगा स्‍पेशल ट्रेन, नोट करें पूरा टाइमटेबल

टीडीएस 

अगर ग्राहक की सालाना आय पर टैक्स के स्लैब में नहीं आती है तो एफडी करने के तुरंत बाद ग्राहक को फार्म 15जी या 15एच भरकर बैंक को दे देना चाहिए. अगर निवेशक की उम्र 60 साल से कम है तो फॉर्म 15जी भरना है और अगर निवेशक 60 साल से ज्यादा उम्र का है तो फार्म 15एच भरना होता है. बैंक में यह फॉर्म खाता खोलने के टाइम पर ही जमा करने से बैंक एफडी पर टीडीएस नहीं काटेगा. लेकिन अगर फार्म नहीं भरा जाता है तो 40 हजार से ज्यादा ब्याज कमाई पर टीडीएस लगेगा. सिनियर सिटिजन के मामले में यह राशि 50 हजार रुपए है.

यह भी पढ़ें- एफडी से ज्यादा ब्याज दे रही हैं ये सरकारी बचत योजनाएं, सर्वाधिक रिटर्न के लिए कहां करें निवेश?

टैक्स में कोई छूट नहीं 

एफडी के ब्याज से होने वाले कमाई पर टैक्स में कोई छूट नहीं है. मतलब कि एफडी से मिलने वाला ब्याज आपकी सालाना आमदनी से जुड़ जाएगा और इसपर टैक्स इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से तय होगा. 60 साल से ज्यादा उम्र के सिनियर सिटिजन के लिए 50 हजार रुपए के ब्याज पर छूट मिलती है. फार्म 80सी के तहत यह छूट क्लेम की जा सकती है. लेकिन इस छूट के लिए कम से कम 5 साल के अवधि के लिए एफडी करवानी होगी. 5 साल के अवधि वाले एफडी पर आप को अधिकतम 1.5 लाख के निवेश पर 80 सी के तहत छूट मिलेगा.

एफडी तोड़ने से बचें

अगर किसी निवेशक को एफडी की मैच्योरिटी से पहले ही पैसों की आवश्यकता होती है तो एफडी तोड़ने से बेहतर है आप एफडी के अगेंस्ट लोन के लिए अप्लाई कर दें. ज्यादातर बैंको से एफडी पर 90 प्रतिशत तक लोन पाया जा सकता है.

READ More...  एलन मस्‍क बोले- इंसान का अभी नहीं हुआ एलियंस से सामना, वो धरती पर आए तो इंसान पर आ जाएगी बड़ी विपदा

Tags: Bank FD, FD Rates, Here you can get good interest on FD, Investment

Article Credite: Original Source(, All rights reserve)