आरा (भोजपुर)2 घंटे पहले
आरा सदर अस्पताल में मंगलवार की दोपहर को उस दौरान अफरा तफरी का माहौल कायम हो गया, जब इलाज कराने आए मरीज की तबियत अचानक बिगड़ गई। जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा खड़ा कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर द्वारा मरीज का इलाज नहीं किया जा रहा है। मरीज का दस घंटे बाद भी बीपी जांच नहीं किया गया है। जिसके बाद परिजन आग बबूला हो गए और आरा सदर अस्पताल में जमकर बवाल और हंगामा करना शुरू कर दिया। इससे पूरे अस्पताल में घंटों अफरा तफरी मची रही। उसके बाद पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले की जांच की।
पूरा मामला जिले के आरा के आईएसओ मान्यता प्राप्त सदर अस्पताल की है। जहां अजीमाबाद थाना क्षेत्र के बड़ गांव निवासी सुनील सिंह की 23 वर्षीय पुत्री करिश्मा कुमारी का इलाज कराने आरा सदर आए हुए थे। जहां बीपी जांच कराने के विवाद में जमकर बवाल खड़ा हो गया। काफी देर तक हंगामा होने के बाद अस्पताल उपाधीक्षक डॉक्टर अरुण मौके पर पहुंचे और मामले को समझा बुझाकर शांत कराया। दूसरी तरफ मरीज की इलाज भी शुरू करवाई। लेकिन हंगामे के दौरान मरीज करिश्मा की तबियत और बिगड़ने लगी। उसे देख परिजन और आक्रोशित हो गए।

अगिआंव विधायक ने की थी जिलाधिकारी से बात
करिश्मा कुमारी के भाई राणा प्रताप सिंह ने बताया कि सोमवार को मेरी बहन की अचानक तबियत खराब हो गई। उसकी आवाज निकलना बंद हो गई थी। जिसके बाद हमलोग उसे इलाज के लिए अगिआंव पीएचसी में ले गए। जहां से डॉक्टर ने आरा रेफर कर दिया। जब वहां एंबुलेंस के सरकारी नंबर पर कॉल किया तो उसने झूठ बोल दिया। उसके बाद मैं उसे बाइक पर बैठाकर आरा सदर अस्पताल रात में ही ले आए। उस दौरान अगिआंव विधायक मनोज मंजिल भी आए थे और जिलाधिकारी से बात कराई थी। लेकिन उसके बाद भी इलाज नहीं किया जा रहा है।

परिजन ने लगाया डॉक्टर द्वारा गाली और धक्का देने का आरोप
राणा प्रताप सिंह ने बताया कि जब मैंने डॉक्टर से बोला कि मेरे मरीज का अभी तक बीपी क्यों नहीं जांच किया गया है। इस बात पर अस्पताल के स्टाफ मुझे गाली देने लगे और धक्का देने लगे। राणा ने बताया कि मैंने एक परिजन को इलाज कराने आई महिला को गोद में लेकर आ रहे देखा तो उसी का मैंने वीडियो बनाया था और बोला की आखिर स्ट्रेचर होने के बाद भी परिजन मरीज को गोद में लेकर क्यों आ रहे है। इसी बात पर स्टाफ भड़क गए और धक्का मुक्की करने लगे। उन्होंने बताया कि मेरे मरीज का यहां इलाज नहीं किया जा रहा है, तो मैंने डॉक्टर से पटना रेफर करने की मांग की है।
एसेसर फॉर असेसमेंट की टीम ने की परिजन और पत्रकारों से बदसलूकी
परिजन ने बताया कि मंगलवार की सुबह एसेसर फॉर असेसमेंट की टीम भी जांच करने आई थी। उसी दौरान मैंने उन लोगो से अपनी समस्या को बताया, तो उन लोगों के द्वारा समस्या का समाधान करने के बजाय हमलोग से बदसलूकी करने लगे। दूसरी तरफ एसेसर फॉर असेसमेंट की टीम द्वारा एक महिला पत्रकार के कैमरा को भी छिनने की कोशिश की। हालांकि इस हंगामे के बीच शहर में विधि व्यवस्था बनाने के लिए बनाए गए विशेष चीता टीम की पुलिस मौके पर पहुंची। उसके बाद परिजनों से बात चीत करने बाद मामला को शांत करवाया। फिर परिजन मरीज को लेकर पटना चले गए।
उपाधीक्षक ने पूछा – डॉक्टर अस्पताल में क्यों नहीं थे
अस्पताल के उपाधीक्षक ने बताया कि मैं आप सिविल कोर्ट में गया था, इसलिए मुझे पूरा मामला नहीं पता चला। लेकिन मैं जब अस्पताल पहुंचा तो देखा कि इमरजेंसी वार्ड में कुछ परिजन हंगामा कर रहे थे। तो मैंने मामले की जानकारी ली। तो मुझे पता चला कि उस दौरान डॉक्टर इमरजेंसी अस्पताल में नहीं थे। जिसके बाद मैंने डॉक्टर से जवाब की मांग की है और यह जो भी हुआ है निदनीय है।
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