
हाइलाइट्स
मानव ने पिछली बार चंद्रमा पर 50 साल पहले चहलकदमी की थी
2024 में अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की कक्षा में उड़ान भर सकेंगे और 2025 में वे धरती पर आएंगे
नासा को चंद्रमा की कक्षा में ‘क्रू कैप्सूल’ भेजने का अपना प्रयास दूसरी बार टालना पड़ा
सिडनी. (द कन्वरसेशन), अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के नए चंद्र रॉकेट में शनिवार को एक और खतरनाक ईंधन रिसाव हुआ जिससे प्रक्षेपण नियंत्रकों को परीक्षण डमी के साथ चंद्रमा की कक्षा में ‘क्रू कैप्सूल’ भेजने का अपना प्रयास दूसरी बार टालने के लिए मजबूर होना पड़ा. इससे पूर्व सोमवार किए गए पहले प्रयास में हाइड्रोजन ईंधन रिसाव की वजह से समस्या पैदा हुई थी. नासा का यह अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है जो 322 फुट लंबा है. आखिर इस मिशन से क्या हासिल होने वाले है आईए विस्तार से जानते हैं.
यह मिशन 1972 के बाद पहली बार मानव को चंद्रमा पर भेजने की दिशा में एक रोमांचक कदम है. लेकिन इस बार यह केवल चांद की धरती पर हमारे पैरों के निशान छोड़ने के बारे में नहीं है बल्कि यह चंद्र संसाधनों के लिए एक नयी अंतरिक्ष दौड़ की शुरुआत का प्रतीक है. इस बार हर कोई चांद पर खनन करना चाहता है.
चंद्रमा पर लौटें
आर्टेमिस कार्यक्रम के बारे में बहुत कुछ नया और प्रेरक है. आर्टेमिस 1 कार्यक्रम का पहला मिशन है और यह चंद्रमा की कक्षा में जाने के लिए प्रायोगिक उड़ान भरेगा और बिना चालक दल के 42-दिवसीय यात्रा के बाद पृथ्वी पर लौटेगा. इस यात्रा में एक नए लॉन्च वाहन, स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) का उपयोग किया जाएगा, जो वर्तमान में दुनिया में सबसे शक्तिशाली रॉकेट है.
बोर्ड पर पुरुष और महिला के प्रतिरूप वाले तीन पुतले होंगे. नासा इन पुतलों का उपयोग प्रक्षेपण यान के आराम और सुरक्षा और मनुष्यों के लिए स्पेसफ्लाइट कैप्सूल का परीक्षण करने के लिए करेगा. बोर्ड पर कई अन्य प्रयोग भी किए गए हैं और जब कैप्सूल चंद्रमा के पास होगा तो डाटा प्रदान करने के लिए छोटे उपग्रहों की एक श्रृंखला प्रक्षेपित की जाएगी. इस मिशन से मिले सबक को आर्टेमिस 2 पर लागू किया जाएगा, जो मिशन 2024 के लिए योजनाबद्ध की गई है और इसमें एक महिला और पुरुष को चंद्रमा पर भेजे जाने की उम्मीद है.
एक नयी अंतरिक्ष दौड़?
हालांकि, चंद्रमा पर मानव का फिर से कदम रखना केवल खोज और ज्ञान की खोज के बारे में नहीं है. जिस तरह 1960 के दशक की अंतरिक्ष दौड़ शीत युद्ध की भूराजनीति से प्रेरित थी, उसी तरह आज के अंतरिक्ष कार्यक्रम आज की भू-राजनीति पर आधारित हैं. अमेरिका आर्टेमिस का नेतृत्व कर रहा है, जिसमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य मित्र राष्ट्र शामिल हैं.चीन और रूस अपने-अपने मून कार्यक्रम पर सहयोग कर रहे हैं. वे 2026 में मनुष्य को चंद्रमा पर उतारने की योजना बना रहे हैं.
भारत भी रोबोटिक मून लैंडर्स और लूनर स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम पर काम कर रहा है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भी इस साल नवंबर में एक चंद्र लैंडर प्रक्षेपित करने की योजना बना रहा है. इस दौड़ का दीर्घकालिक लक्ष्य चंद्र संसाधनों का अधिग्रहण करना है.
चंद्रमा पर संसाधन
चंद्रमा के दक्षिणी क्षेत्रों में पानी की बर्फ का पता चला है और आशा है कि ईंधन के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली कुछ गैसों का भी खनन किया जा सकता है.
इन संसाधनों का उपयोग चंद्र आधारों (लूनार बेस) पर और चंद्रमा के निकट दीर्घकालिक मानव निवास स्थान के निर्माण में किया जा सकता है, साथ ही साथ चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन जैसे कि नासा के पूर्वनियोजित ‘गेटवे’ के निर्माण में किया जा सकता है.ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए ऑस्ट्रेलियाई उद्योग का समर्थन कर रही है और मंगल ग्रह पर अमेरिका की बाद की यात्राओं की योजना बना रही है. चंद्र खनन प्रयासों में सहायता के लिए ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक भी चंद्र रोवर विकसित कर रहे हैं.
नियम क्या हैं?
अगले पांच वर्षों में हम चंद्रमा पर इस नयी दौड़ के आसपास भारी राजनीतिक तनाव बढ़ने की उम्मीद कर सकते हैं. एक प्रश्न जिसका उत्तर अब तक नहीं मिला है, वह है: चंद्रमा पर गतिविधियों को कौन से नियम नियंत्रित करेंगे? 1967 की ‘बाह्य अंतरिक्ष संधि’ अंतरिक्ष में ‘‘संप्रभुता, कब्जे या किसी अन्य माध्यम से’’ उपयोग को प्रतिबंधित करती है. यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि खनन या संसाधन को निकालने के अन्य तरीके इस प्रतिबंध के अंतर्गत आते हैं या नहीं.
तकनीकी और राजनीतिक चुनौतियां
नासा ने इस नए चंद्र प्रयास के लिए ‘‘आर्टेमिस’’ नाम चुना है. आर्टेमिस चंद्रमा की ग्रीक देवी है और अपोलो की जुड़वां बहन है (नासा के 1960 के चंद्रमा अंतरिक्ष यान कार्यक्रम का नाम). आर्टेमिस ने घोषणा की थी कि वह कभी शादी नहीं करना चाहती क्योंकि वह किसी भी पुरुष की संपत्ति नहीं बनना चाहती थी.
भले ही चंद्रमा के स्वामित्व का दावा नहीं किया जा सकता है, लेकिन हम इस बात को लेकर प्रतिस्पर्धा देखेंगे कि क्या इसके कुछ हिस्सों का खनन किया जा सकता है. निस्संदेह वैज्ञानिक और इंजीनियर चंद्रमा पर फिर से जाने के क्रम में तकनीकी चुनौतियों का समाधान करेंगे. कानूनी और राजनीतिक चुनौतियों का समाधान करना अधिक कठिन साबित हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED : September 04, 2022, 15:08 IST
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