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मेरठ. वेस्ट यूपी को गन्ना बेल्ट कहा जाता है. गन्ना यहां की पहचान है. लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि गन्ना किसान अपने खेत का गन्ना चूसते हुए नजर नहीं आते हैं. ये कहना है जिला गन्ना अधिकारी मेरठ डॉक्टर दुष्यंत का. जिला गन्ना अधिकारी का कहना है कि गन्ना एक ऐसी फसल है जो एक वर्ष तक रहती है. डॉक्टर दुष्यंत का कहना है कि यहां गन्ने को उगाने में अंधाधुंध कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है. लिहाजा यहां के गन्ना किसान अपने खेत का ही गन्ना चूसते हुए बहुत कम ही नजर आते हैं. वो कहते हैं कि तीन महीन तक इस कीटनाशक का प्रभाव गन्ने पर रहता है. जिला गन्ना अधिकारी का सुझाव है कीटनाशक का इस्तेमाल इतना अंधाधुंध नहीं होना चाहिए. शत प्रतिशत खेत में कीटनाशक के प्रयोग की आंधी स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. वो कहते हैं कि किसानों को इस बाबत लगातार जागरुक किया जा रहा है.

सहफसली भी लाभकारी
जिला गन्ना अधिकारी का कहना है कि अगर किसान सहफसली करें तो यकीनन उन्हें लाभ मिलेगा. डॉक्टर दुष्यंत का कहना है गन्ना दो समय में बोया जाता है. एक फरवरी माह में और दूसरा अक्टूबर महीने में बोया जाता है. शरद महीने का गन्ना ज्यादा अच्छा माना जाता है. शरद काल में तिलहन इत्यादि की फसल किसानों की आय बढ़ा सकती हैं. फरवरी मार्च में उड़द इत्यादि की फसल किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकती है. वो कहते हैं कि गन्ने के साथ मूंगफली की खेती भी बेहद फायदेमंद हो सकती है. हालांकि वेस्ट यूपी में मूंगफली को लेकर बहुत कम किसानों ने रुचि ली है लेकिन अगर किसान इस फसल के बारे में सोचें तो यकीनन उन्हें लाभ होगा. गन्ने के साथ प्याज और लहसुन की फसल भी बेहद लाभदायक हो सकती है.

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जिला गन्ना अधिकारी का कहना है कि इस बार रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया गया है. यहां मवाना दौराला किनौनी नंगलामल सकौती मोहिद्दिनपुर में हुए भुगतान का आंकड़ा विभाग की तरफ से दिया गया. सबसे ज्यादा नंगलामल शुगर मिल ने लगभग 92 प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान किया है. जबकि जबकि दौराला शुगर मिल 90 प्रतिशत भुगतान के साथ दूसरे नम्बर पर है. जबकि मवाना शुगर मिल में लगभग 75 प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान किया गया है. सभी चीनी मिलों के योग की बात की जाए तो लगभग 79 प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान यहां की चीनी मिलों की तरफ से किया गया है.

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FIRST PUBLISHED : May 31, 2022, 22:26 IST

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