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हाइलाइट्स

पीतांबरी नीलम धारण करने से बौद्धिक विकास अच्छा होता है.
पीतांबरी नीलम पहनने से मनुष्य को धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.

Pitambari Neelam : मनुष्य के जीवन में आ रहे उतार-चढ़ाव के लिए उसकी कुंडली में मौजूद ग्रहों का अशुभ घर में उपस्थित होना माना जाता है. ग्रहों के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति अनेक तरह की समस्याओं का सामना करता है. इन प्रभाव को कम करने के लिए अनेक तरह के ज्योतिषी उपाय किए जाते हैं. इसके आलावा रत्न शास्त्र के अनुसार, ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए रत्न धारण करने की सलाह भी दी जाती है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं गुरु और शनि देव से जुड़े पितांबरी नीलम के बारे में, यह रत्न किन राशि के जातकों के लिए शुभ होता है और इसे धारण करने की क्या विधि है आइए जानते हैं.

किन राशि के लिए लाभदायक है पीतांबरी नीलम

रत्न शास्त्र के अनुसार, जिन जातकों की राशि कुंभ, मीन, धनु और मकर है, उन लोगों को पीतांबरी नीलम धारण करना लाभप्रद होगा. वहीं, इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि कुंडली में गुरु और शनि नीच के ना हों. साथ ही शत्रु राशि में भी विराजमान ना हो. इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु और शनि पंचम, नवम और दशम भाव में उच्च के हैं तो वे भी पीतांबरी नीलम धारण कर सकते हैं.

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पीतांबरी नीलम धारण करने के फायदे

रत्न शास्त्र के अनुसार, जो व्यक्ति पीतांबरी नीलम धारण करता है उसका बौद्धिक विकास अच्छा होता है. इस रत्न को धारण करने से बुद्धि तेज होती है, कार्यशैली में निखार आता है, मनुष्य रचनात्मक ढंग से कार्य करता है. जिन जातकों के वैवाहिक जीवन में समस्या है वे लोग पितांबरी नीलम धारण कर सकते हैं. पीतांबरी नीलम पहनने से मनुष्य को धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और आय के नए स्रोत बनते हैं. यदि किसी व्यक्ति का कार्य गुरु या शनि से जुड़ा है तो उसके लिए पितांबरी नीलम धारण करना बेहद लाभकारी माना जाता है.

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पीताम्बरी नीलम धारण करने की सही विधि

रत्न शास्त्र के अनुसार, मनुष्य को सवा 7 से सवा 8 रत्ती का पीतांबरी नीलम धारण करना चाहिए. इसे पंचधातु की अंगूठी में मध्यमा उंगली में धारण करना शुभ माना जाता है. पीतांबरी नीलम धारण करने के लिए गुरुवार और शनिवार सबसे अच्छे दिन माने जाते हैं. इस रत्न को धारण करने से पहले गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion

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