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हाइलाइट्स

भारत एशिया कप के फाइनल की रेस से लगभग बाहर हो गया है
टीम इंडिया को विश्व कप जीतना है तो कुछ सुधार करने होंगे
टीम कॉम्बिनेशन में लगातार बदलाव के फायदे कम, नुकसान ज्यादा

नई दिल्ली. डिफेंडिंग चैम्पियन भारत का इस बार एशिया कप जीतने का ख्वाब अब पूरा हो, ऐसा होता नहीं दिख रहा. पाकिस्तान के खिलाफ सुपर-4 का मुकाबला हारने के बाद भारत श्रीलंका से भी हार गया. इसके साथ ही उसके फाइनल में पहुंचने की उम्मीद लगभग खत्म हो चुकी है. पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप के बाद रोहित शर्मा कप्तान, तो राहुल द्रविड़ भारतीय टीम के कोच बने. इन दोनों के जिम्मेदारी संभालने के बाद से ही के भारतीय क्रिकेट में लगातार बदलाव हो रहा है. खासतौर पर टीम इंडिया, टी20 क्रिकेट अलग अंदाज में खेल रही है, क्योंकि इस साल अक्टूबर-नवंबर में टी20 विश्व कप होना है और भारत पिछले साल की नाकामी को भुलाकर इस बार टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करना चाहता है. लेकिन, ऐसे करने के चक्कर में कुछ ऐसे फैसले लिए गए, जो अब टीम पर भारी पड़ते दिख रहे हैं. कम से कम एशिया कप में तो यह नजर आ रहा है.

एशिया कप के शुरू होने से पहले भारत को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. इसके बाद पाकिस्तान की टीम ही खिताब के आस-पास दिख रही थी. लेकिन, सुपर-4 राउंड के शुरुआती 3 मैच बाद ही सारे समीकरण बदल गए हैं. डिफेंडिंग चैम्पियन भारत के हाथ से करीब-करीब एशिया कप फिसल गया है और पाकिस्तान के साथ अब श्रीलंका भी खिताब के दावेदार के रूप में उभरा है.

रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ बार-बार प्रयोग करने की बात भले ही कह रहे हों. लेकिन, पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ एशिया कप की लगातार दो हार भारतीय टीम के लिए खतरे की घंटी है. अगर अब भी नहीं संभले और जरूरत से ज्यादा प्रयोग किए तो फिर भारत का हाल पिछले टी20 वर्ल्ड जैसा होते देर नहीं लगेगी. भारतीय टीम को अगर ऑस्ट्रेलिया में होने वाला टी20 विश्व कप अगर जीतना है तो फौरन तीन चीजों में सुधार करना होगा. आइए एक-एक इनको समझते हैं.

टी20 वर्ल्ड कप करीब टॉप ऑर्डर सेटल नहीं
टी20 विश्व कप शुरू होने में अब 40 दिन का ही समय बचा है. एशिया कप के बाद भारत को ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से घरेलू सीरीज खेलनी है. ऑस्ट्रेलिया से जहां भारत 3 टी20 खेलेगा, तो वहीं दक्षिण अफ्रीका से 3 टी20 के अलावा इतने ही वनडे की भी सीरीज होगी. इस सीरीज का आखिरी मैच 11 अक्टूबर को खत्म होगा और इसके फौरन बाद भारतीय टीम टी20 विश्व कप के लिए ऑस्ट्रेलिया की उड़ान भरेगी. यानी एशिया कप को छोड़ दें तो भारतीय टीम टी20 विश्व कप से पहले 6 टी20 खेलेगी. ऐसे में अब भारतीय टीम को प्रयोग से बचना होगा और अपना प्लेइंग-XI सेटल करना होगा. इसमें भी टॉप ऑर्डर तय करना सबसे जरूरी है.

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विराट-केएल राहुल का स्ट्राइक रेट कमजोर
पिछले टी20 विश्व कप में भारत की हार की वजह टॉप ऑर्डर ही रहा था. हालांकि, एशिया कप में भी भारत उसी टॉप ऑर्डर के साथ उतरा. सभी मुकाबलों में केएल राहुल ने रोहित शर्मा के साथ ओपनिंग की और विराट कोहली नंबर-3 पर उतरे. लेकिन, प्रदर्शन के लिहाज से देखें तो केएल राहुल खरे नहीं उतरे. उन्होंने जब से कमबैक किया है, वो रन बनाने के लिए जूझ रहे हैं. उन्होंने 4 मैच में 104 के स्ट्राइक रेट से 70 रन बनाए. यह टी20 के लिहाज से अच्छा नहीं माना जाएगा. वो भी तब, जब भारतीय अटैकिंग क्रिकेट की सोच के साथ खेल रही है. कोहली जरूर लय में लौटते दिखे हैं. लेकिन, उनका स्ट्राइक रेट भी 122 का रहा. जो टी20 में टॉप ऑर्डर बल्लेबाज के लिहाज से बेहतर नहीं माना जाएगा.

रोहित अटैकिंग क्रिकेट तो खेल रहे हैं. अच्छी शुरुआत भी दिला रहे. लेकिन, उसे बड़ी पारी में तब्दील नहीं कर पा रहे. इसी वजह से मिडिल ऑर्डर पर दबाव आ रहा है. ऐसे में भारतीय टीम को टॉप ऑर्डर की परेशानी को दूर करना होगा.

सूर्यकुमार को ओपनिंग में आजमाया जा सकता है
बीते कुछ महीनों में प्रयोग के तहत ओपनिंग में कई खिलाड़ियों को आजमाया गया है. ऋषभ पंत, सूर्यकुमार यादव और दीपक हुडा ने पारी की शुरुआत की. इसमें सूर्यकुमार असदार साबित हुए हैं. ऐसे में अगर केएल राहुल रन बनाने में जूझ रहे हैं तो सूर्यकुमार को टॉप ऑर्डर में परखा जा सकता है. वो इस फॉर्मेट के माकूल बल्लेबाज हैं. वो मैदान के हर कोने पर शॉट्स खेल सकते हैं. उनके टॉप ऑर्डर में आने से रोहित शर्मा पर दबाव कम हो सकता है और वो पारी को संभालने की भूमिका निभा सकते हैं.

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हालांकि, भारतीय टीम मैनेजमेंट के पास ज्यादा वक्त नहीं है, अगर सूर्यकुमार को ओपनिंग में आजमाना है तो उन्हें फिर ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सभी 6 टी20 में यह जिम्मेदारी देनी होगी. ताकि वो खुद को इस रोल में ढाल सकें.

कौन होगा विकेटकीपर?
टी20 वर्ल्ड कप सिर पर है और अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि विकेटकीपर कौन होगा? यह जिम्मेदारी ऋषभ पंत निभाएंगे या टीम अनुभवी दिनेश कार्तिक के साथ जाएगी. इसे लेकर भी प्रयोग हो रहे हैं. कार्तिक सिर्फ विकेटकीपर नहीं है, बल्कि टीम उन्हें मैच फिनिशर के तौर पर देख रही है. उन्होंने जब से कमबैक किया है, तब से कई अहम पारियां खेली हैं. लेकिन, एशिया कप में उन्हें 2 मैच खेलने को मिले. पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ सुपर-4 मुकाबले में वो प्लेइंग-XI का हिस्सा नहीं रहे. उनके स्थान पर पंत खेले. लेकिन, वो भी बल्ले से कुछ खास नहीं कर पाए.

भारत ने हॉन्गकॉन्ग के खिलाफ मुकाबले में कार्तिक और पंत दोनों को खिलाया. लेकिन, भारतीय टीम मैनेजमेंट की यह सोच समझ से परे रही, क्योंकि कार्तिक की इस मैच में बल्लेबाजी ही नहीं आई और वो विकेटकीपिंग की जगह आउटफील्ड में दौड़ लगा रहे थे.

बार-बार बदलाव करना कार्तिक और पंत के लिए भी ठीक नहीं है. इससे उनके प्रदर्शन पर भी असर पड़ता है और टीम में अपनी जगह को लेकर भी हमेशा संदेह बना रहता है. ऐसे में कप्तान रोहित शर्मा और कोच द्रविड़ को अगर टी20 विश्व कप खेलना है तो इन दोनों में से किसी एक पर भरोसा दिखाना होगा और फिर उसे उतने मौके देने होंगे, ताकि वो अपने रोल में फिट हो सके.

टीम कॉम्बिनेशन में बदलाव बंद करना होगा
भारतीय टीम पिछले साल टी20 विश्व कप के बाद से ही इस टूर्नामेंट के अगले संस्करण की तैयारियों में जुट गई थी. इसी वजह से पिछले विश्व कप के बाद से ही भारत ने 25 से अधिक खिलाड़ियों को टी20 फॉर्मेट में आजमाया. इसमें गेंदबाज, बल्लेबाज, विकेटकीपर और ऑलराउंडर सब शामिल हैं. पिछले टी20 विश्व कप के बाद से भारत ने अब तक 27 टी20 खेले हैं और इसमें 25 से अधिक खिलाड़ियों को प्लेइंग-XI में आजमाया है. कहने को यह प्रयोग अच्छा हो सकता है.इससे बेंच स्ट्रेंथ को परखने का मौका मिल सकता है. लेकिन, जब आप टी20 विश्व कप की तैयारी के मद्देनजर ऐसा कर रहे हैं, तो फिर कहीं न कहीं रणनीति में चूक है.

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इतने ज्यादा खिलाड़ियों को आजमाने और बार-बार टीम कॉम्बिनेशन बदलने के कारण कोई खिलाड़ी सेटल नहीं हो पा रहा है. अगर कुछ बल्लेबाजों को छोड़ दें तो बाकी को यह पता ही नहीं कि उन्हें किस नंबर पर बल्लेबाजी करनी है. बार-बार उनका बैटिंग ऑर्डर बदला जा रहा है. यही हाल गेंदबाजों का भी है.

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बिश्नोई को ड्रॉप करना समझ से परे
रवि बिश्नोई का ही अगर उदाहरण लें, तो उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ सुपर-4 मुकाबले में मौका दिया गया है. वो सबसे किफायती गेंदबाज साबित हुए. जब युजवेंद्र चहल, हार्दिक पंड्या और भुवनेश्वर कुमार जैसे गेंदबाज पिट रहे थे तो बिश्नोई ने कसी हुई गेंदबाजी की. लेकिन, श्रीलंका के खिलाफ उन्हें बाहर कर दिया गया है. वो भी सिर्फ इसलिए कि श्रीलंकाई टीम में बाएं हाथ के बल्लेबाज ज्यादा हैं और उनके खिलाफ आर अश्विन ज्यादा असरदार साबित हो सकते हैं. मजे की बात यह कि बाएं हाथ के बल्लेबाजों को वक्त ही नहीं मिला. श्रीलंका के दाएं हाथ के दोनों ओपनर ने ही 11 ओवर खेल डाले.

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टीम कॉम्बिनेशन में बार-बार बदलाव का नुकसान
वहीं, अगर श्रीलंका और पाकिस्तान को देखें तो बीते कुछ महीनों में इन टीमों ने भी डेढ़ दर्जन से अधिक खिलाड़ियों को टी20 में मौका दिया है. लेकिन, दोनों टीमों ने बार-बार प्लेइंग-XI और टीम कॉम्बिनेशन में बदलाव नहीं किया. यही वजह है कि यह दोनों टीमें टी20 विश्व कप से पहले अच्छी लय हासिल कर चुकी हैं. अब भारत के सामने बड़ी चुनौती खड़ी है.

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