
हाइलाइट्स
कोझीकोड सत्र न्यायाधीश – एसटी / एसटी एक्ट लगाने के लिए आरोपी को पीड़ित की जाति की जानकारी हो
सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को यौन उत्पीड़न मामले में अग्रिम जमानत
यौन उत्पीड़न के आरोप समाज में आरोपी की छवि को खराब करने का प्रयास
कोझीकोड. लेखक सिविक चंद्रन को जमानत देते हुए केरल की अदालत का कहना है कि ये बात बेहद अविश्वसनीय है कि वह किसी महिला को ये जानकर छूएगा कि वह अनुसूचित जाति की है. लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को उनके खिलाफ एक दलित लेखक द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में अग्रिम जमानत देते हुए कोझीकोड जिला सत्र अदालत ने यह टिप्पणी की.
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक कोझीकोड सत्र न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी ने ‘यौन उत्तेजक’ पोशाक में शिकायतकर्ता की तस्वीरें पेश की थीं. एक दलित लेखक ने 17 जुलाई को शिकायत में आरोप लगाया कि करीब 70 साल के चंद्रन ने 17 अप्रैल को महिला की गर्दन को चूमने की कोशिश की. जज एस कृष्ण कुमार ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराध प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ नहीं खड़े होंगे क्योंकि यह ‘अत्यधिक अविश्वसनीय है कि वह पीड़िता के शरीर को पूरी तरह से जानते हुए छूएगा कि वह एक अनुसूचित जाति की सदस्य है. एसटी / एसटी एक्ट के तहत अपराध तय करने से पहले यह साबित करना होगा कि आरोपी का कार्य इस जानकारी के साथ हुआ था कि पीड़ित एसटी / एसटी का सदस्य है.
उन्होंने कहा कि उपलब्ध सामग्री से पता चलता है कि यह समाज में आरोपी की छवि को खराब करने का एक प्रयास है. वह जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ रहे हैं और कई आंदोलनों में शामिल हैं. प्रथम सूचना बयान में यह बिल्कुल भी नहीं कहा गया है कि आरोपी का काम इस ज्ञान के साथ था कि पीड़िता अनुसूचित जाति की सदस्य की थी. इसलिए प्रथम दृष्टया एससी/ एसटी अत्याचार (रोकथाम) अधिनियम की धारा 3 (1) डब्ल्यू (1) और धारा 3 (2) (वीए) के तहत अपराध आरोपी के खिलाफ नहीं लगेंगे.
चंद्रन पर आईपीसी की धारा 354, 354 (ए) (i), 354 ए (2), और 354 डी (2) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 (1) डब्ल्यू (1) और 3 (2) (वीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था. एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (1) डब्ल्यू (1) और धारा 3 (2) (वीए) का जिक्र करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी को यह जानकारी होनी चाहिए कि पीड़िता एससी/एसटी वर्ग की है और ऐसा कृत्य यौन प्रकृति का और सहमति के बिना होना चाहिए.
महिला उत्तेजक कपड़े पहने थी तो नहीं मानी जाएगी यौन उत्पीड़न की शिकायत : केरल हाईकोर्ट
उन्होंने कहा कि शिकायत दर्ज करने में देरी के संबंध में महिला की ओर से कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. जज ने कहा कि आरोपी की उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए यह विश्वास नहीं किया जा सकता है कि उसने उस महिला को चूमा जो उससे लंबी है. न्यायाधीश ने कहा कि यह पाया गया कि उनके सौहार्दपूर्ण संबंध थे, लेकिन उनके द्वारा लिखी गई एक रचना के प्रकाशन पर विवाद था.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : August 19, 2022, 11:19 IST
Article Credite: Original Source(, All rights reserve)