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पटना3 घंटे पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद

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हॉकी की नेशनल खिलाड़ी रह चुकी हैं अरुणिमा रॉय - Dainik Bhaskar

हॉकी की नेशनल खिलाड़ी रह चुकी हैं अरुणिमा रॉय

उड़ीसा, बिहार से अलग हुआ और आज हॉकी की वजह से उड़ीसा की पहचान दुनिया भर में हैं। झारखंड की भी अच्छी पहचान है। हालांकि हॉकी बिहार की पहचान हुआ करती थी वह धुंधली हो रही है। बिहार में खिलाड़ियों के लिए एक भी हॉकी का एस्ट्रो टर्फ मैदान नहीं है। एक है तो वह बीएमपी के लिए।

खिलाड़ियों के सपनों के साथ खिलवाड़

बिहार की जिद है कि सामान्य घास के मैदान पर हॉकी की प्रैक्टिस कराकर ओलंपिक में मेडल लेने भेजेंगे! यह जिद युवा खिलाड़ियों के सपनों के साथ खिलवाड़ है। बिहार में हर साल इंग्लैंड से पटना आकर टूनार्मेंट करवाने वाली नेशनल हॉकी प्लेयर रह चुकीं अरुणिमा रॉय का दर्द हॉकी को लेकर जानने लायक है। वे अपने पापा की याद में 2018 से आर के रॉय हॉकी टूर्नामेंट करवा रही हैं। इनके घर में दो नेशनल हॉकी प्लेयर हैं। इस बार नक्सली हिंसा के शिकार आईपीएस अजय सिंह और अपने पापा आरके रॉय की याद में यह आयोजन करवा रही हैं। भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। यह आरोप उन्होंने ऐसे समय में लगाया है जब बिहार में नेशनल लेवल का खेल कार्यक्रम NIDJAM-2023 की मेजबानी बिहार कर रहा है।

सवाल- उड़ीसा दुनिया में मिसाल है, बिहार हॉकी में क्यों पीछे जा रहा है?

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जवाब- जब मैं नेशनल खेल रही थी तब भी हॉकी में बिहार की स्थिति अच्छी नहीं और अब जब मैं टूर्नामेंट करवा रही हूं तब और भी खराब है। हॉकी में पिछले 40 साल से बिहार हॉकी के सर्वेसर्वा यानी सेक्रेटरी हैं उनका नाम मुस्ताक अहमद सर है। वे हॉकी इंडिया के प्रेसीडेंट रह चुके हैं। उनपर सीबीआई केस हुआ था उसके बाद उस पद को छोड़ना पड़ा लेकिन बिहार में पद पर बने हुए हैं। मैंने प्लेयर के रूप में सहा लेकिन अब मैं चाहती हूं कि बिहार के खिलाड़ी आगे बढ़ें। विनर हों। रनर हों।

सवाल- सामान्य खेल के मैदान में बच्चे हॉकी खेलेंगे, तो वे ओलंपिक तक पहुंच पाएंगे?

जवाब- कभी नहीं खेल पाएंगे। ओलंपिक का अपना मानक है।

सवाल- बिहार में अब तक इतने वर्षों में एक भी एस्ट्रो टर्फ मैदान क्यों नहीं बन पाया?

जवाब- हॉकी बिहार की जवाबहेदी है कि वह बिहार सरकार से एक ग्राउंड अप्रूव करवाए। एक एस्ट्रो टर्फ बनवाए। 40 साल में ये काम नहीं करवा पाए। हमलोग आठ हजार देकर बीएमपी ग्राउंड बुक करवा कर टूर्नामेंट करवाते रहे हैं। इस बार खेल प्राधाकिरण के डीजी रवीन्द्रण शंकरण को थैंक्स कहना चाहता हूं कि इस बार ग्राउंड के लिए कंकड़बाग में रुपए नहीं देने पड़े। हमलोग बिहार में अपने पापा के नाम पर आरके रॉय फाउंडेशन शुरू किया है।

सवाल- बच्चों का कैसा रिस्पांस है हॉकी को लेकर ?

जवाब- आप देख सकते हैं कि हॉकी की इतनी बुरी स्थिति है फिर भी बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है। लेकिन बच्चों में बिहार हॉकी को लेकर हो रही पॉलिटिक्स से बच्चे स्टेट या फिर गेम छोड़ रहे हैं । मैने 96 से नेशनल हॉकी खेला है। हमलोगों ने हॉकी इंडिया में अप्लाई किया है कि हमारे खिलाड़ी नेशनल खेल सकें। लेकिन हाकी बिहार के मुस्ताक अहमद सर ने कई तरह के कागजात मांगे। हमलोगों ने पेपर भेजा लेकिन नतीजा शून्य है। कब कैंप लगता है, कब सेलेक्शन होगा कोई जानकारी नहीं मिलती है! हॉकी बिहार की वेबसाइट पर जाकर देखें कोई अधिक जानकारी नहीं मिलेगी जबकि हॉकी इंडिया की वेबसाइट पर कई तरह की जानकारी मिलती है। हॉकी को बढ़ाना है तो उन्हें एक टेबुल पर बैठ कर बात करनी चाहिए। उनका रवैया हॉकी को लगातार पीछे ले जा रहा है।

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मुस्ताक अहमद ने आरोप पर भास्कर से कहा

अरुणिमा रॉय कब हॉकी खेली हैं मैं नहीं जानता हूं! वे विदेश में रहती हैं। उनके इल्जाम लगा देने से नहीं हो जाएगा। जो गलत है वह गलत ही रहेगी। बिहार की टीम ने खेलो इंडिया में भी खेला है। कहा कि 2011 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिजिकल कॉलेज के ग्राउंड में हॉकी का स्टोटर्फ लगाने की बात कही थी, लेकिन अब तक नहीं लगा है। खेल प्राधिकरण के डीजी इसमें लगे हुए हैं। अभी हम आर्मी के एस्ट्रो टर्फ पर प्रैक्टिस कराकर खिलाड़ियों को खेलने बाहर भेजते हैं। अरुणिमा रॉय तो हॉकी इंडिया से बात करती हैं, इसमें हम क्या कर सकते हैं। एस्ट्रो टर्फ के लिए सरकार भी लगी हुई है। हम लौटते हैं तो विस्तार से आपको बताते हैं।

आपको हॉकी इंडिया पद से क्यों हटना पड़ा, सीबीआई का केस हुआ था क्या?

इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह दूसरा मामला था, मैंने टर्म पूरा होने पर छोड़ा। इस पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता। खिलाड़ियों को हॉकी बिहार की वेबसाइट पर पूरी सूचनाएं क्यों नहीं मिल पा रहीं ? इस सवाल के जवाब में मुस्ताक अहमद ने कहा कि हम जिला को मैच से जुड़ी जानकारी के लिए लेटर भेजते हैं।

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