e0a495e0a4ade0a580 e0a4a6e0a4bfe0a4b2e0a58de0a4b2e0a580 e0a4aee0a587e0a482 e0a4a6e0a581e0a495e0a4bee0a4a8 e0a49ae0a4b2e0a4be
e0a495e0a4ade0a580 e0a4a6e0a4bfe0a4b2e0a58de0a4b2e0a580 e0a4aee0a587e0a482 e0a4a6e0a581e0a495e0a4bee0a4a8 e0a49ae0a4b2e0a4be 1

नई दिल्‍ली.हरियाणा (Haryana) में साल 2019 का विधानसभा चुनाव (Haryana assembly elections 2019) जहां कांग्रेस बिना किसी चेहरे के लड़ेगी तो बीजेपी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (manohar lal khattar) के नाम पर ताल ठोक कर चुनाव लड़ेगी. मनोहर लाल खट्टर के रूप में बीजेपी (BJP) ने पांच साल में पहला गैर जाट चेहरा हरियाणा की राजनीति में स्थापित किया है और अब उस नाम को भुनाने का वक्त है. मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में बीजेपी के भरोसे पर खरा उतरने में कामयाब हुए हैं. खट्टर पहली बार विधायक बने और पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री भी. शुरुआत में ये कहा जाता था कि मनोहर लाल खट्टर को शासन का तजुर्बा नहीं है. लेकिन मनोहर लाल खट्टर ने प्रशासन पर पकड़ साबित कर ये बता दिया कि वो राजनीति के साथ साथ राज-काज में भी माहिर हैं.

खट्टर के लिए मुख्‍यमंत्री काल का टेस्‍ट होगा यह चुनाव
मनोहर लाल खट्टर पहली राजनीतिक परीक्षा पास कर चुके हैं लेकिन साल 2019 का विधानसभा चुनाव उनकी वास्तविक अग्निपरीक्षा होगी क्योंकि ये उनके मुख्यमंत्री काल का भी टेस्ट होगा तो उनकी राजनीतिक क्षमताओं का भी इम्तिहान होगा. हालांकि आरएसएस की पृष्ठभूमि से आए खट्टर के लिए ये चुनौती मुश्किल नहीं होगी. बतौर संघ के प्रचारक और फिर नेता के रूप में संगठन की मजबूती और प्रबंधन में खट्टर माहिर रहे हैं. संघ की कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही खट्टर को सत्ता की सीढ़ियों पर चढ़ने का मौका मिला.

2014 में पहला चुनाव जीतकर बने मुख्‍यमंत्री
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अतीत मनोहर लाल खट्टर को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में सीढ़ी साबित हुआ. मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के दसवें मुख्यमंत्री हैं. आरएसएस के प्रचारक रहे मनोहर लाल खट्टर ने साल 2014 में पहली दफे चुनाव जीता. हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा की सरकार के वक्त हुए चुनाव में खट्टर ने करनाल में करिश्मा कर दिखाया. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह नारवाल को 63,736 वोटों के भारी अंतर से हराकर 2014 के चुनावों में अपना पहला चुनाव जीता. मनोहर लाल खट्टर को संघ की सेवा का फल भी मिला कि जिस चेहरे से लोग 2014 के विधानसभा चुनाव तक अंजान थे उसी चेहरे ने पहली दफे चुनाव जीतकर ही मुख्यमंत्री पद का ताज भी पहना.

READ More...  Kanjhawala Case: कांड में शामिल सातवें आरोपी अंकुश खन्ना ने सरेंडर किया | Hindi News | Sultanpuri |

दिल्‍ली के सदर बाजार में खोली थी दुकान
खट्टर खत्री जाति से आते हैं. वो मूल रूप से पंजाबी हैं. खट्टर का जन्म 5 मई 1954 को रोहतक जिले की महम तहसील के निदाना गांव में हुआ. दरअसल, उनका परिवार बंटवारे के बाद पाकिस्तान को छोड़कर रोहतक जिले के बिदाना गांव में बस गया था. खट्टर की स्कूली शिक्षा रोहतक में ही हुई. 10वीं पास करने के बाद वो रोहतक से दिल्ली आ गए. दिल्ली विश्‍वविद्यालय से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने सदर बाजार में एक दुकान खोल ली. वो आपातकाल का दौर था. उस दौरान खट्टर आरएसएस के संपर्क में आए.

24 साल की उम्र में आरएसएस के सदस्‍य बने
साल 1977 में मात्र 24 साल की उम्र में ही खट्टर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली. 27 साल की उम्र में वे संघ के प्रचारक बन गए। 14 साल तक वो लगातार संघ के लिए प्रचार करते रहे. साल 1994 में खट्टर बीजेपी में शामिल हुए. बीजेपी ने खट्टर को हरियाणा का महासचिव बनाया. साल 2014 तक वो हरियाणा के प्रदेश महासचिव के पद पर बने रहे. हरियाणा के सीएम हे के अलावा वो बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य भी हैं.

संघ के प्रचार में समर्पित किया जीवन
मनोहर लाल खट्टर अविवाहित हैं. उन्होंने अपना जीवन संघ के प्रचार में समर्पित कर दिया. संघ के प्रचारक के दौर में ही उनकी मुलाकात पीएम नरेंद्र मोदी से हुई थी. मोदी उस वक्त हरियाणा बीजेपी के प्रभारी हुआ करते थे. दोनों की घनिष्ठता और आपसी भरोसा भी एक बड़ी वजह है कि मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. हरियाणा में बेटों के मुकाबले बेटियों के कम होते अनुपात की वजह से पीएम मोदी ने अपने महत्वाकांक्षी अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की शुरुआत भी हरियाणा से की.

READ More...  7 बार से वडाला से विधायक कालिदास कोलम्बकर की बीजेपी के साथ नई पारी

हरियाणा के पहले गैर जाट सीएम हैं खट्टर
खट्टर के रूप में हरियाणा को पहली बार गैर जाट मुख्यमंत्री मिला. 26 अक्टूबर 2014 को हरियाणा के सीएम पद की शपथ लेने वाले खट्टर पहले बीजेपी नेता बने. हालांकि खट्टर प्रशासन पर लॉ एंड ऑर्डर को लेकर कई दफे सवाल उठे. डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद पंचकुला हिंसा की आंच खट्टर सरकार पर भी आई. इसी तरह गुर्जर आरक्षण के दौरान राज्य में हुई हिंसा और आगजनी की आंच भी खट्टर सरकार पर आई.

यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री के निर्देश, ‘हरपथ ऐप’ पर आई शिकायतों का जल्द निपटारा करें विभाग

Tags: Assembly Election 2019, Assembly elections, BJP, Haryana Assembly Election 2019, Haryana news, Manohar Lal Khattar

Article Credite: Original Source(, All rights reserve)