
नई दिल्ली: चुनाव दर चुनाव एससी और एसटी सीटों पर मिल रही हार ने कांग्रेस को चिंतित कर दिया है और उसे लगता है कि आरक्षित सीटों पर नहीं जीतना ही, उसके खराब चुनावी प्रदर्शन का मुख्य कारण है. इसके लिए देश की सबसे पुरानी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हारे 121 में से 56 आरक्षित संसदीय क्षेत्रों को अगले आम चुनाव में ध्यान केंद्रित करने के लिए शॉर्टलिस्ट किया है. अपने ‘नेतृत्व विकास मिशन’ के तहत कांग्रेस एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक बहुल्य सीटों पर ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना चाहती है, जिनके पास पार्टी की मदद करने के लिए उचित कौशल और जनाधार हो. लोकसभा चुनाव 2024 में अब बहुत कम समय बचा है. कांग्रेस पार्टी ने समन्वयकों के लिए ‘नेतृत्व विकास मिशन’ प्रशिक्षण शुरू कर दिया है, और इसे जल्द ही लॉन्च कर दिया जाएगा.
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द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस द्वारा चिन्हित 28 एससी सीटें 12 राज्यों में फैली हुई हैं, जबकि 28 एसटी सीटें भी 12 राज्यों में फैली हुई हैं. ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां 2009 के चुनावों में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी, और पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि ये क्षेत्र कांग्रेस के लिए सबसे अच्छे अवसरों का प्रतिनिधित्व करते हैं. रिपोर्ट में कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के हवाले से कहा गया है, ‘अपने संसाधनों को पूरे देश में फैलाने के बजाय चिन्हित क्षेत्रों में ध्यान देना बेहतर है.’ कांग्रेस पार्टी अपने ‘नेतृत्व विकास मिशन’ के तहत ‘संसद-सीट प्रभारी’ की एक समर्पित संरचना का निर्माण करेगी. संसद-सीट प्रभारी उस निर्वाचन क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में ‘समन्वयकों’ के माध्यम से काम करेगा.
संसद-सीट प्रभारी का काम दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के बीच समर्थन जुटाने में सक्षम व्यक्तियों की पहचान करना होगा. रिपोर्ट में कांग्रेस सूत्रों के हवाले से कहा गया है, ‘संसद-सीट प्रभारी को चुनाव से पहले कांग्रेस से सहानुभूति रखने वाले मतदाताओं की सूची और उम्मीदवार को अभियान योजना सौंपने की स्थिति में होना चाहिए. क्योंकि उम्मीदवार के पास हर प्रचार के लिए घर तक पहुंचने के लिए बमुश्किल एक महीना होता है.’ संसद-सीट प्रभारियों और समन्वयकों को क्षेत्र में अपना काम शुरू करने से पहले, कांग्रेस उनके कौशल को विकसित करने में मदद करने के लिए नेतृत्व का पाठ पढ़ाएगी. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हिस्सेदारी तेजी से गिरने के साथ, पार्टी प्रबंधकों ने निष्कर्ष निकाला है कि यह निराशाजनक प्रदर्शन सीधे आरक्षित सीटों में पार्टी के पतन से जुड़ा हुआ है, जो एक वक्त में इसका गढ़ हुआ करता था.
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कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि ‘नेतृत्व विकास मिशन’ की देखरेख राहुल गांधी के प्रमुख सहयोगी के. राजू कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे ‘उच्च प्राथमिकता’ करार दिया है. एआईसीसी महासचिव और संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल के सभी संबंधित राज्य इकाइयों के साथ ‘नेतृत्व विकास मिशन’ के विवरण और दिशानिर्देशों को साझा करने की संभावना है. कांग्रेस के फोकस वाली अनुसूचित जाति की सीटों में, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में 4-4 निर्वाचन क्षेत्र हैं, जबकि तेलंगाना में 3 और बिहार, गुजरात और हरियाणा में 2-2 निर्वाचन क्षेत्र हैं. एसटी आरक्षित सीटों में एमपी में 6, गुजरात में 4, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में 3-3, झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में 2-2 सीटें हैं. इसके अलावा, कांग्रेस ने 5 राज्यों – त्रिपुरा, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में 243 एससी और एसटी सीटों की भी पहचान की है, जहां 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 15, 2023, 08:01 IST
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