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हाइलाइट्स

भारत की तरह स्वतंत्र दुनिया में कोई न्यायपालिका नहीं: रिजिजू
भारतीय न्यायाधीश और न्यायपालिका पूरी तरह से सुरक्षित: रिजिजू
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण ने उठाया था मीडिया ट्रायल का मुद्दा

नई दिल्ली. केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि ‘दुनिया में कोई भी न्यायपालिका भारत की तरह स्वतंत्र नहीं है.’ यह टिप्पणी भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण के कई मामलों में मीडिया ट्रायल के बारे में बोलने के बाद आई है. रिजिजू ने कहा कि ‘सीजेआई रमण द्वारा इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया द्वारा मीडिया ट्रायल पर की गई टिप्पणियां भारत और दुनिया भर में मौजूद स्थिति के अनुसार उनका अवलोकन हैं. अगर किसी को ऐसा लगता है कि हम पब्लिक डोमेन में इस पर चर्चा कर सकते हैं, तो उन्होंने अभी जो कहा, उस पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता.’

एनडीटीवी डॉटकॉम की एक खबर के मुताबिक रिजिजू ने कहा कि ‘भारतीय न्यायाधीश और न्यायपालिका पूरी तरह से सुरक्षित हैं और मैं स्पष्ट रूप से कह सकता हूं कि कोई भी न्यायाधीश या न्यायपालिका दुनिया में कहीं भी उतनी स्वतंत्र नहीं है जितनी भारत में है.’ इससे पहले मीडिया ट्रायल की बढ़ती संख्या के मुद्दे पर CJI रमण ने कहा कि नए मीडिया टूल्स में व्यापक विस्तार करने की क्षमता होती है, लेकिन वे सही और गलत, अच्छे और बुरे और वास्तविक और फर्जी के बीच अंतर करने में असमर्थ होते हैं. मुख्य न्यायाधीश रमण ने इसके बारे में भी आगाह किया कि न्यायाधीश तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं और इसे गलती से कमजोरी या लाचारी नहीं माना जाना चाहिए.

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सीजेआई रमण ने कहा कि मीडिया द्वारा प्रचारित पक्षपातपूर्ण विचार लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इससे न्यायिक प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि ‘अपनी जिम्मेदारी से आगे बढ़कर और अपनी जिम्मेदारी का उल्लंघन करके आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं. प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही है. जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जवाबदेही नहीं है क्योंकि यह जो दिखाता है वह कुछ क्षण में गायब हो जाता है. फिर सोशल मीडिया तो और बदतर है.

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सीजेआई रमण ने इस बात का भी उल्लेख किया कि इन दिनों जजों पर हमलों की संख्या बढ़ रही है. मुख्य न्यायाधीश रमण ने ये भी कहा कि न्यायाधीशों की कथित आरामतलब जीवनशैली बारे में झूठी बातों को स्वीकार कर पाना भी कठिन  है. उन्होंने कहा कि लोगों के मन में एक गलत धारणा है कि न्यायाधीश परम आराम में रहते हैं. केवल सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक काम करते हैं और अपनी छुट्टियों का आनंद लेते हैं. ऐसी कहानियां गलत हैं.

Tags: Chief Justice of India, Kiren rijiju, Supreme Court, Supreme court of india

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