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हाइलाइट्स

गांधी परिवार के सदस्य आधार स्तंभ, वह पीछे नहीं हट सकते
मैं पार्टी के भीतर निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराने का मुखर समर्थक

नई दिल्ली. कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे शशि थरूर ने शुक्रवार को कहा कि वह खुद को ‘अंडरडॉग’ कहे जाने और कुछ हलकों में एक ‘आधिकारिक उम्मीदवार’ के संबंध में चर्चा किए जाने से वाकिफ हैं, लेकिन गांधी परिवार ने उन्हें बार-बार आश्वस्त किया है कि वह ‘प्रत्यक्ष या परोक्ष’ रूप से किसी का समर्थन नहीं कर रहा है. नई दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ‘एआईसीसी’ के मुख्यालय में शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले थरूर ने यह भी कहा कि स्पष्ट तौर पर चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से आदर्श नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि अब इस चुनाव प्रक्रिया में सुधार की मांग करने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि अगर कोई मैच खेलना चाहता है तो उसे ‘उपलब्ध पिच पर ही बल्लेबाजी’ करनी होगी.

तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने हालांकि जोर देकर कहा कि वह यह सुनिश्चित करने की पार्टी की प्रतिबद्धता को लेकर आश्वस्त हैं कि अध्यक्ष पद का चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से हो. न्यूज एजेंसी को दिए विशेष साक्षात्कार में थरूर ने कहा कि उनका मानना है कि एक नया नेता जिस पर मौजूदा तंत्र में बहुत लंबे समय से उलझे रहने के कारण थकान हावी नहीं हुई है पार्टी में नई ऊर्जा भर सकता है. ऐसा नेता कांग्रेस द्वारा पिछले कुछ चुनावों में जुटाए गए जनसमर्थन से कहीं अधिक मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है. 66 वर्षीय नेता ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गांधी परिवार इस तथ्य को मान्यता देगा कि वह कांग्रेस का आधार स्तंभ है और बना रहेगा. वह ‘हमारी नैतिक अंतरात्मा और अंतिम मार्गदर्शक‘ है और बना रहेगा.

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गांधी परिवार के सदस्य आधार स्तंभ, वह पीछे नहीं हट सकते

उन्होंने कहा कि गांधी परिवार के सदस्य इस भूमिका से पीछे नहीं हट सकते और उन्हें हटना भी नहीं चाहिए. फिर चाहे वे जो भी औपचारिक पद अपने पास रखें. थरूर ने कहा मेरे विचार से पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव भले ही एक आंतरिक अभ्यास है, लेकिन यह कांग्रेस में व्यापक स्तर पर लोगों की रुचि को जगाने और पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के अवसर का भी प्रतिनिधित्व करता है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जब 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी. तब वह ‘थरूर‘ उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने उन्हें ‘राहुल को‘ ऐसा कदम न उठाने के लिए मनाने की कोशिश की थी.

खिसक रहा है कांग्रेस का पारंपरिक वोट

पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर ने कहा ‘अंत में वह अपने फैसले पर कायम रहे और हमें इसका सम्मान करना चाहिए. इसने यह भी साबित किया कि कांग्रेस सब कुछ ठीक करने में जितना ज्यादा समय लेगी. हमारे पारंपरिक वोट बैंक के लगातार खिसकने और उसके हमारे राजनीतिक प्रतिस्पर्धियों के प्रति आकर्षित होने का जोखिम उतना ही अधिक रहेगा.‘

मैं पार्टी के भीतर निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराने का मुखर समर्थक

उन्होंने कहा- ‘यही कारण है कि मैं लंबे समय से पार्टी के भीतर निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराने का मुखर समर्थक रहा हूं, जिसमें अध्यक्ष पद का चुनाव भी शामिल है. दरअसल कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा चुने गए नेता को संगठनात्मक चुनौतियों को हल करने के साथ-साथ पार्टी के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को अंजाम देने में अधिक मदद मिलेगी, जो संगठन को आंतरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए अहम है.‘

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पुराने ढर्रे पर काम करना हमें कहीं नहीं ले जाएगा

थरूर ने तर्क दिया कि ऐसे अध्यक्ष के पास जनता का समर्थन जुटाने के लिए उस तक पहुंच बनाने की अतिरिक्त मान्यता होगी. उन्होंने कहा कि ‘पुराने ढर्रे पर काम करना‘ हमें कहीं नहीं ले जाएगा. थरूर ने कहा कि जो भी व्यक्ति अध्यक्ष चुना जाता है, उसे एक ऐसा रोडमैप तैयार और लागू करना चाहिए, जिससे कांग्रेस को 2014 और 2019 में पार्टी के पक्ष में मतदान करने वाले 19 प्रतिशत मतदाताओं से कहीं अधिक मतदाताओं को आकर्षित करने का रास्ता खोजने में मदद मिले. उन्होंने कहा पार्टी को उन लोगों से अपील करनी होगी, जिन्होंने उन दो चुनावों में उसे वोट नहीं दिया और भाजपा के पक्ष में चले गए. इनमें से अधिकांश ने हिंदुत्व से इतर अन्य कारणों से ऐसा किया.

थरूर ने कहा कि इसके लिए एक ऐसे नेता की जरूरत होगी जो पार्टी के इतिहास से जुड़े रहते हुए युवा भारत की आकांक्षाओं को संबोधित करने के लिए अतीत से परे देखता हो. एक ऐसा व्यक्ति जो दृढ़ता से मानता हो कि पार्टी देश को एक बेहतर समाज बनने की दिशा में आगे ले जा सकती है. एक ऐसा व्यक्ति जो 21वीं सदी की दुनिया में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हो.

कांग्रेस के लिए दोहरी चुनौती, समाधान प्रभावी नेतृत्व और संगठन सुधार मेंः थरूर

उन्होंने कहा-‘इसलिए कांग्रेस के लिए चुनौती दोहरी है. हमें राष्ट्र के लिए सकारात्मक और आकांक्षात्मक दृष्टिकोण स्पष्ट करने के साथ-साथ संगठनात्मक और संरचनात्मक कमियों को दूर करने की दिशा में काम करने की जरूरत है, जिनके चलते हमारे हालिया प्रयास बाधित हुए हैं.‘ थरूर ने कहा-‘मेरे विचार से समस्या का समाधान प्रभावी नेतृत्व और संगठनात्मक सुधार के संयोजन में छिपा हुआ है.‘

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