
रांची. राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू ने नामांकन दाखिल कर दिया है. वहीं, UPA की ओर से यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया है और वे भी जल्दी ही नामांकन कर सकते हैं. खास बात यह कि राष्ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवारों का झारखंड के साथ अपना एक अलग लगाव है. NDA उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू ने जहां 6 साल तक झारखंड के राज्यपाल के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाई है, वहीं UPA उम्मीदवार यशवंत सिन्हा झारखंड की माटी से राजनीति करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते हैं. यही वजह है कि आज जब राष्ट्रपति पद के इन दो उम्मीदवारों की जब चर्चा हो रही है तब सबकी जुबां पर झारखंड का नाम है.
इस वक्त दोनों ही उम्मीदवार राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल करने में जुटे हैं. ऐसे में झारखंड के आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सबकी निगाहें टिकी हैं. गठबन्धन सरकार की अगुवाई कर रहे हेमंत सोरेन के सामने UPA में रहते हुए द्रोपदी मुर्मू को समर्थन करने को लेकर लगातार सवाल पूछे जा रहा है . सवाल पूछे जाने को लेकर द्रोपदी मुर्मू और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच अच्छे संबंध की दुहाई दी जा रही है. ये कहा जा रहा है कि जेएमएम का समर्थन द्रौपदी मुर्मू को जरूर मिलेगा. अब तक इस सवाल के जवाब में हेमंत सोरेन ने जेएमएम के द्वारा इस पर निर्णय लेने की बात कही है.
राजनीतिक के जानकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री का ये बयान भी द्रोपदी मुर्मू को दिए जाने वाले समर्थन की संभावना को बढ़ाने वाला है. मतलब न तो हेमंत सोरेन ने NDA का समर्थन करने इंकार किया और न ही UPA को समर्थन देने की घोषणा की है. जेएमएम अध्यक्ष शिबू सोरेन ने 25 जून को राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सांसद और विधायकों की बैठक आहूत की है. इस बैठक के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
दूसरी ओर जेएमएम सूत्रों की मानें तो द्रोपदी मुर्मू को जेएमएम का समर्थन मिलने की प्रबल संभावना है. जेएमएम आदिवासी महिला उम्मीदवार और आदिवासी राजनीति को ध्यान में रख कर ये निर्णय लेने जा रही है. भारतीय इतिहास में ये पहला मौका होगा जब द्रौपदी मुर्मू के जीतने पर किसी आदिवासी महिला का नाम राष्ट्रपति की सूची में दर्ज हो जाएगा. जेएमएम राष्ट्रपति के चयन में अपनी भूमिका से नहीं चूकना चाहेगा. शायद यही वजह है कि जेएमएम ने फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
द्रौपदी मुर्मू और हेमंत सोरेन के बीच पारिवारिक संबंध भी जहजाहिर है. इसलिए संभावना द्रोपदी मुर्मू के साथ सालों से चले आ रहे संबंध को निभाने की भी है. हालांकि, जेएमएम का निर्णय स्पष्ट तौर पर जनजातीय सियासत की परिस्थितोयों को केंद्र बिंदु में रख कर लेने का होगा. माना जा रहा है कि जेएमएम अपने निर्णय से अपने भविष्य की राजनीति को भी साधने की कोशिश करेगा.
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FIRST PUBLISHED : June 24, 2022, 14:42 IST
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