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रांची. तमाड़ थाना क्षेत्र में ग्राम प्रधान की हत्या की गुत्थी को सुलझाते हुए पुलिस ने मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. ग्राम प्रधान की हत्या में शामिल आरोपी पीएलएफआई से जुड़े थे. मिली जानकारी के अनुसार, इस हत्या को अंजाम देने के पीछे की वजह जमीन के खेल में पीएलएफआई की एंट्री मानी जा रही है. जिसका विरोध करना ग्राम प्रधान को महंगा पड़ गया.

बताया जा रहा है कि तमाड़ थाना क्षेत्र के लोहड़ी गांव के ग्राम प्रधान अशोक सिंह मुंडा की हत्या के पीछे वन विभाग की सरकारी जमीन थी जिसे पीएलएफआई उग्रवादियों द्वारा हड़पा जाना था. लेकिन, ग्राम प्रधान अधिकनिंग मुंडा लगातार इसका विरोध कर रहे थे जिस कारण 26 अक्टूबर की देर रात उनकी हत्या कर दी गई. ग्राम प्रधान के घर से महज 300 मीटर की दूरी पर ही उनका शव बरामद किया गया जिसके बाद तमाड़ पुलिस मामले की जांच में जुट गई.

मामले की तफ्तीश में ये बाते सामने आई है कि गांव के ही दो शख्स गोंदा पुराण और हरेन कुम्हार का ग्राम प्रधान अशोक सिंह मुंडा से विवाद चल रहा था. इस विवाद की वजह जमीन थी जो वन विभाग की सरकारी भूमि थी. 26 अक्तूबर की रात में दोनों आरोपियों ने ग्राम प्रधान को बुलाया और फिर उसे खिलाया-पिलाया. इसके बाद जब ग्राम प्रधान वहां से जाने लगे तो उनके सिर पर डंडे से वार कर उनकी हत्या कर दी. उनकी निशानदेही पर पुलिस को वो डंडा भी मिला है.

वहीं, मामले की जानकारी देते हुए रांची के ग्रामीण एसपी ने बताया की आरोपी उग्रवादी गतिविधि में शामिल रहा है और पहले भी जेल जा चुका है. वहीं ये दोनों आरोपी पीएलएफआई के कुख्यात जीतन गुड़िया के काफी एक्टिव सदस्य रहे हैं और इनकी गांव में तूती बोलती थी. इनके खिलाफ कोई भी ग्रामीण मुंह नही खोलते थे और न ही इनका विरोध करते थे.

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हालांकि, वन विभाग की जमीन हड़पने को लेकर ग्राम प्रधान ने दोनों आरोपियों का विरोध किया था और सुधर जाने को कहा था. लेकिन, इसी बात को लेकर आरोपियों ने ग्राम प्रधान की हत्या कर दी. बहरहाल, पीएलएफआई जैसे उग्रवादी संगठनों द्वारा वन विभाग की जमीन पर कब्जा करने के पीछे अफीम की खेती मानी जा रही है जिससे उग्रवादी संगठनों का आर्थिक तंत्र मजबूत होता है.

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