e0a497e0a49ce0a4b0e0a4bee0a49c e0a4b0e0a4bee0a4b5 e0a495e0a58b e0a4afe0a4bee0a4a6 e0a486e0a4afe0a4be e0a4b5e0a4b9 e0a4a6e0a4bfe0a4a8
e0a497e0a49ce0a4b0e0a4bee0a49c e0a4b0e0a4bee0a4b5 e0a495e0a58b e0a4afe0a4bee0a4a6 e0a486e0a4afe0a4be e0a4b5e0a4b9 e0a4a6e0a4bfe0a4a8 1

गजराज राव (Gajraj Rao) को साल 1994 में आई फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से पहचान मिली. इससे पहले, गजराज राव को टेलरिंग और स्टेशनरी की दुकान पर काम करना पड़ा था. एक्टर ने संघर्ष के दिनों को याद किया और एक बातचीत में खुलासा किया कि उन्होंने साल 1989 में एक अखबार के लिए भी लिखा था. उन्होंने उस दौरान महमूद, उत्पल दत्त और फिल्म निर्माता यश चोपड़ा जैसी मशहूर हस्तियों का इंटरव्यू भी लिया था.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गजराज राव ने कहा, ‘मैंने लाइफ में धक्के बहुत ज्यादा खाए हैं. मेरा कभी व्यवस्थित जीवन नहीं था, क्योंकि घर के आर्थिक हालात बड़े अच्छे नहीं थे. हर चीज हमारे हाथ में नहीं होती. इन नौकरियों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है. मैं हमेशा कहता हूं कि यह बहुत बड़ी मुश्किल वाली जिंदगी थी, लेकिन मुझमें आग थी कि मैं कुछ करना चाहता हूं और अपने परिवार को एक अच्छा जीवन देना चाहता हूं.’

गजराज राव काम तलाशने के लिए जाते थे मुंबई
गजराज राव दिल्ली के रहने वाले हैं. वे काम की तलाश में अक्सर मुंबई जाते थे. एक्टर ने एक घटना को याद करते हुए कहा, ‘मुंबई शिफ्ट होने से पहले, मैं काम की तलाश में वहां जाया करता था. मैं एक महीने से अपने दोस्त के यहां रह रहा था और एक स्क्रिप्ट लिख रहा था. उस समय, पैसे खत्म हो गए थे. मैं उस स्क्रिप्ट को सुनाने के लिए अंधेरी से वर्ली गया और उन्होंने मेरी स्क्रिप्ट को ठुकरा दिया.’

घर लौट जाना चाहते थे गजराज राव
वे भावुक होकर कहते हैं, ‘मेरी जेब में कुल 5-6 रुपये थे. मुझे नहीं पता था कि क्या करना है. क्या मैं उन छह रुपये में घर वापस जाने के लिए लोकल ट्रेन पकड़ूं या कुछ खा लूं. मुझे पूरी उम्मीद थी कि मेरी स्क्रिप्ट मंजूर हो जाएगी और मुझे एडवांस मिल जाएगा. उस दिन मेरी आंखों में पानी आ गया था. सोचा था कि अब मैं क्या करुंगा?’

READ More...  शाहरुख खान ने विराट कोहली को दी बधाई, फैंस बोले- 'अब दूसरे किंग से कमबैक की उम्मीद'

गजराज राव ने सीखा जिंदगी का अहम सबक
राव बताते हैं कि कैसे उन्होंने दिल्ली वापस जाने के लिए अपने दोस्त से 500 रुपये लिए थे. वे कहते हैं, ‘मैंने उन्हें सब कुछ बताया और उन्होंने मुझे 500 रुपये दिए. तब यह बहुत बड़ी रकम थी. शर्मिंदगी भी हो रही थी कि मेरी ऐसी स्थिति हो गई. मुझे यह सब करना पड़ा है, लेकिन यह एक अहम सीख थी कि मुझे किसी के वादों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि जिस निर्माता ने मुझे बुलाया था, उन्होंने कहा था कि चिंता मत करो, भले ही स्क्रिप्ट चुनी न जाए, हम तुम्हें काम देंगे. वे अपने वादों पर टिके नहीं रहे.’

Tags: Bollywood news, Entertainment news.

Article Credite: Original Source(, All rights reserve)