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नई दिल्‍ली. गुजरात ( Gujarat) के पूर्व विधायक जेठाभाई राठौड़ की जिंदगी BPL राशन कार्ड (BPL ration card) के सहारे कट रही है. उन्‍हें कोर्ट के आदेश के बावजूद पेंशन (Pension) नहीं मिली है. वे 1967 में खेड़ब्रम्‍हा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते थे और उन्‍होंने कांग्रेस प्रत्‍याशी को 17 हजार वोटों से हराया था. जेठाभाई का कहना है कि सरकार से कई बार पेंशन की गुहार लगाई, परंतु कुछ हासिल नहीं हुआ तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने मेरे पक्ष में फैसला दिया, लेकिन फिर भी पेंशन नहीं मिली. इन दिनों जेठाभाई साबरकांठा जिले के टेबड़ा गांव में रह रहे हैं.

जेठाभाई ने बताया कि एक समय वे साइकिल से चुनाव प्रचार करते थे और गांधीनगर भी सरकारी बस से ही जाया करते थे. उन्‍होंने अपने क्षेत्र की जनता की पूरी सेवा की और सुख-दुख में उनके साथ रहे. सरकार ने उन्‍हें पेंशन नहीं दी. ‘वीटीवी गुजराती’ के अनुसार जेठाभाई ने कई बार इसको लेकर आवेदन दिए और चक्‍कर काटे, परंतु कोई लाभ नहीं हुआ. इसके बाद उन्‍होंने अदालत में गुहार लगाई कि उन्‍हें पेंशन दी जाए. लंबे समय तक चली इस अदालती कार्रवाई के बाद फैसला उनके पक्ष में आया था. हालांकि इस फैसले के बावजूद उन्‍हें पेंशन नहीं मिली है. जेठाभाई के 5 बेटे हैं, जो मेहनत-मजदूरी कर अपना परिवार चला रहे हैं.

तंगहाली में किसी तरह जिंदगी जी रहे हैं जेठाभाई 

ग्रामीणों का कहना है कि जेठाभाई किसी तरह जीवन यापन कर पा रहे हैं. उन्‍हें उनकी पेंशन नहीं मिल सकी है, जबकि वे इसके हकदार हैं. उनकी दयनीय स्थिति को देखते हुए सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए. जेठाभाई के परिजनों का कहना है कि स्‍वास्‍थ्‍य खराब होने की स्थिति में सही इलाज नहीं करा पाते हैं और इस गांव में उनके लिए ठीक जगह भी नहीं है. सरकार मदद कर दे तो हालात कुछ सुधर सकते हैं.

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Tags: BPL ration card, Gujarat, MLA

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