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- If I Saw A Girl Teasing By Laughing, Then I Changed Myself, Today Girls Are Being Made Strong By Giving Martial Arts Training.
गोपालगंज9 घंटे पहले
गोपालगंज के विनीत लड़कियों को बना रहे आत्मनिर्भर
कहते है कभी कभी हमारे जीवन मे कुछ ऐसी भी घटनाएं घट जाती है जो हमे बदल कर रख देती। कुछ ऐसी ही घटना जिले के सदर प्रखंड के पसरमा ग़ांव निवासी एक युवक के साथ घटी। एक घटना ने इतना बदल दिया कि वह आज दक्षिण कोरिया से ताईक्वांडो में ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर युवतियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहे। वह भी निःशुल्क।
दरअसल सदर प्रखण्ड के पसरमा ग़ांव निवासी अनिल शर्मा के बेटा विनीत शर्मा तीन भाई तीन बहन है। भाइयों में सबसे बड़े विनीत ने स्नातक तक कि पढ़ाई की है। पिता पेशे से कारपेंटर है।वर्ष 2014 में विनीत के साथ एक ऐसी घटना घटी जिसे विनीत आज भी भूल नही पा रहे है। बात उस वक्त की है, जब विनीत ट्यूशन पढ़ कर घर लौट रहे थे। इसी बीच उनके आंखों के सामने कुछ लफंगे एक लड़की को छेड़ रहे थे। वह लड़की उन लड़कों के आगे बेबस थी वह कुछ कर पाने में असमर्थ थी।
ये सारी घटनाक्रम विनीत के आँखों के सामने हो रहा था लेकिन वह भी कुछ कर पाने में असमर्थ था। क्योंकि वह उस लायक नहीं था कि उन लफंगों के चंगुल से उस लड़की को बचा सके। लेकिन ये घटना विनीत को बेचैन करने लगा। विनीत सोच रहा था कि काश मै भी बलवान होता मुझ में विरोध करने की कुछ कला होती तो उस अबला को बचा सकता था। पूरी रात पुरा दिन वह उसी घटना को सोचते हुए बिता दिया। तब उसने अचानक मन मे यह ठान लिया कि वह ताईक्वांडो का प्रशिक्षण लेकर लड़कियों को भी आत्मरक्षा के लिए मजबूत बनाएगा ताकि लड़कियां खुद अपनी आत्मरक्षा कर सके। लेकिन विनीत के पास पैसे नही थे कि वह ताईक्वांडो का फीस जमा कर सके। पिता जी ने इसके लिए अनुमति नही दी उनका मानना था कि इससे सिख कर वह मारपीट करेगा।लेकिन विनीत की सोच कुछ और थी।

एक घटना ने इतना बदल दिया कि वह आज दक्षिण कोरिया से ताईक्वांडो में ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर युवतियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहे।
तब उसने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया और ट्यूशन पढा कर जो पैसे मिलते उससे वह ताइक्वांडो सीखने लगा।सीखने की ललक देख उसके गुरु कमल कुमार उसपर ज्यादा ध्यान देने लगे। जिसके सानिध्य में रहकर विनीत ने ताईक्वांडो का प्रशिक्षण लेकर दक्षिण कोरिया से ब्लैक बेल्ट की उपाधि प्राप्त की लेकिन उसने जो प्रतिज्ञा ली थी उसे वह भुला नही।अपने मित्रों के सहयोग से ग़ांव ग़ांव में जाकर लड़कियों के माता पिता से बात करते और उन्हें ताईक्वांडो सिखाने को प्रेरित करते लेकिन कई लोगो ने मना कर दिया बावजूद उसने हार नही मानी। फिर एक लड़की के परिवार तैयार हुआ तब विनीत रोजाना साईकिल से उस लड़की को सिखाने के लिए 30 किलोमीटर दूर बरौली जाने लगे।धीरे धीरे उसे देख कुछ और लड़कियां भी शामिल हुई।अब विनीत को लगा कि उनकी प्रतिज्ञा सफल साबित होगी।
लेकिन विनीत के इस कार्य को देख उनके पिता काफी परेशान रहने लगे पिता का सपना था कि मेरा बेटा इंजीनियर बने। विनीत इंजीनियरिंग के लिए प्रवेश परीक्षा में सफल हुए लेकिन उन्होंने एडमिशन नही लिए क्योंकि उनका सोच था की इंजीनियर बनकर समाज के लिए कुछ नही कर पाऊंगा और उनका प्रतिज्ञा भी पूरा नही होगा। पिता के विरोध के बावजूद वह वीएम फील्ड में लड़कियों को निःशुल्क ताईक्वांडो का प्रशिक्षण देने लगे जिसे देख गायत्री परिवार के लोगो द्वारा गायत्री मंदिर में जगह दी। जहां उन्होंने अपना एकेडमी खोला आज उनके एकेडमी में कुल 60 लोग ताईक्वांडो का प्रशिक्षण लेते है जिसमे करीब 30 लड़कियां निःशुल्क ताइक्वांडो का प्रशिक्षण लेती है। लड़कियों और गरीब छात्रो को फ्री में प्रशिक्षण देने का सिलसिला आज भी जारी है। हलाकिं कुछ छात्रो द्वारा दिये गए गुरुदक्षिणा का वे अपनी व्यवस्था में खर्च कर देते है ताकि सुविधा में कोई कमी न हो।इस संदर्भ में विनीत ने बताया कि दिन-प्रतिदिन लड़कियों के साथ बढ़ रही छेड़छाड़ और उत्पीड़न की घटनाओं से खुद को सुरक्षित रखने और मुंह तोड़ जवाब देने के लिए लड़कियों का लड़ना अब जरूरी हो गया है। आत्मरक्षा के लिए लड़की को खुद तैयार होना पड़ेगा। मार्शल आर्ट सिखने के लिए लड़कियां खुद की सुरक्षा कर सकती है।
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