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प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सरकारी शिक्षक, एक मदरसा शिक्षक व दो अन्य के खिलाफ गो मांस रखने का आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने इस संबंध में दाखिल याचिका खारिज कर दी है. अध्यापकों के पास से गाय का मांस (बीफ) और 16 जीवित मवेशी बरामद किए गए थे. ये आदेश जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने परवेज अहमद व तीन अन्य की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद 29 जून को फैसला सुरक्षित कर लिया था.
याचियों के खिलाफ मऊ जिले में आईपीसी की धाराओं व गौ हत्या निरोधक अधिनियम, 1955 की धारा 3/5/8 और धारा 11, जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 1979 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 7/8 में मामला दर्ज कराया गया है.

मामले में याची एक सहायक अध्यापक है, जबकि दूसरा मदरसा दारुल उलूम गौसिया कस्बा सलेमपुर में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं. वहीं तीसरा आवेदक मेडिकल दुकान चला रहा है और चौथा हाफिज कुरान है. याचियों का कहना था कि फोरेंसिक जांच प्रयोगशाला से प्राप्त रिपोर्ट में यह खुलासा नहीं हुआ है कि विश्लेषण के लिए भेजा गया नमूना गाय का ही था. इसलिए गौहत्या का कोई मामला नहीं बनता है.

ये पशु मिले
वहीं राज्य सरकार के वकील का कहना था कि प्राथमिकी में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि 16 जीवित मवेशियों में से 7 भैंस, 1 गाय, 2 भैंस के बछड़े, 5 नर भैंस के बछड़े और एक नर गाय-बछड़ा शामिल है. इसके अलावा 20 किलो प्रतिबंधित मांस बरामद किया गया था. रिपोर्ट में आरोपियों को क्लीन चिट नहीं दी गई है. ये बिना लाइसेंस कसाई खाना चलाते हैं.
मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया और आरोपियों की ओर से मामला रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया.

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