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उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के इकदिल इलाके के पिलखर गांव में अपने भाई के परिवार के छह लोगों की हत्या के दोषी की फांसी की सजा को रद्द कर दिया है. 6 लोगो की हत्या का आरोपी फांसी की सजा पाए रामप्रताप उर्फ टिल्लू के वकील एसपीएस राना ने बताया कि सामूहिक हत्याकांड को लेकर हाईकोर्ट ने कहा है कि अभियोजन पक्ष अपराध साबित करने में विफल रहा है. परिस्थितिजन्य साक्ष्य हत्या का दोषी करार देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. कोर्ट ने जेल में बंद दोषी को हत्या के आरोप से बरी कर दिया है. फांसी की सजा की पुष्टि के लिए दाखिल रिफरेंस खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र व न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने पिलखर निवासी दोषी राम प्रताप उर्फ टिल्लू की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.

इस मामले को पहला ऐसा मामला माना जा रहा है, जिसमें किसी हत्यारोपी को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई हो जब कि हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया हो. इटावा जिले के इकदिल थाना क्षेत्र के गांव पिलखर में 27 मई 2012 की रात को सुरेश उसकी पत्नी विमला, पुत्र अवनीश व पुत्रियों रश्मि, श्वेता व सुरभि की हत्या कर दी गई थी. इस संबंध में मृतक के साले होम सिंह ने मृतक के भाई राम प्रताप उर्फ टिल्लू सहित तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. पुलिस ने राम प्रताप को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. सुनवाई के बाद जिला न्यायालय ने राम प्रताप को 21 मई 2020 को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा व पांच लाख का जुर्माना लगाया था. इस सजा के खिलाफ राम प्रताप ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में राम प्रताप को बरी कर दिया.

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हाईकोर्ट ने कहा कि घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है. परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर जिला अदालत ने हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. अपराध संदेह से परे साबित किया जाना चाहिए था. इस मामले के वादी होम सिंह की मौत हो चुकी है. मृतक के साले की भी मौत हो चुकी है. अब ऐसे में आगे की लड़ाई कौन लड़ेगा यही सवाल उठ रहा है. गांव पिलखर निवासी सुरेश उनकी पत्नी विमला, पुत्र अवनीश, पुत्रियां रश्मि, श्वेता, सुरभि की मई 2012 की रात को हत्या निर्मम हत्या कर दी गई थी.

इस निर्मम हत्याकांड के समय उत्तर प्रदेश मे अखिलेश सरकार थी. उस समय लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने गांव आकर मामले की तेजी से जांच कराने तथा आरोपितों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे. सुरेश के साले भरथना बंधारा निवासी होम सिंह ने सुरेश के भाई रामप्रताप उर्फ टिल्लू पुत्र रामसनेही, वरुणराज पुत्र राजवीर व एक दिलीप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. भूमि विवाद की रंजिश में परिवार की सामूहिक हत्या का आरोप लगाया था.

सुबह करीब सात बजे इस सामूहिक हत्याकांड का पता तब चला जब गांव का एक बालक नीरज बकरियां चराने जा रहा था और जब सुरेश यादव के घर के सामने से गुजरते समय उसने खून बिखरा देख गांव वालों को बताया. इस पर जब कुछ लोग पहुंचे तो यह देखकर दंग रह गये कि परिवार के सभी छह सदस्यों की गर्दनें उनकी ही चारपाईयों पर कटी हुईं थीं. हत्या के बाद मृतक सुरेश के साले भरथना के गांव बंधारा निवासी होम सिंह ने मृतक सुरेश के सगे भाई रामप्रताप उर्फ टिल्लू के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. आरोप लगाया था कि 18 बीघा हाईवेकिनारे स्थित जमीन को हड़पने के लिए हत्या की गई. मामला जिला अदालत में चला, जिसमें आरोपी रामप्रताप को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी.

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बाद में मामला हाईकोर्ट गया, जहां साक्ष्यों के अभाव में रामप्रताप को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया. सुनवाई के दौरान वादी होम सिंह की भी मौत हो गई. सुरेश के परिवार में कोई नहीं बचा था. अब गांव में चर्चाएं हैं कि क्या मामला यहीं खत्म हो जाएगा. इटावा के जिला बार एसेाशियेशन के महामंत्री देवेंद्र सिंह का कहना है कि यह एक ऐसा मामला है जिसमे स्थानीय अदालत मे फांसी की सजा सुनाई हो लेकिन उच्च न्यायालय ने पूरा का पूरा मामला खरिज कर दोषी को दोष मुक्त करार देकर बरी कर दिया हो.

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