
हाइलाइट्स
युवक ने कैंसर का इलाज कराने के बाद इंश्योरेंस के लिए क्लेम किया था.
बीमा कंपनी ने स्मोकिंग को कैंसर का कारण बताते हुए क्लेम को रद्द कर दिया था.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि निकोटिन नशा नहीं है.
राजकोट. गुजरात के राजकोट में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक बीमा कंपनी को फेफड़े के कैंसर से पीड़ित शख्स की इलाज की रकम वापस करने का आदेश दिया है. राजकोट के रहने वाले एक युवक को फेफड़ों को कैंसर हुआ. बीमा होने के बाद भी इंश्योरेंस कंपनी ने इलाज में आने वाले खर्च का भुगतान करने से इनकार कर दिया. कंपनी ने इसके पीछे कारण बताया कि युवक चेन स्मोकर है और इसके चलते उसे कैंसर हुआ है. फिर पीड़ित ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में मामला दायर किया. अब उपभोक्ता फोरम ने शख्स को रकम का भुगतान करने का आदेश दिया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी साल 2018 में युवक को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में उन्हें अहमदाबाद के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया. इस दौरान उन्हें फेफड़ों में कैंसर का पता चला. इसके बाद उनका इलाज किया गया, जिसका खर्च 6.53 लाख रुपये आए और फिर इंश्योरेंस के तहत इसको क्लेम किया गया. लेकिन इंश्योरेंस कंपनी ने साल 2019 में 30 अप्रैल को इस दावे को यह कहकर खारिज कर दिया कि युवक चेन स्मोकर था.
फिर वोरा ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से संपर्क किया, जिसने पाया कि सिगरेट में मौजूद निकोटीन एक सिद्ध नशीला पदार्थ नहीं है. इसके अलावा यह भी साबित नहीं हुआ कि वोरा को फेफड़ें के कैंसर की बीमारी सिगरेट पीने से हुई थी. अदालत ने सुनवाई करते हुए कहा कि बीमा कंपनी ने आधारहीन आपत्तियां पैदा कर अपनी सेवा में चूक की. वोरा ने 20 वर्षों से पॉलिसी ले रखी थी. वोरा के वकील शैलेंद्र सिंह जडेजा ने बताया कि आयोग ने बीमा कंपनी को 30 दिनों के भीतर 6 लाख रुपये और कानूनी खर्चों के लिए 5 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है.
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Tags: Consumer Court, Gujarat
FIRST PUBLISHED : August 02, 2022, 09:49 IST
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