
हाइलाइट्स
लड़की एमबीए पाठ्यक्रम की छात्रा है, सहमति से संबंध बनाकर हुई गर्भवती
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया संदर्भ, कहा- प्रजनन अधिकार संविधान की धारा-21 के तहत
कोच्चि (केरल). केरल हाईकोर्ट ने 23-वर्षीया एक छात्रा को 26 सप्ताह के गर्भ को नष्ट करने की अनुमति देते हुए बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि महिला के बच्चे को जन्म देने या न देने के अधिकार पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है.
न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण ने दो नवंबर को दिए आदेश में कहा कि मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि महिला गंभीर तनाव में है और गर्भ को जारी रखने पर उनकी जान को खतरा हो सकता है. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले का हवाला भी दिया गया.
लड़की एमबीए पाठ्यक्रम की छात्रा है
उल्लेखनीय है कि महिला एमबीए पाठ्यक्रम की छात्रा है और वह सहपाठी से आपसी सहमति से स्थापित संबंध से गर्भवती हो गई है. महिला ने अपनी अर्जी में कहा कि मासिक धर्म में अनियमितता व शारीरिक परेशानी होने पर महिला चिकित्सक को दिखाने एवं अल्ट्रासाउंड कराने के बाद उसे गर्भवती होने की जानकारी मिली.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया संदर्भ
इस मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरुण ने कहा— ‘महिला के गर्भ को रखने या नष्ट करने के अधिकार पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है.’ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का संदर्भ देते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं का प्रजनन अधिकार संविधान की धारा-21 के तहत निजी स्वतंत्रता के तहत आता है.
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Tags: Kerala High Court, Kerala News
FIRST PUBLISHED : November 05, 2022, 22:05 IST
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