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हाइलाइट्स

यूक्रेन ने ड्रोन के बल पर सुखोई फाइटर जेट बेड़े से लैस रूस की नाक में दम किया है.
छोटे मगर घातक मार करने वाले हथियारों का दौर कभी खत्म नहीं होगा.
यूक्रेन के कुछ छोटे हथियारों ने रूसी सेना को बेहद नुकसान पहुंचाया है.

कीव. किसी जंग में भारी भरकम सेना और हथियारों के जखीरे से ज्यादा लड़ने वालों का मनोबल और सटीक मार करने वाले सामान्य हथियार ज्यादा महत्व रखते हैं. वियतनाम और अफगानिस्तान में अमेरिका जैसी ताकत को इसके कारण पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा. रूस भी अफगानिस्तान में इसका स्वाद बखूबी चख चुका है. अब यूक्रेन ने भी काफी छोटे हथियारों और कम सेना के बावजूद रूस को पीछे धकेलने में कामयाबी हासिल की है.

यूक्रेन ने जिस तरह ड्रोन के बल पर सुखोई फाइटर जेट बेड़े से लैस रूस की नाक में दम किया है, वह आने वाले समय में साफ कर देगा कि भारी-भरकम हथियारों की बजाए छोटे मगर घातक मार करने वाले हथियारों का दौर कभी खत्म नहीं होगा. जिन कुछ हथियारों ने रूसी सेना को बेहद नुकसान पहुंचाया है, उनमें से कुछ ये हैं-

एंटी-आर्मर वेपन जेवेलिन
यूक्रेनी सेना की मांगों की लिस्ट में पोर्टेबल एंटी-आर्मर जेवेलिन का नाम सबसे ऊपर है. अमेरिका ने करीब 6,000 जेवलिन यूक्रेन को भेजे हैं. जिसे लॉकहीड मार्टिन और रेथियॉन ने मिलकर बनाया है. जेवेलिन एक टैंक रोधी मिसाइल है जो अपने निशाने को खोजने के लिए थर्मल इमेजिंग का उपयोग करती है. उनकी सटीकता चौंका देने वाली है. रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि रूसी टैंकों के खिलाफ इनके हमले 93 प्रतिशत तक सफल रहे हैं. इसके कारण मास्को को कुछ जगहों से अपनी टैंक डिवीजनों को वापस खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

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Javelin portable anti-armor weapons

स्टिंगर एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम
इसके अलावा अमेरिका ने यूक्रेन को लगभग 2,000 स्टिंगर एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम दिया है. इस मिसाइल की घातक मार को रूस अपने अफगानिस्तान पर हमले के समय बखूबी महसूस कर चुका है. इसके अचूक निशाने के कारण रूस का भारी भरकम हवाई बेड़ा यूक्रेन के भीतर बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाने में कामयाब नहीं हो सका है. इतना ही नहीं रूसी एयरफोर्स तो इन स्टिंगर मिसाइलों को डर से थल सेना को एयर सपोर्ट भी नहीं दे पा रही है.

स्विचब्लेड ‘कामिकेज’ ड्रोन
ये ड्रोन हमला करने से पहले निशाने का लंबे समय तक इंतजार करने की क्षमता रखते हैं. इसके दो वेरिएंट हैं- स्विचब्लेड 300 और स्विचब्लेड 600, जिसकी लंबाई 1.3 मीटर है. दोनों को जमीन, हवा या समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है. लेकिन बड़े वेरिएंट की रेंज 50 मील है और यह एंटी-आर्मर वॉरहेड्स के साथ सटीक हमला कर सकता है.

नेपच्यून एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम
नेप्च्यून एंटी-शिप मिसाइल की क्षमता का असली पता 13 अप्रैल को लगा, जब इसका रूस के ब्लैक सी फ्लीट के फ्लैगशिप ‘क्रूजर मोस्कवा’ को एक हमले में डुबा दिया. क्रेमलिन ने ये झूठा दावा किया कि जहाज पर हुए आकस्मिक विस्फोट के कारण वह डूब गया. इसके बावजूद किसी ने रूस के दावे पर भरोसा नहीं किया और नेप्च्यून तत्काल एक वैश्विक सनसनी बन गया. कई देशों ने मोस्कवा के डूबने के बाद नेप्च्यून मिसाइलों में दिलचस्पी ली.

हिमर्स (HIMARS)
अमेरिका का M142 हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम या हिमर्स इस समय यूक्रेन की सेना का एक बड़ा हथियार बन गया है. यूक्रेन को दिए गए हिमर्स लगभग 50 मील (80 किमी.) की दूरी तक मार सकते हैं. ये अपने रूसी प्रतिस्पर्धी स्मर्च सिस्टम से हर मायने में आगे है. हिमर्स का निशाना रूसी रॉकेट की तुलना में बहुत अधिक सटीक है. M142 हिमर्स सात मीटर लंबा, 2.4 मीटर चौड़ा और 3.2 मीटर ऊंचा है. इसकी अधिकतम गति 85 किलोमीटर/घंटा (53 मील प्रति घंटा) और एक बार में ये अधिकतम 480 किमी. (298 मील) का सफर तय कर सकता है. हिमर्स ने यूक्रेनी सेना को अधिक दूरी से ही रूसी सेना पर भीतर तक बड़ा हमला करने की क्षमता दी है.

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Himars.

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बायरकटार TB2 ड्रोन
लेजर-निर्देशित बमों के साथ रूसी लक्ष्यों पर हमला करने से पहले लगभग 25,000 फीट (7,600 मीटर) की ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले बायरकटार टीबी2 (Bayraktar TB2 drones) बेहद असरदार रहे हैं. माना जाता है कि इन्होंने रूस के कई हेलीकॉप्टरों, नौसैनिक जहाजों और मिसाइल सिस्टम को तबाह कर दिया. उनका उपयोग सटीक तोपखाने हमलों के लिए रूसी मोर्चों की सटीक जगहों का पता लगाने के लिए भी किया गया है.

Bayraktar TB2 drones

यूक्रेन के पास ऐसे लगभग 20 तुर्की लड़ाकू ड्रोन हैं. यूक्रेन ने इनके सटीक उपयोग से साफ कर दिया कि आसमान पर रूस का असरदार नियंत्रण नहीं है. TB2 6.5 मीटर लंबा और अमेरिका के ड्रोन ‘रीपर’ के वजन का आधा है. इसमें चार लेजर-निर्देशित वारहेड लगते हैं. इसके अलावा अमेरिका ने हाल ही में 121 ‘फीनिक्स घोस्ट ड्रोन’ यूक्रेन को दिया है.

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