
हाइलाइट्स
जम्मू-कश्मीर में चुनाव सितंबर और अक्टूबर के बीच हो सकते हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रशासनिक विंग के साथ इसे लेकर कई दौर की बैठकें की हैं.
अप्रैल महीने में भी चुनाव कराने पर विचार किया जा रहा है.
नई दिल्ली: साल 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) में इस साल पहला विधानसभा चुनाव (Assembly Elections in Jammu-kashmir) होने की संभावना है. साथ ही खबर है कि केंद्र सरकार चुनाव के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य प्रशासन और स्थानीय नेताओं से फीडबैक ले रही है. भाजपा सूत्रों ने News18 को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने प्रशासनिक विंग के साथ कई दौर की बैठकें की हैं और इस बारे में फीडबैक मांगा है कि चुनाव कितनी जल्दी हो सकते हैं.
भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव सितंबर और अक्टूबर के बीच हो सकते हैं, क्योंकि उस दौरान मौसम मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर पहुंचने से नहीं रोक पाएगा. एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि अप्रैल महीने में भी चुनाव कराने पर विचार किया जा रहा है. उपरोक्त दूसरे नेता ने कहा कि जम्मू और घाटी में मई के बाद मौसम बहुत गर्म हो जाता है ओर बर्फबारी के कारण सर्दियों का मौसम एक चुनौती बन जाता है. लेकिन जमीनी स्थिति चुनाव कराने के लिए उपयुक्त है. वास्तव में, मैं कहूंगा कि पार्टी यूटी में पिछले दो वर्षों से चुनावों की तैयारी कर रही है.
सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्रालय ने इस बारे में रिपोर्ट मांगी है कि क्या जमीनी स्थिति चुनाव के अनुकूल है. एक सूत्र ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को रोका नहीं जाना चाहिए. यूटी को उपराज्यपाल के दायरे में लेने के कारण थे, लेकिन लोगों को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का अनुभव करना चाहिए. लोकतंत्र हमारे देश की ताकत है.
राज्य के दर्जे को लेकर बहाल पर बातचीत नहीं
हालांकि जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करने पर अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है. लेकिन बीजेपी में कुछ लोगों का मानना है कि जब लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार यूटी में शांति बनाए रखेगी तो इसे बहाल किया जाएगा. एक नेता ने कहा कि शांति भंग करने के पाकिस्तान के प्रयासों को छोड़कर, आज घाटी में स्थिति बहुत बेहतर है.
चुनाव के लिए सुरक्षा जरूरी
कई लोगों का मानना है कि अप्रैल या सितंबर-अक्टूबर में चुनाव कराना आसान होगा क्योंकि केंद्र द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनाती की जा सकती है. एक नेता ने कहा कि देश में कोई बड़ा चुनाव नहीं है और 2023 के बाद हर कोई 2024 के लोकसभा चुनावों में व्यस्त होगा. ऐसे क्षेत्र में जहां पाकिस्तान अभी भी हिंसा के माध्यम से शांति भंग करने का प्रयास करता है, केंद्रीय बलों की उपस्थिति जरूरी है.