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हाइलाइट्स

बुधवार को CJI के रूप में शपथ लेंगे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट में उदार और प्रगतिशील आवाज के रूप में सराहे जाते हैं
चुनौतियों और हाई प्रोफाइल केसों पर उनका फैसला होगा अहम

नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) बुधवार को भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा था कि उनके पास जस्टिस यूयू ललित के उत्‍तराधिकारी के रूप में बहुत बड़ी चुनौतियां हैं और उम्‍मीद है कि वे इन चुनौतियां का सामना कर सकेंगे. वर्तमान सीजेआई यूयू ललित का कार्यकाल 74 दिनों का था जो कि 8 नवंबर को पूरा हो गया. अब जस्टिस चंद्रचूड़ का CJI के रूप में कार्यकाल दो साल का होगा ओर वे 10 नवंबर 2024 को रिटायर होंगे. इस समय के बीच उन्‍हें देश के कुछ अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए पर्याप्‍त समय मिलेगा.

चंद्रचूड़ CJI के रूप में क्या बदलाव लाएंगे, इस पर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. News18 कुछ उम्मीदों की व्याख्या करता है:

‘उदार दृष्टिकोण रखने के लिए जाना जाता है, लेकिन एक विचारधारा में नहीं है’

डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस चंद्रचूड़ को उनकी बौद्धिक क्षमता, सुसंस्‍कृत होने के लिए सम्‍मान प्राप्‍त है. उनके सामने वकील पेश होना पसंद करते हैं. वे उदार दृष्टिकोण वाले न्‍यायाधीश हैं, उनकी यह खूबी उनके फैसलों में साफ झलकती है. खासतौर पर जब महिलाओं और हाशिए के लोगों के अधिकारों से संबंधित मुद्दों की बात आती है. उन्‍होंने परिवर्तनकारी संविधान” के दृष्टिकोण का उत्साहपूर्वक समर्थन किया है जो ‘एक ऐसे समाज के क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रयास करता है जो जाति और पितृसत्ता पर आधारित है.’ हालांकि उनके फैसलों की अधिकता इतनी है कि उन्‍हें किसी एक विचारधारा के भीतर बंधा हुआ नहीं समझा जा सकता.

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सुप्रीम कोर्ट में उदार और प्रगतिशील आवाज के रूप में सराहे गए 

इस बारे में इंडियन एक्‍सप्रेस ने एक रिपोर्ट में कहा है कि ‘ आधार मामले में उनकी ऐतिहासिक असहमति से, जिसमें उन्‍होंने कहा था कि एक व्‍यक्ति की कई पहचानों को 12 अंकों की संख्‍या तक कम नहीं किया जा सकता है. भीमा कोरेगांव मामले में बढ़ती बयानबाजी के लिए जिसमें उन्‍होंने कहा कि ‘असहमति एक जीवंत लोकतंत्र का प्रतीक है.’ हादिया मामले में जिसमें उन्‍होंने कहा कि किसी व्‍यक्ति का धर्म चुनने ओर शादी करने का अधिकार उसके सार्थक अस्तित्व का एक आंतरिक हिस्सा था. यदि आधार में उसका रुख, सही गोपनीयता के लिए, और भीमा कोरेगांव मामलों की सर्वोच्च न्यायालय में उदार और प्रगतिशील आवाज के रूप में सराहना की गई, अयोध्या और अर्नब गोस्वामी मामलों में उनके रुख की दूसरी तरफ सराहना की गई.

कई चुनौतियों पर उनका फैसला दूरगामी परिणाम वाला होगा
डीवाई चंद्रचूड़ के सामने कई हाई-प्रोफाइल केस हैं जिनमें अनुच्‍छेद 370 को निरस्‍त करना,नागरिकता संशोधन अधिनियम की वैधता और चुनावी बांड योजना आदि शामिल हैं. इन चुनौतियों पर उनके फैसलों का दूरगामी राजनीतिक प्रभाव देखा जा सकेगा. कई लोगों का मानना ​​​​है कि न्‍यायिक मोर्चे पर केसों की संख्‍या, पर्याप्‍त बुनियादी ढांचे की कमी और न्‍याय के वितरण में देरी भी बड़ी चुनौतियां हैं. कोविड -19 महामारी के दौरान अनुभव के आधार पर, न्‍याय क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल के दौरान डिजिटलीकरण को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा.

नए मुख्‍य न्‍यायाधीश से हैं कई अपेक्षाएं

लाइव-स्ट्रीमिंग: सुप्रीम कोर्ट के ई-समिति के अध्यक्ष के रूप में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने न्यायिक प्रणाली को और अधिक सुलभ बनाने के लिए अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए मसौदा मॉडल नियमों के प्रकाशन का निरीक्षण किया. वह स्वप्निल त्रिपाठी मामले (2018) में ऐतिहासिक फैसले का हिस्सा थे, जिसने लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दी, यह संकेत दिया कि अदालत प्रक्रिया को संस्थागत बनाने का प्रयास कर रही है.

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रिक्तियों को भरना: कॉलेजियम के प्रमुख के रूप में, उनसे उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में रिक्तियों को भरने की भी उम्मीद की जाएगी. 1 अक्टूबर तक, 25 उच्च न्यायालयों में 772 न्यायाधीशों के साथ कर्मचारी थे, कुल स्वीकृत संख्या 1,108 में से 336 पद रिक्त थे. अपने कार्यकाल के दौरान, वह सुप्रीम कोर्ट में 17 न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार होंगे, जो वर्तमान में 34 न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत शक्ति के आधे के साथ काम कर रहा है.

Tags: Justice DY Chandrachud, Supreme Court

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