बक्सर3 घंटे पहले
आइए श्रावण मांस के अंतिम सोमवारी को बक्सर के ब्रह्मेश्वरनाथ के शिवलिंग का दर्शन किया जाए। प्रसिद्ध मंदिर का महत्व ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। ऐसे तो पूरे महीने यहां भक्तों का दर्शन के लिए ताता लगा रहता है। लेकिन फाल्गुन महीने के शिवरात्रि और सावन के पावन महीने में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी उमड़ती है कि विधि व्यवस्था बनाने में पुलिस प्रशासन के पसीने छूट जाते है।
इस बार तीन लाख से ऊपर भक्तों द्वारा जला चढ़ाने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस मंदिर में जलाभिषेक के लिए पुरा बक्सर गेरुवा मय हो जाता है। पूरे महीने बक्सर के रामरेखा घाट से जलभर कर श्रद्धालु 40 किलोमीटर के पद यात्रा कर यहां पहुंच जलाभिषेक करते है। मंदिर परिसर के पास एक बहुत बड़ा तलाब भी है। यहां का प्रसिद्ध प्रसाद गुड़ का लड्डू है।
शिव पुराण के रूद्र संहिता में इस शिवलिंग का वर्णन है। ब्रह्मपुर ‘विराजते सो ब्रह्मेश्वर नाथ स्थापितः येन ब्राह्मण सृष्टि के रचयिता ब्रह्म जी के द्वारा स्थापित किए गए शिवलिंग को बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस नगरी का नाम ब्रह्मपुर इसलिए पड़ा क्योंकि स्वयं जगत पिता ब्रह्मा जी ने इसकी रचना की।
शिव पुराण में कहा गया ही कि यह शिवलिंग धर्म-अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने वाला है। यही कारण है कि इसे मनोकामना महादेव भी कहा जाता है। मंदिर के पुजारी उमलेश जी महाराज कहते हैं कि जब ब्रह्मा जी ने पुरुषोत्तम भगवान से सृष्टि रचना का आदेश प्राप्त किया। तब उन्होंने ब्रह्मपुर को आध्यात्मिकता की धुरी मानी। इसलिए खुद के नाम पर इस नगर का नामकरण किया। इस शिवलिंग का भी नामकरण उन्हीं के नाम पर ब्राह्मेश्वर पड़ा।

ब्रह्मपुर को आध्यात्मिकता की धुरी मानी जाती है।
रातों-रात मंदिर का द्वार हो गया पश्चिम मुखी
इतिहासविद प्रो. के राय कहते हैं कि मोहम्मद गजनी ने इस मंदिर को तोड़ने के लिए अपने पूरे फौज के साथ धावा बोला था। यहां के पंडों के अनुनय-विनय के पश्चात उसने इस शर्त पर उनकी बात मानी थी कि, अगर भगवान में शक्ति है तो उनसे कहो कि मंदिर का दरवाजा रात भर में पूरब से हमारे साम्राज्य (पश्चिम) की ओर हो जाए। कहा जाता है कि यह चमत्कार हों गया। एकलौता शिव मंदिर है जिसका दरवाजा पूरब दिशा के बदले पश्चिम दिशा की तरफ है।
बिहार के CM ने सौंदर्यीकरण की दी है सौगात
बता दें कि इस सावन महीने इस मंदिर के लिए 8 करोड़ 74 लाख रुपये की सौगात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दिया गया।जिसका शिल्यान्यास 21 जुलाई को वर्चुवल की गई।मन्दिर परिसर ,स्थित तलाब का सौंदर्यीकरण ,चेंजिंग रूम,स्वागत गेट आदि बनाये जाए जायेंगे।
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