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पटना2 घंटे पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद

पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह।

राजद के विधायक सुधाकर सिंह ने कृषि और अफसरशाही से जुड़े सवाल को उठाते हुए कृषि मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इधर कई दिनों से उनका कोई बयान नहीं आया है। पार्टी और उसके बाहर के राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच इसकी चर्चा खूब है कि आखिर सुधाकर सिंह कहां हैं? वे क्या कर रहे हैं ? हमने इसकी तफ्तीश की।

सुधाकर सिंह देश के उन क्षेत्रों के दौरे पर हैं, जहां तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच प्रगतिशील किसान अपने बलबूते खेती कर रहे हैं। बिहार जैसे राज्य के लिए नजीर बन रहे हैं, जहां अच्छी मिट्टी और समतल जमीन हैं।

मराठों के गढ़ में खेती के तौर-तरीके देख रहे

वे इन दिनों किसानों के उस गढ़ में हैं जो देश भर में चर्चा का केन्द्र रहा है। सुधाकर सिंह मंडी कानून सहित किसानों को उनकी फसल का वाजिब मूल्य मिले जैसे सवाल उठाते रहे हैं। अनाज खरीद में पैक्स के बजाय मल्टिपल एजेंसियों को मौका देने की वकालत की थी। सुधाकर सिंह इन दिनों मराठों के गढ़ कोल्हापुर, सतारा (एमपी) के इलाके में घूम रहे हैं। वे इन्हीं किसानों के घर रह रहे हैं। उनसे खेती के नए प्रयोग पर बातचीत कर रहे हैं। खेती में उपज के तौर-तरीके बारीकी के साथ देख रहे हैं।

खेती से दुनिया में बनाई पहचान

सुधाकर बताते हैं कि इस इलाके के किसानों ने अपनी मेहनत के बलबूते देश-दुनिया में पहचान बनाई है। यहां के किसान खेतों और मेहनत के बल पर धनवान हुए हैं। वे बताते हैं कि इस इलाके में किसानों ने बेहतरीन तरीके से एग्रोबेस्ड खेती की, जबकि यहां बिहार की तरह बहुत अच्छी जमीन भी नहीं है। पानी की भी समस्या रहती है। कहते हैं कि बिहार के किसान भी काफी मेहनती हैं लेकिन वे उतने मुखर नहीं हैं, जितने मराठा इलाकों के किसान हैं।

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मराठों का इलाका किसान आंदोलन के मामले में उग्र रहा है। यहां कई हिंसक आंदोलन भी हुए। कर्नाटक का लिंगायत समुदाय भी यहीं है, जिसका केन्द्र बेलगांव है। वे महाराष्ट्र के निकट कई गांवों में जा रहे हैं।

चंडीगढ़, हिमाचल और हरियाणा जाएंगे

सुधाकर सिंह ने बताया कि वे यहां की खेती देखने- समझने और किसानों से मुलाकात करने के बाद चंडीगढ़, हिमाचल और हरियाणा जाएंगे और वहां भी किसानों से मिलेंगे। उन्होंने बताया कि वे किसानों के घर पर ही खाना खाते हैं। उनके घर पर ही रहते भी हैं।

अगर वहां कोई व्यवस्था नहीं हुई तो वैसे किसी स्थल पर ठहरते हैं, जो गांधी आश्रम जैसा हो। होटलों में नहीं ठहरते। सुधाकर सिंह बताते हैं कि उन्हें देखकर अचरज हुआ कि किसान सौर ऊर्जा और झरने से खुद बिजली उत्पादन कर रहे हैं। वे खेती कर रहे हैं। पूर्व कृषि मंत्री का कहना है कि बिहार की नई पीढ़ी के युवाओं को खेती के लिए मोटिवेट करना बहुत जरूरी है।

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