पटना2 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

अग्निपथ योजना के विरोध में बिहार चार दिन से जल रहा है। 15 ट्रेने फूंक दी गई। कई जिलों में तोड़-फोड़, आगजनी, लूटपाट, मारपीट सब कुछ हो रहा है। मगर, राज्य सरकार चुप है। आखिर क्यों? इस सवाल का जवाब है- सरकार को भी नही पसंद है अग्निपथ योजना। इसलिए केंद्र सरकार को सत्तारुढ दल JDU ने सलाह दे डाली, इस पर फिर से विचार हो लेकिन, हिंसा करने वालों के खिलाफ कोई सख्त एक्शन नही लिया। केवल बिहार लॉ एंड ऑर्डर एडीजी के तरफ से बयान आया कि उपद्रवियों को नही छोडेंगे। बिहार के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर संजय सिंह ने कहा कि अग्निपथ के विरोध करने वालों पर यदि FIR हुआ तो किसी पथ के लिए नही बचेंगे। विपक्षी दलों ने शनिवार को बिहार बंद का कॉल कर दिया। सरकार के तरफ से कोई सूचना नही आयी। हां, ये जरूर हुआ कि विपक्षी दलों के बंदी को खामोश रहकर सत्तारुढ़ दल की मुख्य पार्टी JDU ने समर्थन कर दिया।
गृह विभाग है नीतीश कुमार के पास
बिहार का गृह विभाग CM नीतीश कुमार के पास है। इस उपद्रव को देखते हुए उन्हे पुलिस से लेकर प्रशासनिक महकमे को अलर्ट पर ऱकना चाहिए था। लेकिन, सूत्रों कि माने तो अबतक CM ने इसको लेकर कोई मीटिंग नही की है। नाम नही बताने के अनुरोध पर एक JDU नेता ने कहा कि राज्य सरकार भी चाहती है कि केंद्र सरकार अग्निपथ योजना को वापस ले।
कई सवाल खड़े हो रहे है
इसके बावजूद कई सवाल ऐसे है जिनका जवाब आम लोगों को मिल रहा है। पिछले चार दिनों से बिहार में उपद्रवियों ने आग लगा रखी है। चार दिन बाद सरकार के तरफ से बस इतना बयान आया कि यदि विरोध करने वालों पर FIR हुआ तो वो कही के नही बचेंगे। वहीं, सरकार के तरफ से बस इतना किया गया है कि बंद के कॉल के मद्देनजर एहतियातन मुख्य जगहों पर एक्स्ट्रा पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। इसके बावजूद बिहार की डिप्टी सीएम रेणु देवी से लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल समेत पांच नेताओं पर हमला हो चुका है। तीन भाजपा के जिला कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया गया। कुछ के वीडियो भी सामने आए लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
JDU अग्निपथ योजना पर स्पष्टीकरण की कर रहा है मांग
इधर, JDU ने बंद का समर्थन तो नहीं किया है लेकिन, केंद्र सरकार अग्निपथ योजना का भी समर्थन नहीं किया है। JDU के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार बताते है कि इस योजना को लेकर केंद्र सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। इस योजना को लेकर कई लोगों में भ्रम की स्थिति है। ऐसे में यदि लोग समझ नहीं पा रहे हैं तो केंद्र सरकार अविलंब स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। बंद करने का समर्थन JDU नहीं करता है और न ही उपद्रव का ही समर्थन करता है। सरकारी उपक्रमों का नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। लेकिन, जल्द से जल्द केंद्र सरकार को इस पर फैसला लेना चाहिए।
Article Credite: Original Source(, All rights reserve)