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हाइलाइट्स

अररिया जिले के परमान नदी के तट पर स्थापित मां खड़गेश्वरी काली मंदिर में अपने आप में काफी खास है.
यहां जेल में बंद कैदियों के द्वारा गूंथी फूलों की माला से मां काली की पूजा की शुरूआत होती है.
मां खड़ंगेश्वरी काली मंदिर के मुख्य पुजारी नानू बाबा बताते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के वक्त से ही यह परम्परा चली आ रही है.

अररिया. बिहार के अररिया जिले के परमान नदी के तट पर स्थापित मां खड़गेश्वरी काली मंदिर में अपने आप में काफी खास है. इस मंदिर का विशेष ऐतिहासिक महत्व है. यहां जेल में बंद कैदियों के द्वारा गूंथी फूलों की माला से मां काली की पूजा की शुरूआत होती है. मां खड़ंगेश्वरी काली मंदिर के मुख्य पुजारी नानू बाबा बताते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के वक्त से ही यह परम्परा चली आ रही है.

उन्होंने बताया कि जेल के ही एक अधिकारी द्वारा इसकी शुरुआत हुई थी जो आजतक कायम है. हालांकि इसका कोई लिखित दस्तावेज नहीं है कि यह काली मंदिर कितना पुराना है और यह परम्परा कब से शुरू हुई है. एक मान्यता के अनुसार मंडल कारा में बंद कैदी मां काली से वचन देता है कि मेरे गूंथे हुए फूलों की माला को आप स्वीकार कीजिए और जेल से निकलने के बाद मैं अपराध का रास्ता छोड़कर सही मार्ग पर चलूंगा.

यह है बिहार का सबसे ऊंचे गुंबद वाला मंदिर 

इस अनोखी परम्परा की कहानी अररिया के हर शख्स की जुबान पर रहती है. अररिया के ऐतिहासिक काली मंदिर में आज फिर मां का दरबार सजा है.  152 फिट ऊंचे गुम्बद वाले इस मंदिर को बिहार का सबसे ऊंचे गुम्बद वाला मंदिर भी माना जाता है. एक मान्यता के मुताबिक अररिया का यह काली मंदिर 1840 ई से भी पुराना है. अंग्रेजी शासन के वक्त अररिया मंडल उपकारा था. उसी वक्त के जेलर को सपना आया और तब से कैदीयों के बनाए गए फूलों की माला से यहां मां काली की पूजा शुरू हुई. बाद के दिनों में 1970 में जब नानू बाबा ने कार्यभार संभाला तब इस मंदिर को भव्य तरिके से निर्माण करवाया गया.

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मंदिर में देर रात होती है निशा पूजा 

अररिया मंडल कारा के वार्डन नन्दलाल यादव बताते हैं कि जबसे मैंने अररिया में ड्यूटी शुरू की है तबसे मुझे ही यह अतिरित प्रभार दिया गया है कि जेल के कैदीयों से माला लेकर इस काली मंदिर में आना है फिर उसी माला से मां की पूजा की शुरुआत होती है. उन्होंने बताया कि काली पूजा में विशेष तौर पर यह होता है. वहीं कैदीयों की माला मंदिर तक पहुंचाना रोजाना की गतिविधि है. यहां देर रात निशा/ विशेष पूजा होती है. इसलिए काली मंदिर को भव्य तरिके से सजाया जाता है, जहां मां काली के भक्त भक्तिभाव से माँ की पूजा करते हैं.

दूर-दूर से दर्शन के लिए पहुंचते हैं लोग 

अररिया के भक्त हीरा ठाकुर, रौशन दुबे, मनीष कुमार,सुमित ठाकुर बताते हैं कि हर बार की तरह इस बार भी माँ काली पूजा को लेकर भव्य सजावट की गयी है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आ रहे हैं. जेल में बंद कैदी आजादी के वक्त से ही मां काली के लिए फूलों की माला गुंथते आ रहे हैं और फिर उसी माले से मां काली की पूजा की शुरुआत यहां होती है. मान्यता यह है कि जेल में बंद कैदी माँ से वादा करते हैं कि अब वो अपराध का रास्ता छोड़कर सतमार्ग पर चलेंगे और सही जीवन व्यतीत करेंगे. इस अनोखी परम्परा और ऐतिहासिक काली मंदिर आकर्षण का केंद्र बन गया है.

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