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हाइलाइट्स

द्रौपदी मुर्मू देश की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं.
द्रौपदी मुर्मू देश की पहली राष्ट्रपति हैं, जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है.
द्रौपदी मुर्मू ने ‘भारत के संविधान की रक्षा और संरक्षण करने की’ शपथ हिंदी में ली.

नई दिल्ली. भारत की 15वीं राष्ट्रपति एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से आने वाली देश की पहली राष्ट्राध्यक्ष द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने के बाद कहा कि उनका निर्वाचन इस बात का सबूत है कि ‘गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है’ राष्ट्रपति मुर्मू, देश के शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली दूसरी महिला हैं. उन्होंने रामनाथ कोविंद की जगह ली. मुर्मू को संसद के केंद्रीय कक्ष में देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.

मुर्मू (64) देश की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं और देश की पहली राष्ट्रपति हैं, जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है. उन्होंने ‘भारत के संविधान की रक्षा और संरक्षण करने की’ हिंदी में शपथ ली. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ‘यह हमारे लोकतंत्र की ही ताकत है कि एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है.’ उन्होंने ओडिशा के मयूरभंज जिले से राष्ट्रपति भवन तक के अपने सफर का उल्लेख करते हुए यह कहा. उल्लेखनीय है कि ओडिशा का यह जिला देश के सर्वाधिक पिछड़े जिलों में से एक है.

मुर्मू ने ‘जोहार’ (अभिवादन) और ‘नमस्कार’ शब्दों के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की. उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है. मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है.’ उन्होंने 18 मिनट से कुछ अधिक समय के अपने संबोधन में अक्सर ही अपनी जनजातीय पहचान का जिक्र किया. वह गरीब, जनजातीय समुदायों, सतत विकास और सरकार की डिजिटल इंडिया और ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल तथा कोविड महामारी से इसके निपटने जैसे मुद्दों पर बोलीं.

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राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी और वह जिस पृष्ठभूमि से आती हैं, वहां उनके लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था. उन्होंने कहा, ‘लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी. मैं जनजातीय समाज से हूं, और वार्ड पार्षद से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है. यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है.’

संथाल समुदाय के परिवार से आने वाली राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उन्होंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी और वह जिस पृष्ठभूमि से आती हैं, वहां उनके लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था. मुर्मू ने कहा, ‘मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि उनके इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है और यह देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है.

नई राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे स्वाधीनता सेनानियों तथा राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण में रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी वीरांगनाओं के योगदान का जिक्र किया. उन्होंने यह भी कहा कि एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में 75 वर्षों में भारत ने प्रगति के संकल्प को सहभागिता एवं सर्व-सम्मति से आगे बढ़ाया है.

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राष्ट्रपति ने कहा कि विविधताओं से भरे अपने देश में हम अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाजों को अपनाते हुए ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में सक्रिय हैं. एक पार्षद के रूप में सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाली और बाद में झारखंड की राज्यपाल बनने वाली मुर्मू ने कहा कि वह सभी भारतीयों, विशेषकर युवाओं और महिलाओं को आश्वस्त करना चाहती हैं कि राष्ट्रपति के रूप में उन सभी के हित उनके लिए सबसे ऊपर होंगे.

संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह से पहले, निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और निर्वाचित राष्ट्रपति संसद पहुंचे. दोनों संसद के ‘केंद्रीय कक्ष’ गए, जहां ड्रम बजाकर उनका स्वागत किया गया. मुर्मू को 21 तोपों की सलामी दी गई जिसके बाद उन्होंने शपथ पुस्तिका पर हस्ताक्षर किया. इस दौरान उपस्थित गणमान्य लोगों द्वारा मेज थपथपाकर उनका अभिवादन किया गया. हालांकि, राष्ट्रपति की स्वर्ण जड़ित परंपरागत बग्घी (घोड़ा गाड़ी) सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा नहीं थी.

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