
मैड्रिड. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बृहस्पतिवार को कहा कि नाटो सैन्य गठबंधन ने दुनियाभर में तेजी से बदलते सुरक्षा हालात के अनुरूप खुद को ढालकर बदलाव को अपनाया है. उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के एक सम्मेलन के समापन पर आयोजित पत्रकार वार्ता में बाइडेन ने कहा, ‘मेरा मानना है कि हम सब इस बात को मानेंगे कि यह एक ऐतिहासिक नाटो सम्मेलन रहा है.’ नाटो के तीन दिवसीय सम्मेलन में बाइडन प्रशासन द्वारा यूरोप में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी को स्थायी रूप से मजबूत करने संबंधी योजना की घोषणा की गई.
इसके साथ ही तुर्की, फिनलैंड और स्वीडन के बीच नॉर्डिक देशों को नाटो में शामिल करने का रास्ता साफ करने के लिए भी सहमति बनी. बाइडेन ने कहा कि इससे पहले नाटो ने अपनी रणनीतिक अवधारणा को 12 साल पहले अपडेट किया था जिसमें रूस को साझेदार के तौर पर अंकित किया गया था और दस्तावेज में चीन का उल्लेख भी नहीं था. उन्होंने कहा, ‘तब से दुनिया बहुत बदल गई है.’ बाइडेन ने कहा, ‘यह सम्मेलन हमारे गठबंधनों को मजबूत करने और हमारे सामने आ रहीं चुनौतियों से निपटने के बारे में था.’
रूस और चीन ने की नाटो की आलोचना
इस बीच, रूस को एक सीधा खतरा बताने और चीन से वैश्विक स्थिरता को गंभीर चुनौतियां पेश आने की चेतावनी देने को लेकर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) को बृहस्पतिवार को दोनों देशों की आलोचना का सामना करना पड़ा. नाटो ने मैड्रिड में एक सम्मेलन में यह चेतावनी दी कि विश्व बड़ी शक्तियों की प्रतिस्पर्धा के एक खतरनाक चरण में प्रवेश कर गया है और साइबर हमले से लेकर जलवायु परिवर्तन तक, कई खतरों का सामना कर रहा है.
नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने बृहस्पतिवार को सम्मेलन के समापन पर कहा कि सदस्य देश ‘हमारी प्रतिरोध और रक्षा में’ एक बुनियादी बदलाव पर सहमत हुए हैं. स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, ‘हम अधिक खतरनाक विश्व और एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां यूरोप में एक भीषण युद्ध चल रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘साथ ही, हम यह भी जानते हैं कि यदि यह रूस और नाटो के बीच पूर्ण युद्ध में तब्दील हो गया तो स्थिति और भयावह हो जाएगी.’
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FIRST PUBLISHED : June 30, 2022, 22:32 IST
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