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नई दिल्ली. अस्थिर टीम, सीनियर खिलाड़ियों पर सवालिया निशान और करीब खड़ा आईसीसी टूर्नामेंट. राहुल द्रविड़, 2007 विश्व कप से पहले कप्तान के रूप में इस चक्रव्यहू का सामना कर चुके हैं. इस बार कोच के तौर पर उस टीम के साथ 15 साल पहले वाले हालात का सामना कर रहे हैं, जो अभी भी टी20 विश्व कप के लिए विकल्पों को आजमाने में जुटी है. 2007 में द्रविड़ कप्तान थे और कोच ग्रेग चैपल. तब द्रविड़ ने चैपल के कई फैसले अनिच्छा से लागू किए थे. लेकिन, अब खुद उनके हाथ में कमान है और कप्तान के रूप में उनका साथ निभाने के लिए रोहित शर्मा. भले ही द्रविड़ का रोल और भारतीय क्रिकेट का दौर बदल गया है. लेकिन, टीम इंडिया के लिए फैसले लेने का काम अभी भी पहले जैसा ही मुश्किल है.

अक्सर विवादों से दूर रहने वाले राहुल द्रविड़ के लिए अगले कुछ महीने चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं, क्योंकि उन्हें टी20 विश्व कप के लिए टीम इंडिया का सेलेक्शन करना होगा और यह आसान नहीं होगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि 2007 की तरह इस बार भी विकल्पों की भरमार है. ऐसे में कोच के रूप में द्रविड़ को कुछ अनचाहे फैसले लेने पड़ सकते हैं.

द्रविड़ के पास 2007 की गलती ठीक करने का मौका
2007 में कप्तान के रूप में द्रविड़ का अनुभव अच्छा नहीं रहा था. उन्होंने टीम सेलेक्शन को लेकर कई गलतियां की थी. इसी वजह से भारत 2007 के विश्व कप में ग्रुप स्टेज से आगे नहीं बढ़ पाया था. तब सिर्फ उन्हें ही आलोचना नहीं झेलनी पड़ी था, बल्कि सचिन, गांगुली जैसे खिलाड़ी भी फैंस के निशाने पर आ गए थे. उनके घरों पर पत्थरबाजी तक हुई थी. आगे चलकर द्रविड़ को कप्तानी और चैपल को कोच पद से हटना पड़ा.

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विकल्पों की भरमार ने बढ़ाई टीम इंडिया की परेशानी
ऐसे में इतिहास को भूलने की गलती फिर भारी पड़ सकती है. 2007 के विश्व कप में टीम इंडिया को जिस परेशानी का सामना करना पड़ा था. वही, इस बार भी कुछ ऐसे ही हालात हैं. 2007 में भारत के पास टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ियों की भरमार थी. श्रीलंका के खिलाफ भारत जो अपने पूल का आखिरी मैच हारा था. उसमें टीम का बैटिंग ऑर्डर कुछ इस तरह था: रॉबिन उथप्पा, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर. एक टीम जिसमें कई सारे सलामी बल्लेबाज थे, उसके कोच और कप्तान ने सबको चौंकाते हुए सहवाग-सचिन की हिट सलामी जोड़ी के स्थान पर उथप्पा और गांगुली से पारी की शुरुआत कराई.

गांगुली 30 के स्ट्राइक रेट से 7 रन बनाकर आउट हो गए. हालांकि, बरमूडा के खिलाफ पिछले मैच में उन्होंने 114 गेंद में 89 रन बनाए थे. लेकिन, टूर्नामेंट में उनका स्ट्राइक रेट 60 का था. इसके बाद उन्हें फैंस की आलोचना झेलनी पड़ी और उन पर इस तरह के बेतुके आरोप भी लगे उनका स्पॉन्सर प्यूमा उन्हें क्रीज पर समय बिताने के हिसाब से पैसे देता है, इसलिए वो इस तरह से खेले.

टीम इंडिया 2007 जैसी स्थिति में खड़ी
टी20 विश्व कप से पहले भारतीय क्रिकेट फिर से उसी मोड़ पर खड़ी है. द्रविड़-रोहित उसी विश्व कप की दुविधा से जूझ रहे हैं, जिसका कि द्रविड़-चैपल की जोड़ी ने 2007 के वनडे विश्व कप के दौरान सामना किया था. टी20 विश्व कप के लिए जो संभावित टीम नजर आ रही है, उसमें भी टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों की भरमार है और कुछ ऐसे सीनियर खिलाड़ी भी हैं, जो स्ट्राइक रेट के मुद्दे पर कमजोर नजर आ रहे हैं.

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टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी के लिए काफी विकल्प
ओपनिंग विकल्प के रूप में केएल राहुल, रोहित शर्मा और ईशान किशन उभरे हैं. वहीं, विराट कोहली भी इस नंबर पर खेल सकते हैं. आईपीएल में फीके प्रदर्शन के बाद ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन टेस्ट में धमाकेदार बल्लेबाजी की. ऐसे में क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि ऋषभ पंत को बतौर ओपनर आजमाना चाहिए. इसके अलावा संजू सैमसम भी हैं. जो बड़ा स्कोर बनाने या लक्ष्य का पीछा करने में पावरप्ले में कुछ गेंदों में अपनी पिंच हिटिंग के जरिए खेल का रुख बदल सकते हैं.

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रोहित-विराट का हालिया स्ट्राइक रेट कमजोर
पूरे आईपीएल के दौरान, रोहित, राहुल और कोहली को टी20 में वनडे के अंदाज में बल्लेबाजी करने के कारण खूब आलोचना झेलनी पड़ी. फिर भी, टी20 विश्व की टीम में यह तीनों बल्लेबाज 1 से नंबर 3 स्लॉट में खेलते नजर आ सकते हैं. यह पसंद सुरक्षित तो है, लेकिन, जिस तरह का टी20 क्रिकेट अभी खेला जा रहा है, उसके लिहाज से मजबूत नहीं. फिलहाल, टीम कॉम्बिनेशन को लेकर भारतीय मैनेजमेंट भ्रम की स्थिति में दिख रहा है, जो 2007 के विश्व कप की याद दिलाता है. हालांकि, इस बार द्रविड़ के पास कोच के रूप में बड़े और कड़े फैसले लेने की ज्यादा आजादी है. बीते 18 टी20 में टीम इंडिया में 28 खिलाड़ियों को आजमाया जा चुका है. इसके बाद भी टीम कॉम्बिनेशन सेट नहीं हो पाया है.

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क्या द्रविड़ टी20 विश्व कप के लिए कड़े फैसले ले पाएंगे?
टॉप ऑर्डर में ही सबसे बड़ा पेंच फंसा है. क्या कोच केएल राहुल, रोहित शर्मा और विराट कोहली में से किसी एक को टी20 विश्व कप के लिहाज से बाहर रखने का साहसी फैसला ले सकते हैं? हालिया फॉर्म को देखते हुए तो कोहली ही कमजोर कड़ी दिख रहे हैं. लेकिन, यह देखना होगा कि द्रविड़ उन्हें बाहर रखने या बल्लेबाजी क्रम में बदलाव का कड़ा फैसला ले सकते हैं या नहीं? टेस्ट क्रिकेट में तो अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा इसकी झलक देख चुके हैं. लेकिन, लिमिटेड ओवर क्रिकेट में टीम इंडिया में बदलाव करना आसान नहीं होगा. कोहली के बिना विश्व कप फैंस का दिल तोड़ने के साथ ब्रॉडकास्टर्स और स्पॉन्सर कंपनियों की सांसें भी ऊपर-नीचे कर सकता है.

इतिहास गवाह है कि द्रविड़ ने कप्तान के रूप में कड़े और चौंकाने वाले फैसले लिए हैं. सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली इसके उदाहरण हैं. टी20 विश्व कप में अब काफी कम वक्त बचा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार द्रविड़ अपने फैसलों से चौंका पाते हैं या नहीं?

Tags: Rahul Dravid, Rohit sharma, T20 World Cup 2022, Team india, Virat Kohli, World cup

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