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हाइलाइट्स

टीएनटी बहुत खतरनाक विस्फोटक है, खदान से लेकर पहाड़ों को तोड़ने में इस्तेमाल
इसको जटिल रासायनिक प्रक्रियाओं के बाद बनाया जाता है, पानी से बेअसर
देखने में साबुन की टिक्की की तरह लगता है ये विस्फोटक टीएनटी

नोएडा के ऊंचे ट्विन टॉवर को 28 अगस्त को जमींदोज कर दिया जाएगा. 3600 किलोग्राम से कहीं ज्यादा जिस विस्फोटक के जरिए ये इमारत सेकेंडों पर जमीन पर आकर मलबे का ढेर बन चुकी होगी, उसे टीएनटी कहा जाता है यानि ट्राईनाइट्रोटोल्यूइन. देखने में साबुन की टिक्की जैसा लेकिन इतना ताकतवर की पहाड़ों से लेकर बड़ी इमारतों और ढांचों को नेस्तनाबूद कर दे. यही वो विस्फोटक है, जो ट्विवर टॉवर में छेद बनाकर सैकड़ों जगहों पर फिट किया जा चुका है. अब बस एक बटन दबने की देर होगी और ट्विन टॉवर ढह जाएगी.

टीएनटी विस्फोटकों की दुनिया में बहुत खतरनाक और ताकतवर माना जाता है. ये दरअसल एक रासायनिक मिश्रण है. पीले रंग का होता है. टीएनटी को पहली बार 1863 में जर्मन रसायन विज्ञानी जूलियस विलब्रांड ने तैयार किया था. हालांकि शुरुआत में इसकी क्षमता को पहले तो पहचाना ही नहीं गया. 30 साल बाद एक दूसरे जर्मन रसायन विज्ञानी कार्ल हैसरमैन को समझ में आया कि ये विस्फोट कमाल का है.

जर्मन सेना से सबसे पहले अपनाया
जर्मन सशस्त्र बलों ने इसे 1902 में तोपखाने के गोले के लिए भरने के लिए अपनाया. यह टाल्यूइन (C6H5CH3) के साथ सान्द्र H2SO4 एवं सान्द्र HNO3 की क्रिया से बनाया जाता है. इसकी विस्फोटक गति 6900 मीटर प्रति सेकेंड होती है. अब तो ज्यादातर देशों की सेनाएं इसका इस्तेमाल करने लगी हैं. आमतौर पर इसे सेना की देखरेख में ही बनाया जाता है.

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किस तरह बनाया जाता है
टीएनटी का उत्पादन तीन-चरणों की प्रक्रिया में किया जाता है. सबसे पहले, टोल्यूइन सल्फ्यूरिक और नाइट्रिक एसिड के मिश्रण से नाइट्रेट में बदला जाता है जिसके मोनोनिट्रोटोल्यूइन (एमएनटी) को बनाया जा सके. एमएनटी को अलग किया जाता है. फिर डाइनिट्रोटोल्यूइन (डीएनटी) में फिर बदलते हैं. आखिरी चरण में नाइट्रिक एसिड और ओलियम के निर्जल मिश्रण का उपयोग कर डीएनटी को ट्राइनाइट्रोटोल्यूइन (टीएनटी) में तैयार करते हैं.

विस्फोट से अत्यधिक एनर्जी और ऊष्मा 
इससे जब विस्फोट किया जाता है तो अत्यधिक ऊर्जा और उष्मा दोनों पैदा होती है. ये किसी भी टारगेट को तहस नहस कर सकता है. ये ना केवल सैन्य इस्तेमाल बल्कि औद्योगिक और खनन के क्षेत्र में इस्तेमाल होता है.

पानी का कोई असर नहीं
टीएनटी की मारक क्षमता पर पानी का कोई असर नहीं पड़ता. ट्विन टॉवर में भी सैकड़ों और हजारों छेदों में इसकी जो छड़ें लगाई गई हैं, उन्हें तारों के एक नेटवर्क से जोड़ा जाएगा. फिर इन सारे तारों को मुख्य ट्रिगर से जोड़ देते हैं. इसे दबाते ही विस्फोटक बूस्टर के जरिए तरंगें फैलती हैं और पलक झपकते ही ये विस्फोटक अपनी गति और एनर्जी के साथ पैदा हुई उष्मा से सबकुछ नष्ट कर देता है. टीएनटी के ब्लाक अलग अलग आकार में बनाए जा सकते हैं और उन्हें इसी तरह फिट किया जा सकता है.

जहरीला होता है त्वचा में जलन पैदा करता है
टीएनटी जहरीला होता है. त्वचा के संपर्क में आकर जलन पैदा करता है, त्वचा का रंग चमकीला पीला-नारंगी हो जाता है. लंबे समय तक जो लोग टीएनटी के संपर्क में रहते हैं, वो भी एनीमिया और यकृत संबंधी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. यहां तक कि जब इससे ट्विन टावर में विस्फोट होगा तो इसका असर भी हवा में जाएगा. सांस में आने के बाद ये प्रजनन क्षमता तक पर असर डालता है. इस बात के प्रमाण भी हैं.

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Tags: Demolition, Supertech twin tower, Supertech Twin Tower case

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