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नई दिल्ली: डीजीबी यानी दिल्ली जल बोर्ड में 20 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने शनिवार को मुख्य सचिव को दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों और अन्य के खिलाफ 20 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया. एलजी ने यह भी निर्देश दिया है कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों/कर्मचारियों की पहचान की जाए, जो उपरोक्त धनराशि की हेराफेरी में शामिल हैं. साथ ही उनकी जिम्मेदारी तय की जाए और इस पर की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाए.

आधिकारिक बयान के अनुसार, भ्रष्टाचार के एक स्पष्ट मामले में डीजेबी को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है. इसमें कहा गया कि उपभोक्ताओं से पानी के बिल के रूप में 20 करोड़ रुपये से अधिक पैसे जमा कराए गए, जो कई सालों तक डीजेबी यानी दिल्ली जल बोर्ड के बैंक खाते के बजाय एक निजी बैंक खाते में चले गए. बयान में कहा गया है कि इसके बावजूद बिल जमा करने में संलिप्त कंपनी का अनुबंध खत्म नहीं किया गया.

बयान के मुताबिक, डीजेबी ने अपने कॉर्पोरेशन बैंक को जून 2012 में आदेश के माध्यम से तीन साल के लिए पानी के बिल जमा करने के लिए नियुक्त किया था और धोखाधड़ी का पता चलने के बाद भी 2016, 2017 और 2019 में भी इसके अनुबंध को रिन्यू किया गया. बदले में बैंक ने अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन किया. इतना ही नहीं, डीजेबी अधिकारियों की जानकारी में होते हुए नकद और चेक के संग्रह और डीजेबी के बैंक खाते में जमा करने के लिए एक निजी एजेंसी मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को नियुक्त किया गया.

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बताया गया कि जब 2019 के अक्टूबर महीने में इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ, तब भी उसके कॉन्ट्रैक्ट को बढ़ाया गया था. पानी के बिल की राशि उपभोक्ताओं से तो ली गई मगर जल बोर्ड के बैंक खाते में यह रकम जमा नहीं हुई. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दिल्ली जल बोर्ड अध्यक्ष रहते हुए 10 अक्टूबर 2019 को पता चला कि बैंक द्वारा नकदी जमा नहीं कराया गया है और 11 अगस्त 2012 से लेकर 10 अक्टूबर 2019 के बीच रुपये जमा कराने में 20 करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई है.

बयान के मुताबिक, यह पाया गया कि उपभोक्ताओं द्वारा जमा किए गए 20 करोड़ रुपए दिल्ली जल बोर्ड के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर नहीं किए गए. यह जानते हुए भी बोर्ड ने कॉरपोरशन बैंक और बैंक के कलेक्शन एजेंट के रूप में काम कर रहे मेसर्स फ्रेशपे आटी सॉल्युशन प्राइवेट लिमिटेड का कॉन्ट्रैक्ट 2020 तक बढ़ा दिया. इससे भी अधिक नुकसानदेह यह है कि गलत करने वाले वेंडर्स को 20 करोड़ रुपये का भुगतान न करने और उन्हें दंडित करने के बजाय डीजेबी ने न केवल उनका अनुबंध बढ़ाया, बल्कि उनकी सेवा शुल्क 5 रुपये से बढ़ाकर 6 रुपये प्रति बिल कर दिया.

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