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हाइलाइट्स

लोगों को जोड़ने देश में फिर शुरू हुईं राजनीतिक यात्राएं
राहुल के बाद बीजद और प्रशांत किशोर भी निकाल रहे यात्रा
भारत जोड़ो यात्रा केरल से होते हुए पहुंची कर्नाटक

नई दिल्ली. इस राजनीतिक मौसम में बड़ी संख्या में यात्राएं की जा रही हैं. तमाम नई तकनीक और सोशल मीडिया की सुविधा होने के बावजूद राजनीतिक दल यात्रा के माध्यम से जनसंपर्क के बेहतर पुराने फॉर्मूले को फिर से अपना रहे हैं. राहुल गांधी ने कांग्रेस के कई अन्य नेताओं के साथ, पिछले महीने 3,570 किलोमीटर की कन्याकुमारी से कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो’ यात्रा शुरू की थी. रविवार को दो और यात्राएं शुरू हुईं. इनमें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजू जनता दल (बीजद) की जनसंपर्क पदयात्रा और पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से बिहार के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की 3,500 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शामिल हैं.

पटनायक ने भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर के पास गांधी जयंती के अवसर पर जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू किया. इसमें बीजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं से ओडिशा के विकास के लिए सभी के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया. प्रशांत किशोर और उनके समर्थक यात्रा के दौरान बिहार के हर पंचायत और ब्लॉक तक पहुंचने का प्रयास करेंगे, जिसे पूरा होने में 12 से 15 महीने लग सकते हैं. किशोर ने भितिहरवा गांधी आश्रम से मार्च की शुरुआत की, जहां से महात्मा गांधी ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था.

केरल से कर्नाटक पहुंची राहुल की यात्रा
जैसे ही चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनके समर्थकों ने ‘‘पदयात्रा’’ शुरू की, रास्ते में लोगों ने उनका स्वागत किया. कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ रविवार को अपने 25वें दिन में प्रवेश कर गई और तमिलनाडु और केरल से होते हुए कर्नाटक में पहुंच गई है. कांग्रेस ने कहा है कि यह भारतीय राजनीति के लिए ‘परिवर्तनकारी क्षण’ और पार्टी के कायाकल्प के लिए ‘निर्णायक क्षण’ है. वर्ष 1983 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने ‘भारत यात्रा’ के तहत कन्याकुमारी से पैदल मार्च शुरू किया था. यह यात्रा 6 जनवरी, 1983 को शुरू हुई थी और छह महीने बाद नई दिल्ली पहुंची थी.

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राजीव गांधी की संदेश यात्रा
हालांकि, पर्यवेक्षक चंद्रशेखर की पदयात्रा को काफी हद तक सफल घटना मानते हैं, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की घटना ने 1984 के आम चुनाव में इसके प्रभाव को कम कर दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री एवं कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने 1985 में मुंबई में एआईसीसी के पूर्ण सत्र में ‘संदेश यात्रा’ की घोषणा की थी. अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल ने इसे पूरे देश में चलाया था. प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) और पार्टी के नेताओं ने मुंबई, कश्मीर, कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से एक साथ चार यात्राएं कीं. तीन महीने से अधिक समय तक चली यह यात्रा दिल्ली के रामलीला मैदान में संपन्न हुई.

आडवाणी की हुई थी गिरफ्तारी
बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में 1990 में रथ यात्रा निकाली गई. यह यात्रा ने राम मंदिर आंदोलन को गति देने के लिए निकाली गई थी. सितंबर 1990 में शुरू हुई इस यात्रा को 10,000 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी. इसे 30 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में समाप्त होना था. लेकिन, इसे उत्तरी बिहार के समस्तीपुर में रोक दिया गया और आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया था.

इन्होंने भी निकालीं यात्राएं
राजनीतिक दलों द्वारा कई अन्य यात्राएं निकाली गई हैं. इनमें 1991 में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व की एकता यात्रा, अप्रैल 2003 में कांग्रेस नेता वाई एस राजशेखर रेड्डी की 1,400 किलोमीटर लंबी पदयात्रा, 2004 में आडवाणी की ‘भारत उदय’ यात्रा शामिल हैं. इस यात्रा में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के छह साल के शासनकाल की उपलब्धियां बताई गई थीं.

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