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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल ने ‘वर्चुअल’ अदालती सुनवाई से कार्यक्षमता का स्तर बढ़ने की सराहना की. उन्होंने कहा कि इस प्रणाली का उपयोग करना जरूरी है, जिसके लिए एक वृहद इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार की गई है और सरकार ने काफी मात्रा में फंड मंजूर की है. जस्टिस कौल ने इसके साथ ही कहा कि धीरे-धीरे ‘वर्चुअल’ या ‘हाईब्रिड’ सुनवाई की प्रणाली चलन बन जाएगी और कोर्ट रूम में शारीरिक रूप से हाजिरी के साथ सुनवाई महज अपवाद होगी.

जस्टिस कौल ने रविवार को चार दिवसीय ‘दिल्ली मध्यस्थता सप्ताहांत’ के समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मध्यस्थता कार्यवाही में शामिल पक्षों को बहुस्तरीय समीक्षा के जरिये लड़ाई को जारी रखने के बजाय मध्यस्थता निर्णय को स्वीकार करना सीखना चाहिए.

अपने संबोधन में कहा, ‘पक्षों को मध्यस्थता निर्णय को स्वीकार करना सीखना चाहिए तथा दुर्भाग्य से सार्वजनिक क्षेत्र को इसकी और जरूरत है. साथ ही, महज औपचारिकता पूरी करने के लिए दो या त्रिस्तरीय समीक्षा के जरिये लड़ाई जारी रखने की कोई जरूरत नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसी चीज है, जिस बारे में मैं आश्वस्त हो सकता हूं कि कानून मंत्री इस पर गौर करेंगे.’

कोर्ट में हाजिरी अपवाद रह जाएगी
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू समापन समारोह में मुख्य अतिथि थे. जस्टिस कौल ने कहा कि दुनिया में कोविड-19 महामारी आने पर, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समुदाय ‘वर्चुअल’ प्रणाली की ओर बढ़ा था तथा धीरे-धीरे ‘वर्चुअल’ या ‘हाईब्रिड’ सुनवाई की प्रणाली चलन बन जाएगी और अदालत कक्ष में शारीरिक उपस्थिति के साथ सुनवाई महज अपवाद होगी.

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जस्टिस कौल ने कहा, ‘न्याय के पहिये को यथासंभव आगे बढ़ाते रहने के लिए हमने अदालतों में वर्चुअल सुनवाई शुरू की तथा विकाशशील देश होने के नाते भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी की समस्याएं आईं, लेकिन संबंधित पक्षों को इस व्यवस्था को सुचारू बनाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा.’

उन्होंने ‘मध्यस्थता दृष्टि 2030: भविष्य की दृष्टि’ विषय पर सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘ मैं कहूंगा कि वर्चुअल प्रणाली ने कार्यक्षमता के स्तर को बढ़ाया है और आज भी मैं हाईब्रिड स्तर पर काम करता हूं, जहां मैं वकीलों को वीडियो काफ्रेंस के जरिये पेश होने की अनुमति देता हूं.’

Tags: High Court Virtual Hearing Order, Supreme Court

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