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गया3 घंटे पहले

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गया जिले के नक्सलग्रस्त इलाकों की सरकारी स्कूलों में नियमित तौर न बच्चे जाते हैं और न ही टीचर। यही वजह है कि उन स्कूलों का बुरा हाल है। सरकारी योजनाओं का लाभ बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा है। यह बातें डीएम त्यागराजन ने शिक्षा विभाग की मासिक बैठक में कही हैं।

उन्होंने कहा कि जिले के स्कूलों में जब टीचर नहीं जाएंगे तो बच्चों का भविष्य कैसे सुंदर होगा। टीचर तो दूर जब प्रखंड शिक्षा अधिकारी ही प्रखंड में नियमित नहीं होते हैं तो शिक्षक कहां से जाएंगे। तत्काल प्रभाव से स्थितियां नहीं सुधरीं तो प्रखंड शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई निश्चित है।

बालू का भंडारण कर बेचा जा रहा था

डीएम के इस खुलासे और तेवर को देख मासिक बैठक में पहुंचे शिक्षा विभाग के अफसर पूरी बैठक में चुप्पी साधे रहे। डीएम ने साफ तौर पर कहा कि बालू का भंडारण कर बेचे जाने के जाने के मामले मैं टनकुप्प में केस भी दर्ज कराया गया है। यह सब कुछ प्रखंड शिक्षा अधिकारी व टीचर की लापरवाही की वजह से हो रहा है।

FIR भी की जाएगी

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों का दूसरे विभागों में अनावश्यक तैनाती भी की जा रही है। अब ऐसी स्थिति में प्रखंड शिक्षा अधिकारी, प्रधानाध्यापक और शिक्षक की संलिप्तता मानते हुए निलंबन के साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर भी की जाएगी।

इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता शिक्षकों ने नहीं छोड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि जिला स्थापना शाखा में सेवा निवृत्त शिक्षकों से सेवांत लाभ, वेतन इत्यादि के नाम पर उगाही किए जाने के कई मामले आए हैं। यह ठीक नहीं है। कठोर कार्रवाई को झेलने के लिए अब तैयार हो जाइए।

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