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पटना17 मिनट पहले

पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 1954 से लगातार रावण दहन का कार्यक्रम बिना रुके किया जा रहा है। हालांकि पिछले 2 साल कोरोना के चलते रावण दहन का कार्यक्रम नहीं हो पाया था। लेकिन इस साल इस कार्यक्रम का आयोजन काफी ही भव्य तरीके से किया जा रहा है। प्रदूषण का ख्याल करते हुए इस बार ईको फ्रेंडली रावण दहन किया जाएगा। श्री दशहरा कमेटी ट्रस्ट का दावा है कि 5 अक्टूबर विजयादशमी को गांधी मैदान में ऐतिहासिक रावण दहन होगा।

रावण का पुतला 70 फीट, कुंभकर्ण 65 फीट और मेघनाथ का पुतला 60 फीट का होगा।

रावण का पुतला 70 फीट, कुंभकर्ण 65 फीट और मेघनाथ का पुतला 60 फीट का होगा।

दो लाख के ईको फ्रेंडली पटाखे का उपयोग

इस साल रावण का पुतला 70 फीट, कुंभकर्ण 65 फीट और मेघनाथ का पुतला 60 फीट का होगा। इन पुतलों को बनाने में 16 कलाकार पिछले 25 दिनों से काम कर रहे हैं। इसमें 7 तरह के कलर, 550 पीस खड़ा कच्चा बांस, 250 किलो पेपर, 100 किलो रस्सी, 1200 मीटर राजस्थानी कपड़ा, 1200 मीटर जूट, 200 सीट फैंसी पेपर और दो लाख के ईको फ्रेंडली पटाखे का उपयोग किया जा रहा है।

रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के लिए कपड़ा राजस्थान से

श्री दशहरा कमेटी ट्रस्ट के अध्यक्ष कमल नोपानी ने बताया कि इस बार का रावण दहन का कार्यक्रम काफी ही अलग होने वाला है। कोरोना की वजह से पिछले दो साल से यह समारोह गांधी मैदान के बदले सांकेतिक तौर पर कालिदास रंगालय में हुआ था। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के लिए इस बार कपड़ा राजस्थान से मंगाया गया है। पहली बार तीनों पुतलों में प्लास्टिक पेंट किया गया है। इस पेंट की खासियत है कि बारिश होने पर भी कलर खराब नहीं होगा। इस बार रावण दहन के लिए 15 लाख रुपए का बजट रखा गया है।

पुतला निर्माण से रामलीला तक में स्थानीय कलाकारों को ही अवसर दिया गया है।

पुतला निर्माण से रामलीला तक में स्थानीय कलाकारों को ही अवसर दिया गया है।

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बिहार आर्ट थियेटर के कलाकारों को मौका
साथ ही ट्रस्ट के अध्यक्ष कमल नोपानी ने यह बताया कि रावण वध समारोह में इस बार स्थानीय कलाकारों को मौका दिया जा रहा है। पुतला निर्माण से लेकर आतिशबाजी और रामलीला में भी स्थानीय कलाकारों को ही अवसर दिया गया है। इस बार रामलीला के लिए बिहार आर्ट थियेटर के कलाकार अपने कला का प्रदर्शन करेंगे।

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