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पटनाएक घंटा पहलेलेखक: बृजम पांडेय

पटना विश्वविद्यालय में एक बार फिर छात्र संघ चुनाव की गूंज सुनने को मिल रही है। इलेक्शन में लगभग हर दल के छात्र संगठन चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन, सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि पटना विश्वविद्यालय और छात्र संघ चुनाव का इतिहास क्या रहा है। पटना विश्वविद्यालय में पढ़े छात्र राजनीति में काफी सफल हुए हैं और छात्रसंघ से जुड़े हुए छात्र भी राजनीति में सफल रहे हैं। 23 में से 16 मुख्यमंत्री PU से हैं लेकिन सिर्फ लालू यादव ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो छात्रसंघ आए हैं। पढ़िए पटना विश्वविद्यालय का राजनीतिक इतिहास को…

जानिए पटना विश्वविद्यालय का इतिहास

पटना विश्वविद्यालय की स्थापना 1917 में हुई थी। उस समय कोई भी छात्र संघ का चुनाव नहीं होता था। इसके बावजूद पटना विश्वविद्यालय बिहार का एक ऐसा विश्वविद्यालय था जिसका शैक्षणिक महत्व काफी ज्यादा था। इसे उत्तर भारत का ऑक्सफोर्ड भी कहा जाता था। बिहार में अब तक मुख्यमंत्री के तौर पर 23 नेता पहुंचे है। जिसमें 16 मुख्यमंत्री पटना विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। आजादी के 75 साल में कुल 62 साल पटना विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं।

इसमें बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह से लेकर अभी के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह, बी पी मंडल, केबी सहाय, दरोगा प्रसाद राय, जगन्नाथ मिश्रा, चंद्रशेखर सिंह, भागवत झा आजाद, सत्येंद्र नारायण सिन्हा, लालू प्रसाद यादव शामिल हैं। लेकिन, ये सभी मुख्यमंत्री छात्र संघ चुनाव से ताल्लुक नहीं रखते। लालू यादव को छोड़ दिया जाए तो सभी छात्र राजनीति में जरूर थे लेकिन, छात्र संघ चुनाव नहीं लड़े। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है क्योंकि 1960 तक पटना विश्वविद्यालय बिहार का एकमात्र विश्वविद्यालय था।

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1956 में छात्रसंघ ने जन्म लिया

पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ की स्थापना 1956 में हुई थी। तब से लेकर 1968 तक अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों का चुनाव होता था। बाद में छात्रों की मांग के बाद 9 मार्च 1970 को पहली बार प्रत्यक्ष रूप से चुनाव कराया गया। पटना विश्वविद्यालय में पहली बार चुनाव कराया गया था, तब लालू प्रसाद यादव महासचिव बने थे। उसके अगले ही साल फिर चुनाव हुआ तो, लालू प्रसाद यादव अध्यक्ष पद के लिए खड़े हुए, लेकिन अब के कांग्रेस के नेता रामजतन सिन्हा से वह हार गए। रामजतन सिन्हा अध्यक्ष बने थे और नरेंद्र सिंह महासचिव बने थे।

1973 में लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और उस समय वह जीत गए। उस चुनाव में बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी महासचिव बने और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद सहायक महासचिव बने थे।

लालू यादव अपने तीसरे छात्र संघ चुनाव में सफल हुए थे।

लालू यादव अपने तीसरे छात्र संघ चुनाव में सफल हुए थे।

साल दर साल चुनाव होते रहे। 1977 में अश्विनी चौबे छात्र संघ के अध्यक्ष बने। 1980 में अनिल शर्मा छात्र संघ के अध्यक्ष बने। लेकिन बाद के दिनों में पटना विश्वविद्यालय के छात्र की राजनीति में अपराध बढ़ने लगा और ऐसे हालात में विश्वविद्यालय ने 1984 के बाद चुनाव कराना छोड़ दिया।

28 साल बाद 2012 में हुआ था चुनाव

1984 के बाद लगातार छात्र संघ चुनाव की मांग होती रही। यह संघर्ष 28 सालों तक चलता रहा। फिर 2012 में पटना विश्वविद्यालय का चुनाव कराया गया। इस चुनाव में बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी के कैंडिडेट आशीष कुमार सिन्हा अध्यक्ष बने। चुनाव में उपाध्यक्ष के लिए अंशुमान की जीत हुई थी। अंशु कुमारी महासचिव और अभी की जदयू नेता अनुप्रिया पटेल सचिव बनी थी। तब से लेकर अब तक साल दर साल चुनाव होते रहा है । बीच दो साल कोरोना की वजह से चुनाव नहीं हुए थे। एक बार फिर से पटना विश्वविद्यालय में चुनाव का बिगुल बजा है। छात्र पूरे जोश के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

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