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मुंबई. ​शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) की फिल्म ‘पठान’  (Pathaan) कामयाबी के नए रिकॉर्ड बना रही है. कलेक्शन में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. फिल्म की टीम इससे खुश है और फैंस की शुक्रगुजार है. वहीं, दूसरी तरफ फिल्म का विरोध अब भी चल रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू (Ex-Supreem Court Judge Markandey Katju) का एक ब्लॉग चर्चा का विषय बन रहा है. काटजू शुरू से ही इस फिल्म के विरोध में थे और अब उन्होंने अपने ब्लॉग में इसका कारण विस्तार से बताया है.

मार्कंडेय काटजू पहले भी फिल्म ‘पठान’ का विरोध कर चुके हैं. वे इस फिल्म के विरोध में क्यों है? इसे लेकर उन्होंने ब्लॉग में कारण बताया है. उनका कहना है कि फिल्में कला का एक रूप हैं. साथ ही कला के दो सिद्धांत होते हैं एक तो यह कि कला, कला के लिए है और दूसरा समाज से जुड़ी कला. इन दो रूपों के ​जरिए मनोंरजन होता है. लेकिन काटजू का मानना है कि ‘यदि कला का प्रयोग सामाजिक उद्देश्य से किया जाता है तो यह प्रचार का जरिया बन जाती है. साथ ही कुछ लोगों को लगता है कि मनोरंजन के साथ कला की सामाजिक प्रासंगिता भी होनी चाहिए.’

इसलिए हूं ‘पठान’ के विरोध में…
शाहरुख खान की फिल्म ‘प​ठान’ को लेकर मार्कंडेय काटजू ने लिखा, ‘मैं ‘पठान’ के खिलाफ इसलिए नहीं हूं कि भगवा ब्रिगेड विरोध कर रही है. ना ही इसलिए कि मैं शाहरुख खान या दीपिका पादुकोण के खिलाफ हूं, जिन्हें मैं नहीं जानता. मैं इस फिल्म के खिलाफ सिर्फ इसलिए हूं कि इसकी कोई सामाजिक प्रासंगिकता नहीं है. यह सिर्फ रोमांच प्रदान करने वाली फिल्म है. इस तरह की फिल्में अफीम जैसी हैं, जो वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाती हैं.’

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काटजू का यह भी मानना है कि ‘श्री 420’, ‘आवारा’, ‘जागते रहो’, ‘ओर्सन वेल्स’, ‘चार्ली चैपलिन’ आदि ऐसी कृतियां हैं, जो सामाजिक प्रासंगिता का अच्छा उदाहरण हैं और ये फिल्में हिट भी रहीं. इसके उलट काटजू का कहना है कि ‘राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, देव आनंद की जो भी फिल्में हैं, वे सामाजिक सरोकार से जुड़ी हुई नहीं हैं.’

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