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हाइलाइट्स

भारत के 12 राज्यों में लंपी स्किन डिजीज से अब तक 50 हजार के करीब मवेशियों की मौत
लंपी स्किन डिजीज के खिलाफ ICAR ने विकसित की है Lumpi-ProVacInd स्वदेशी वैक्सीन
Lumpi-ProVacInd वैक्सीन के अलगे 4 से 5 महीने में बाजार में उपलब्ध होने की संभावना

नई दिल्लीः इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) को विश्वास है कि “चार-पांच महीनों” के भीतर मवेशियों को संक्रमित करने वाले लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) वायरस के खिलाफ स्वदेशी लंपी-प्रोवैकइंड वैक्सीन मार्केट में विक्री के लिए उपलब्ध होगी. आईसीएआर के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘एग्रीनोवेट इंडिया, जो हमारे संस्थानों द्वारा विकसित उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के लिए व्यावसायीकरण शाखा है, ने पिछले सप्ताह एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट डॉक्यूमेंट जारी किया. तीन कंपनियों ने पहले ही रुचि दिखाई है.’ Lumpi-ProVacInd – हिसार, हरियाणा में ICAR के नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स (NRCE) और इज्जतनगर, यूपी में इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IVRI) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित – एक लाइव वैक्सीन है, जो वायरस के प्रभाव को कम करती है. यह तपेदिक, खसरा, कण्ठमाला और रूबेला के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन के समान है.

त्रिपाठी ने समझाया, ‘यह भी समजातीय वैक्सीन है, जो मवेशियों में एलएसडी के खिलाफ 100 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करता है. वर्तमान में, हम केवल Goat Pox और Sheep Pox (बकरियों और भेड़ों को होने वाली चेचक की बीमारी) वायरस के टीके लगा रहे हैं. ये एक ही कैप्रिपोक्सवायरस जीनस से संबंधित तीनों वायरस के आधार पर विषमलैंगिक टीके हैं, जो एलएसडी के खिलाफ मवेशियों के लिए केवल क्रॉस-प्रोटेक्शन (60-70 प्रतिशत तक) की पेशकश करते हैं. जबकि कोविड-19 के मामले में, कोवैक्सिन जैसे निष्क्रिय टीकों (Inactivated Vaccines) का उपयोग किया गया था, ये कम प्रभावी हैं, कैप्रीपॉक्स वायरस के खिलाफ सिर्फ 5-6 महीने की प्रभावकारिता के साथ. इसलिए, एलएसडी के लिए एक जीवित क्षीणन टीके (Live Attenuated Vaccine) का विकल्प चुना गया.’

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भारत में LSD ने लगभग 11.21 लाख मवेशियों को संक्रमित किया है
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में एलएसडी ने लगभग 11.21 लाख मवेशियों को संक्रमित किया है और 31 अगस्त तक पूरे देश में 49,628 पशुओं की इस वायरस के संक्रमण से मौतें हुई हैं. यह वायरस मुख्य रूप से मक्खियों, मच्छरों और टिक्स के काटने से फैलता है, जिसमें बुखार आना, भूख न लगना, नाक और आंख से पानी निकलना, ज्यादा लार निकलना, त्वचा पर दाने उग जाना, त्वचा के फटने और सूजन जैसे लक्षण होते हैं. अब तक 12 राज्यों में इस वायरस से मवेशियों के संक्रमित होने की सूचित है. इनमें राजस्थान (31 जिले), गुजरात (26), पंजाब (24), हरियाणा (22), उत्तर प्रदेश (21), जम्मू और कश्मीर (18), हिमाचल प्रदेश (9), मध्य प्रदेश (5), उत्तराखंड ( 4), महाराष्ट्र (3), गोवा (1), और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (1) शामिल हैं.

पशुधन गणना 2019 के अनुसार, भारत में 193.46 मिलियन मवेशी हैं
हालाँकि, Lumpi-ProVacInd वैक्सीन का व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन एक चुनौती होने वाला है। प्रमुख पशु चिकित्सा वैक्सीन निर्माताओं में इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड, हेस्टर बायोसाइंसेज, ब्रिलियंट बायो फार्मा, एमएसडी एनिमल हेल्थ और बायोवेट प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। पहली दो कंपनियां मवेशियों में एलएसडी के खिलाफ पहले से ही Goat Pox और Sheep Pox के टीके की आपूर्ति कर रही हैं. अब तक देश भर में लगभग 65.17 लाख खुराकें दी जा चुकी हैं. 2019 की पशुधन गणना के अनुसार, भारत में मवेशियों की आबादी कुल 193.46 मिलियन है. त्रिपाठी के अनुसार, हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करने के लिए मवेशियों की कम से कम 80 प्रतिशत आबादी को कवर किया जाना है. आदर्श रूप से एक ऐसे टीके के माध्यम से, जो केवल आंशिक सुरक्षा न प्रदान करके पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता हो. ऐसे में Lumpi-ProVacInd वैक्सीन का इतने बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन एक चुनौती है.

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Tags: Cattle death, Lumpy Skin Disease, Vaccine

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