e0a4aae0a4bee0a4b0e0a58de0a4a5 e0a49ae0a49fe0a4b0e0a58de0a49ce0a580 e0a4aee0a4aee0a4a4e0a4be e0a4ace0a4a8e0a4b0e0a58de0a49ce0a580
e0a4aae0a4bee0a4b0e0a58de0a4a5 e0a49ae0a49fe0a4b0e0a58de0a49ce0a580 e0a4aee0a4aee0a4a4e0a4be e0a4ace0a4a8e0a4b0e0a58de0a49ce0a580 1

हाइलाइट्स

पार्थ चटर्जी तृणमूल के टिकट पर 2001 से लगातार 5 बार बेहाला पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए.
2006 में पार्थ चटर्जी बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस पार्टी के नेता बने और और बाद में नेता प्रतिपक्ष.
वर्ष 2007 में ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को तृणमूल कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया.

कोलकाता. पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस नेता पार्थ चटर्जी को पांच दशक लंबे राजनीतिक सफर में बड़ा झटका लगता दिख रहा है, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के संबंध में उन्हें शनिवार को गिरफ्तार कर लिया. 69 वर्षीय चटर्जी, वर्तमान में ममता बनर्जी सरकार में उद्योग और संसदीय मामलों के विभाग को संभाल रहे. वह वर्ष 2014 से 2021 तक शिक्षा मंत्री थे. उनके शिक्षा मंत्री रहने के दौरान शिक्षक भर्ती में कथित अनियमितताएं हुईं.

चटर्जी ने साठ के दशक के उत्तरार्ध में कांग्रेस की छात्र शाखा-छात्र परिषद के नेता के रूप में राजनीति में कदम रखा. तब वह कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे. वह तत्कालीन तेजतर्रार युवा नेताओं सुब्रत मुखर्जी और प्रिय रंजन दासमुंशी से प्रेरित थे. सत्तर के दशक के मध्य में एक हाई-प्रोफाइल कारपोरेट नौकरी करने का फैसला करने के बाद उनका राजनीतिक करियर रुक गया. ममता बनर्जी के कांग्रेस से अलग होने और एक जनवरी 1998 को तृणमूल कांग्रेस का गठन करने के बाद चटर्जी ने सक्रिय राजनीति में उतरने का फैसला किया.

वह तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 2001 से लगातार पांच बार बेहाला पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए. चटर्जी का सियासी सफर वर्ष 2006 में तब शिखर पर पहुंचा, जब विधानसभा में वह तृणमूल कांग्रेस पार्टी के नेता बने और बाद में नेता प्रतिपक्ष बने. जब ममता बनर्जी ने सिंगूर और नंदीग्राम में कथित जबरन भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर बंगाल की सड़कों पर शक्तिशाली वाम मोर्चा शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी, तो चटर्जी विधानसभा में विपक्ष की आवाज बन गए.

READ More...  भारत के मुस्लिमों में नफरत फैलाने की साजिश! एफबी और टेलीग्राम का इस्तेमाल कर रहे टॉप जैश फाइनेंसर

चटर्जी उस समय सबसे आगे थे जब उनकी पार्टी ने भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को घेरा. वर्ष 2007 में बनर्जी ने उन्हें तृणमूल कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया. चार साल बाद पार्टी के सत्ता में आने के बाद उन्हें उद्योग और संसदीय मामलों का प्रभार दिया गया. हालांकि, वर्ष 2014 में एक कैबिनेट फेरबदल में, उन्हें उद्योग विभाग से हटाकर शिक्षा विभाग दिया गया.

वर्ष 2021 में पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी तो उन्हें उद्योग और संसदीय मामलों का विभाग दिया गया. उन्हें राजनीतिक हलकों में एक मिलनसार नेता के रूप में जाना जाता है. पार्थ चटर्जी का नाम एक पोंजी योजना में भी आया था, जिसकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रही थी. हालांकि, उन्होंने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया.

Tags: Kolkata, Mamata banerjee, West bengal

Article Credite: Original Source(, All rights reserve)