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हाइलाइट्स

भारतीय रेलवे ने कुछ समय पहले एक VIKALP स्कीम शुरू की है
टिकट वेटिंग होने पर भी कभी यात्रा करने का मौका मिल जाता है.
यात्री VIKALP योजना में अधिकतम 7 ट्रेनों का विकल्प चुन सकते हैं.

नई दिल्ली. पहले जब टिकट बुकिंग सिस्टम पूरी तरह से डिजिटल नहीं था, तब वेटिंग टिकट वाले यात्री बिना कन्फर्म सीट के भी ट्रेन में यात्रा कर सकते थे, लेकिन अब वेटिंग वाले टिकट रद्द कर दिए जाते हैं और किराया रिफंड कर दिया जाता है. जैसा की हम जानते हैं वेटिंग ट्रेन टिकट के कन्फर्म होने का इंतजार कभी-कभी यात्रियों के लिए भारी पड़ जाता है. हालांकि, भारतीय रेलवे के पास इस समस्या का समाधान है.

रेलवे ने एक VIKALP स्कीम शुरू की है, जिससे तहत टिकट वेटिंग होने पर भी यात्रा करने का मौका मिल जाता है. अल्टरनेट ट्रेन एकोमोडेशन स्कीम (ATAS) को VIKALP नाम से भी जाना जाता है. इसके तहत भारतीय रेलवे का मकसद वेटिंग टिकट को कन्फर्म करने की कोशिश रहती है. यहां जानते हैं कि VIKALP सिस्टम कैसे काम करता है और इसके क्या-क्या फायदे होते हैं.

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ऐसे काम करता है ये सिस्टम
इस स्कीम में वेटिंग-लिस्ट वाले यात्रियों को टिकट खरीदते समय एक ऑप्शन भरने की जरूरत होती है. इसमें यात्रियों को जिस ट्रेन में वेटिंग टिकट मिला, उसके बदले में दूसरी ट्रेन को सेलेक्ट करना होता है. इसका मतलब यह होता है कि अगर चुनी हुई जिस ट्रेन में टिकट किया है और वह कन्फर्म नहीं होता है तो दूसरी सिलेक्ट की गई ट्रेन में टिकट मिल जाएगा. यह स्कीम का विकल्प चार्टिंग से पहले बाद के चरण में उपलब्ध है और इसे बुक किए गए टिकट हिस्ट्री के जरिए एक्सेस किया जा सकता है.

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7 ट्रेन कर सकते हैं सेलेक्ट
हालांकि, विकल्प को चुनने का मतलब यह नहीं है कि यात्रियों को वैकल्पिक ट्रेन में कन्फर्म बर्थ प्रदान की जाएगी. यह ट्रेन और बर्थ की उपलब्धता पर निर्भर करता है. यह योजना सभी प्रकार की ट्रेनों और कैटेगरी के यात्रियों के लिए मान्य है और बुकिंग कोटा और रियायत के बावजूद सभी वेटिंग लिस्ट के यात्रियों के लिए लागू है. इस योजना के तहत यात्री विकल्प योजना के लिए अधिकतम 7 ट्रेनों का विकल्प चुन सकते हैं. यात्री मूल ट्रेन के निर्धारित प्रस्थान से 30 मिनट से 72 घंटे के बीच प्रस्थान करने वाली ट्रेन में ट्रांसफर होने के विकल्प का उपयोग कर सकते हैं, जिसमें प्रतीक्षा-सूची वाली टिकट बुक की गई थी.

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