हाइलाइट्स
ठकराहा प्रखंड के मोतीपुर पंचायत के हरख टोला, शिवपुर और मुशहरी मिश्र टोला पर छाया संकट.
गंडक नदी और और के बीच महज 20 मीटर की दूरी बची रह गई है. लोग हुए पलायन को मजबूर.
वाल्मीकि नगर के जदयू के विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह की बात भी रह गई अनसुनी.
ठकराहा के सीओ राहुल कुमार ने कहा कि अभी आपदा प्रबंधन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है.
बगहा. गंडक नदी की बदलती धारा ने आसपास के गांव को पलायन पर मजबूर कर दिया. वैसे तो गंडक का जलस्तर कम जरूर हो गया है, लेकिन गंडक से तबाही बिल्कुल कम नहीं हुई है.
बगहा के ठकराहा प्रखंड के मोतीपुर पंचायत के हरख टोला, शिवपुर और मुशहरी मिश्र टोला अब नदी की धारा में गुम होने के कगार पर है. इसकी धारा और गांव के बीच महज 20 मीटर की दूरी बची रह गई है. नतीजा है कि गांव से लोग पलायन कर रहे हैं. शासन-प्रशासन से गुहार लगाकर थक चुके ग्रामीण अब अपना तिनका-तिनका बटोरने में जुटे हैं ताकि कहीं और अपना आशियाना बना सकें.

अपना घर उजाड़कर लोग बचा रहे अपनी जान.
85 साल के हो चुके हैं रति यादव. उनका जन्म बगहा के हरख टोला में हुआ था. उनकी इच्छा थी कि जिस मिट्टी में जन्मे वहीं उनका अंतिम दिन गुजरे. लेकिन उम्र के अंतिम पडाव पर गंडक नदी ने उनको ठिकाना बदलने पर मजबूर कर दिया. गंडक की बदलती धारा ने तबाही की ऐसी इबारत लिखनी शुरू कर दी, जिससे लोग अपना वर्षों पुराना आशियाना अपने हाथो उजाड़ने को मजबूर हैं.
आश्रय का ठिकाना नहीं, पलायन जारी

जहां भी मिले जगह, पर फिलहाल तो गांव से अपना सामान सुरक्षित निकाल लें.
लगभग 500 की आबादी वाले इस गांव के लोग अब कहां शरण लेंगे, इस बात का पता इनलोगों को नहीं. पर गंडक के हहराते पानी का डर और मजबूरी ऐसी है कि इस गांव के लगभग 50 से 60 परिवार घर की सभी सामग्री ट्रैक्टर ट्रॉली और बैलगाड़ी पर लाद कर सुरक्षित स्थान की तलाश में पलायन करने लगे हैं. इन गांवों के लोगों ने बड़ी मेहनत से अपने खेतों में गन्ना और धान की फसल लगाई थी. पर फसल सहित उनकी जमीन नदी में विलीन हो गई. अब घर भी नदी में समाने के कगार पर है.
गांव परेशान, प्रशासन बेपरवाह

अफसर आए, गांव का मुआयना किया, गंडक का रौद्र रूप देखा पर राहत या बचाव का अब तक नहीं हुआ उपाय.
इन गांवों के लोग काफी परेशान हैं. लेकिन प्रशासन को कोई परवाह नहीं. बीती रात घर की महिलाएं और छोटे बच्चे तक जागकर वक्त काटा. सुबह होते ही गांव के लोग अपने-अपने ट्रैक्टर ट्रॉली और बैलगाड़ी पर घर के सामान लादकर पलायन करने लगे. पीड़ित परिवारों के मुताबिक, एक महीने से गंटक नदी कटाव कर रही थी. लेकिन जल संसाधन विभाग निरीक्षण से आगे नही बढ़ सका. तकरीबन 500 एकड़ जमीन में लगी फसल नदी लील गई. क्षेत्र के विधायक ने शासन से लेकर सरकार तक इस मामले को उठाया. लेकिन सरकारी काम की रफ्तार ने गांव को उजड़ने पर मजबूर कर दिया है.
विधायक की मांग भी अनसुनी

तबाही से पहले जितना सामान शिफ्ट किया जा सके, कर रहे हैं लोग.
वाल्मीकि नगर के जदयू विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह ने कहा कि कटाव की समस्या से जल संसाधन विभाग तक को अवगत कराया गया है. जल संसाधन विभाग की टीम ने गांव में पहुंचकर कटाव की भयावह स्थिति देखी है. लेकिन अभी तक इसपर काम शुरू नहीं किया जा सका. विधायक ने कहा कि सरकार इस पर जल्द ध्यान नहीं देती है तो हम ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठेंगे.
ऊंचे स्थानों पर शरण लेने की सलाह

वक्त पर ध्यान देकर बचाया जा सकता था गांव को खाली होने से.
ठकराहा के सीओ राहुल कुमार ने इस मसले पर कहा कि अभी आपदा प्रबंधन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है. पलायन करनेवाले लोगों को मोतीपुर स्थित बाढ़ आश्रय स्थल, बांध और ऊंचे स्थानों पर शरण लेने की सलाह दी गई है.
जलस्तर कम होने का इंतजार

प्रशासन और सरकारें बचाव कार्य के लिए जलस्तर कम होने का इंतजार कर सकती हैं, पर जिनके सामने आफत खड़ी हो, वे नहीं.
जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता दीपक कुमार ने बताया कि दो दिन पहले कटाव का जायजा लिया गया था. लेकिन नदी के जलस्तर बढ़ने के कारण काम रुक गया. जलस्तर कम होने के बाद कटावरोधी कार्य कराने का निर्णय किया गया है. इसी दौरान लोगों ने पलायन शुरू कर दिया. संघर्षात्मक दल के अध्यक्ष से कटावरोधी कार्य के लिए बात हो रही है.
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Tags: Bagaha news, Gandak river, Migration
FIRST PUBLISHED : August 07, 2022, 21:59 IST
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