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नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने शुक्रवार को भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए, ताकि इस तरह के विज्ञापन के जरिए प्रचारित संदेशों से शोषित या प्रभावित होने वाले उपभोक्ताओं की सुरक्षा की जा सके, खासकर बच्चों के संबंध में. इन दिशा-निर्देशों में कंपनियों को स्वास्थ्य व पोषण संबंधी फायदों के बारे में झूठे दावे करने से रोकने और उपहार का लालच देकर बच्चों को सामान व सेवाएं लेने के लिये राजी करने आदि पर रोक लगाने का प्रावधान है. भ्रामक होने के अतिरिक्त इस तरह के विज्ञापन उपभोक्ताओं के विभिन्न अधिकारों जैसे कि सूचित होने का अधिकार, चुनने का अधिकार और संभावित असुरक्षित उत्पादों और सेवाओं के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार, का उल्लंघन भी करते हैं.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ‘भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम एवं विज्ञापनों के संबंध में आवश्यक सावधानी दिशा निर्देश- 2022’ में बच्चों को निशाना बनाने वाले विज्ञापनों के बारे में 19 प्रावधान किए हैं. नए दिशानिर्देश शुक्रवार से लागू हो गए हैं और उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत की जाएगी. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2 (28) के तहत भ्रामक विज्ञापन को पहले ही परिभाषित किया जा चुका है. वर्तमान दिशानिर्देश ‘लालच या प्रलोभन वाले विज्ञापन’, ‘अन्य उत्पादों की आड़ में भ्रामक विज्ञापन’ को परिभाषित करते हैं.

किन विज्ञापनों को माना जाएगा भ्रामक
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सिफारिश के बाद बच्चों को निशाना बनाने वाले भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए विस्तृत प्रावधान किए गए हैं. नए दिशानिर्देशों के अनुसार, उन विज्ञापनों को भ्रामक माना जाएगा, जो अपने उत्पाद को किसी मान्यता प्राप्त निकाय द्वारा उचित व वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित कराए बिना किसी स्वास्थ्य पोषण या लाभ के संबंध में दावे करते हैं.

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जुर्माना और सजा
दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए दंड का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है. केंद्रीय उपभोक्ता सुरक्षा प्राधिकरण (सीसीपीए) किसी भी भ्रामक विज्ञापन के लिए निर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है. इसके बाद भी अगर नियमों का उल्लंघन होता है, तो सीसीपीए 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है. प्राधिकरण एक भ्रामक विज्ञापन का प्रचार करने वाले को 1 वर्ष तक के लिए कोई भी अन्य प्रोडक्ट का प्रचार करने से प्रतिबंधित कर सकता है और बाद में उल्लंघन के लिए यह समय-सीमा 3 साल तक बढ़ाई जा सकती है.

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